Tuesday 9 February 2016

ऐसे कुर्जी पल्ली को जन आधारित बनाया जा रहा है




ईश्वर और ईश्वर के प्रतिनिधि जोरशोर से हैं जूटे


चर्च के अंदर ईश्वर और चर्च के बाहर ईश्वर के प्रतिनिधि पुरोहितगण


पटना। जी हाँ,लोकधर्मियों को केनन लॉ में अधिकाधिक अधिकार दिया गया है। केनन लॉ में निर्हित है कि स्थानीय चर्च को जन आधारित बनाया जाए। इसको लेकर पल्ली स्तर पर जोरदार प्रयास करना शुरू कर दिया गया है। पल्ली पुरोहितों द्वारा धन उगाही का कार्य जोरशोर से किया जा रहा है। पल्ली में आयोजित कार्यक्रमों में दिल खोलकर चंदा देने का आह्वान किया जाता है। इसको लेकर पल्ली पुरोहित सचेत हैं। चर्च के अंदर स्थापित प्रतिमाओं के समीप चंदा बॉक्स रखा गया है। चर्च के अंदर ईश्वर और चर्च के बाहर ईश्वर के प्रतिनिधि पुरोहितगण चंदा उगाही कर रहे हैं।


कुर्जी पल्ली में है प्रेरितों की रानी ईश मंदिरः येसु समाजी नामक संस्था द्वारा कुर्जी पल्ली संचालित है। फिलवक्त कुर्जी पल्ली के प्रधान पल्ली पुरोहित फादर जोनसन हैं। सहायक पल्ली पुरोहित में फादर सेराफिम साह और फादर दोमनिक हैं। वाटिकल सिटी में निर्मित कैनन लॉ में सभी पल्लियों में पल्ली परिषद गठित करना अनिवार्य है। पल्ली में रहने वाले ईसाई समुदाय पार्षदों को चुनते हैं और पल्ली पुरोहित द्वारा अन्य पार्षदों को मनोनीत किया जाता है। पल्ली के अंदर संचालित संस्थाओं के प्रतिनिधि पदेन सदस्य होते हैं। पल्ली परिषद परामर्श देने वाली परिषद है। इसे स्वीकार करने अथवा नहीं करने का अधिकार पल्ली पुरोहित सह परिषद के अध्यक्ष को है। पल्ली पुरोहित द्वारा येसु समाजी नामक संस्था के मतलबों को पल्ली परिषद के माध्यम से पूर्ण करवाता है। पल्ली परिषद जनहित में कारगर कदम उठाने में अक्षम है। अगर जनहित को लागू करने में पल्ली परिषद सक्षम रहती तो स्कूलों में बच्चों का नामांकन और नौकरी से मनमाने ढंग से कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करने की समस्या सामने नहीं आती। पल्ली परिषद की नपुसंकता होने के कारण ही नौकरी से निकाला व्यक्ति श्रम न्यायालय में जाने को बाध्य हो जाते हैं। अभी बालूपर रहने वाले एंड्रू आंजिलों को संत जेवियर से नौकरी से बाहर कर दिया गया है। मरियम टोला में रहने वाले जोसेफ इम्मानुएल को एक्सटीटीआई से नौकरी से बाहर कर दिया गया है। दोनों श्रम न्यायालय के द्वार पर दस्तक दिये हैं।              


चंदा संग्रह पर जोर देने से परेशान है लोगः पुरोहितों ने जमकर धन उगाही की व्यवस्था कर रखी है। धर्म के नाम पर धन ऐंठने की अचूक उपाय। बपतिस्मा संस्कार के समय, प्रथम परमप्रसाद की तैयारी के समय, दृढ़करण की तैयारी के समय,विवाह करने वालों की तैयारी समय,विवाह के समय,मृत्यु के बाद, मृत व्यक्तियों की आत्मा शांति के लिए मिस्सा,धन्यवादी मिस्सा, साप्ताहिक मिस्सा समय में,किसी चीज पर आशीष देने पर,क्रिसमस,ईस्टर,जतरा,मासिक चंदा आदि पॉकेट में लोगों को चंदा देना पड़ता है। वहीं पुरोहितों के पास काम करने वाले कर्मी को बहुत ही कम वेतन दिया जाता है। वेतनादि की मांग पर कहा जाता है कि हम तो खुद चंदा पर पलने वाले जीव हैं। तब कैसे अधिक वेतनादि दे सकते हैं। अब तो मिशन में संविदा पर बहाल करके कम वेतन दिया जाता है। मिशन में न्यूनतम मजदूरी को ही वेतनमान बनाकर वेतन दिया जाता है। आखिर कैसे चंदा दे सकते हैं पुरोहित साहब?

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।






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