Thursday, 18 August 2022

दशरथ मांझी महोत्सव, 2022

स्मृति भवन में दशरथ मांझी द्वारा उपयोग में लाये गए छेनी हथौड़ा को रखने के लिए  लगाए गए डिस्प्ले यूनिट का हुआ लोकार्पण


गया:पर्वत पुरूष दशरथ मांझी के 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर दशरथ मांझी महोत्सव, 2022 का आयोजन मोहड़ा प्रखंड के गहलोर पंचायत में आज किया गया.कार्यक्रम में सर्वप्रथम जिलाधिकारी, गया डॉ त्यागराजन एसएम द्वारा कार्यक्रम के उपस्थित मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ एवं मोमेंटो देकर स्वागत किया गया. कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथियों द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया.

स्वागत भाषण में जिला पदाधिकारी, गया डॉ त्यागराजन एसएम द्वारा बताया गया की आज माउन्टेन मैन के नाम से जग में विख्यात दशरथ मांझी की स्मृति में आयोजित दशरथ मांझी महोत्सव में उपस्थित माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री जीतन राम मांझी, माननीय मंत्री, ग्रामीण कार्य विभाग श्री श्रवण कुमार, माननीय मंत्री, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग श्री संतोष कुमार सुमन, मंचासीन माननीय सांसद, माननीय विधायक एवं गणमान्य व्यक्ति, देवियों, सज्जनों, बच्चों एवं मीडिया के प्रतिनिधिगण। इस कार्यक्रम में अपना बहुमूल्य समय देकर शामिल होने के लिए हम आप सबो का हार्दिक अभिनंदन करते हैं.

अपनी कर्मठता एवं दृढ़ संकल्प इच्छा शक्ति के द्वारा गया जिला के साथ-साथ बिहार को गौरवान्वित करने वाले पर्वत पुरूष दशरथ मांझी के सम्मान में आयोजित इस महोत्सव में मैं सर्वप्रथम गेहलौर की धरती का नमन करता हूँ, जिसने ऐसे जीवट पुरुष को जन्म दिया.

दशरथ मांझी (1929-2007) गया जिला के गेहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे. केवल हथौड़ा और छेनी लेकर इन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली.22 वर्षों के परिश्रम के बाद, दशरथ मांझी के बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लॉक की दूरी को लगभग 55 किलोमीटर से 15 किलोमीटर कर दिया.वे जिस गांव में रहते थे, वहां से पास के कस्बे जाने के लिए एक पूरा पहाड़ (गहलोर पर्वत) पार करना पड़ता था. उनके गांव में उन दिनों न बिजली थी, न पानी. ऐसे में छोटी से छोटी जरूरत के लिए उस पूरे पहाड़ को या तो पार करना पड़ता था, या उसका चक्कर लगाकर जाना पड़ता था. पति के लिए खाना ले जाने के क्रम में उनकी पत्नी फगुनी देवी पहाड़ के दर्रे में गिर गयीं और उनका निधन हो गया. उनकी पत्नी की मौत दवाइयों के अभाव में हो गया, क्योंकि बाजार दूर था. इसके बाद दशरथ मांझी ने संकल्प लिया कि वह अकेले दम पर पहाड़ के बीचों बीच से रास्ता निकालेंगे और अतरी व वजीरगंज की दूरी को कम करेंगे.


17 अगस्त, 2007 को 73 साल की उम्र में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में कैंसर से पीड़ित दशरथ माँझी का निधन हो गया. बिहार सरकार के द्वारा राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. वे ‘माउंटेन मैन‘ के रूप में विख्यात हैं. उनकी इस उपलब्धि के लिए बिहार सरकार ने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में 2006 में ‘पद्म‘ के लिए उनके नाम का प्रस्ताव रखा.

आज उनकी कृति वर्तमान एवं भावी पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गया है. उनकी कृति ने अपने यश का डंका न सिर्फ भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व में बजा रखा है.आज वॉलीवुड, हॉलीवुड के बड़े-बड़े निर्माताओं ने उन पर कई फिल्में बनायी, जो अत्यंत लोकप्रिय है. ‘पहाड़ से उँचा आदमी‘, ‘डिजाइन्ड वाई लव‘,"THE MAN WHO MOVED THE MOUNTAIN", MANJHI-THE MOUNTAIN MAN" फिल्म ने काफी लोकप्रियता हासिल की.


’जिलाधिकारी ने बताया की कार्यक्रम से पूर्व मोहड़ा प्रखंड में जिला स्तरीय जनता दरबार का आयोजन किया गया है, जिसमे आमजन द्वारा बढ़ चढ़ कर भाग लिया गया.प्राप्त आवेदनों में अधिकतर आवेदन का निष्पादन ऑन द स्पॉट किया गया.’

 माननीय मुख्यमंत्री द्वारा गेहलौर में 3 किमी लंबी एक सड़क हॉस्पिटल, पंचायत भवन, किसान भवन, ओ०पी०, समाधि स्थल बनवाया तथा गहलौर का पर्यटकीय विकास किया एवं वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करवाया गया है. पहाड़ काटने के प्रयोग में लाए गए हथौड़ा और छेनी को गेहलौर में बिहार सरकार द्वारा निर्मित स्मृति भवन में पर्यटकों को देखने के उद्देश्य से निर्माण कराया गया.


बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम, पटना द्वारा दशरथ मांझी स्मारक स्थल के विकास एवं सौन्दर्यीकरण कार्य में चारदीवारी का निर्माण, गेट का निर्माण कार्य, समाधि स्थल का कार्य, सोलर लाइट का अधिष्ठापन एवं पार्किंग का निर्माण कार्य कराया गया है. साथ ही जन सुविधा का निर्माण, पानी का प्याऊ ट्यूबवेल एवं पहुंच पथ का निर्माण एवं दशरथ मांझी मूर्ति का स्थापना कार्य कराया गया है. साथ ही पर्वत पुरुष दशरथ मांझी स्मृति भवन का निर्माण कार्य करवाया गया है.

कार्यपालक अभियंता, भवन प्रमण्डल, गया द्वारा रॉक कट सड़क के दूसरी तरफ पूर्वी छोर पर प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य एवं स्मारक स्थल पर कानॉपी निर्माण कार्य कराया गया है, इन सभी योजनाओं में 146.26 लाख रूपये खर्च किया गया है.  

 वर्ष 2022 में दशरथ मांझी स्मारक स्थल एवं इसके आस-पास के जगहों पर बंद पड़े सभी सोलर लाईट को इलेक्ट्रीक कनेक्शन कराते हुए चालू कराया गया है.साथ ही हाईमास्ट लाइट के सभी खराब बल्ब को बदल दिया गया है. स्मारक स्थल पर टूटे हुए टाइल्स को हटाकर नया टाइल्स लगाया गया. स्मृति भवन में दशरथ मांझी द्वारा उपयोग में लाए गए छेनी हथौड़ा को रखने के लिए डिस्प्ले यूनिट का निर्माण एवं स्मृति भवन का मरम्मती कार्य कराया गया है. इस कार्य के लिए लगभग 06 लाख रुपये व्यय हुआ है. रॉक कट सड़क के दोनों किनारों में डेकोरेटेड प्लांट लगाया जा रहा है.


सरकार आम लोगों की सुविधा एवं बिहार के विकास के लिए कृतसंकल्प है. हर घर में नल का जल, शौचालय, बिजली, गैस कनेक्शन की व्यवस्था कर रही है। सभी वृद्धजनों को पेंशन प्रदान कर रही है, युवाओं को शिक्षा, रोजगार एवं कौशल विकास के लिए राज्यव्यापी कार्यक्रम चलाया जा रहा है. शराबबंदी से समाज में खुशनुमा माहौल बना है. बच्चों की पढ़ाई, चिकित्सा, विकास की मुकम्मल व्यवस्था की गयी.महिलाओं को रोजगार में 35 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा गया है.

आनेवाली पीढ़ी दशरथ मांझी के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेती रहेगी.उनके कार्यवीरता की गाथा युग-युगान्तर तक गायी जाती रहेगी। इन्हीं शब्दों के साथ अपनी वाणी को विराम देते है.

आलोक कुमार

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