जमुई: प्रबोध जन सेवा संस्थान के सुमन सौरभ का कहना है कि हमने ईश्वर को नहीं देखा,लेकिन अगर इस धरा पर साक्षात ईश्वर का दूत कोई है तो वह डॉक्टर ही है,जिसे हमने देखा है. डॉक्टर हम सबों की जिंदगी का अहम हिस्सा हैं. प्रोफेशन के साथ ही उनका व्यक्तित्व और व्यवहार भी मरीज को ठीक करने में महती भूमिका निभाते है.
उन्होंने कहा कि यूं तो हर डॉक्टर ईश्वर के दूत होते हैं,लेकिन जमुई जैसे पिछड़े क्षेत्र में कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं,जो हजारों लोगों के लिए ईश्वर के रूप ही हैं. उन्हीं डॉक्टरों में एक नाम सदर अस्पताल,जमुई में कार्यरत सम्मानीय डॉ विशाल आनंद सिंह जी का आता है. जिन्होंने रोड एक्सीडेंट में घायल चरकापत्थर थाना क्षेत्र के तेतरिया गांव निवासी गरीब आदिवासी संजय मरांडी की पत्नी जमुनी मुर्मू का इलाज उस स्थिति में किया जब सदर अस्पताल की लचर व्यवस्था ने पर्याप्त संसाधन मौजूद रहने के बाद भी संसाधन का अभाव बता मरीज को रेफर करने का फैसला किया.
आगे कहा कि जबकि इस गरीब अभागन आदिवासी महिला जमुनी मुर्मू के परिजन के रूप में ढाई वर्ष की मासूम पुत्री थी. वहीं उनके पति किसी अपराध के कारण विगत 1 वर्ष से जेल में कैद है. कितना दुखद है सदर अस्पताल में संसाधन मौजूद रहने के बाद भी गरीब मरीज को रेफर किया जा रहा था शायद उन्हें रेफर करने की आदत सी हो गई है. खैर अब जमुनी मुर्मू स्वस्थ है. जब डॉ विशाल आनंद सिंह जी के इस मानवीय रूप के बारे में मुझे सदर अस्पताल, जमुई में कार्यरत एक कर्मी ने बताई तो मैं बिलकुल निःशब्द हो गया क्योंकि उन्होंने हर एक बात बताई की किस प्रकार संसाधन मौजूद रहने के बाद भी मरीज को रेफर किया जा रहा था और किस स्थिति में डॉ विशाल आंनद सिंह जी ने व्यवस्था से लड़ कर सदर अस्पताल, जमुई में इलाज किया. मैं कॉल पर उन्हें मात्र आभार ही व्यक्त कर पाया पर उन्होंने जो पीड़ित मानवता के प्रति समर्पण दिखाया है वो अस्पताल के अन्य कर्मियों के लिए प्रेरणा है. माता रानी से प्रार्थना है की वो डॉ विशाल आनंद जी को हमेशा स्वस्थ रखें.
आलोक कुमार
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