अबतक की कार्रवाई पर कार्य पटरी पर आते दिख रहा
गया। काफी
उम्मीद लेकर आयी थीं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से छंटनीग्रस्त 148 महिलाकर्मी। विभिन्न प्रखंडों में कार्य करने वाली नीलम
कुमारी, सुषमा कुमारी, नीरा देवी,कुमारी अमीता,राधा देवी,अनीशा देवी, सुनीता देवी ,लाली देवी,लाली देवी,ललिता देवी,विभा कुमारी आदि आयी थीं। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की साली लालपरी देवी
भी आयीं। पटना में आकर 17 नवम्बर 2014 से 10-10 की संख्या में 24 द्यंटे के जत्थेवार अनशन किए। मौसम की ठंडक की मार झेलने के
बाद भी सत्याग्रह करने वाले सफल नहीं हो सके। आज आंदोलन के 1 माह के बाद भी नियोजन रद्द करने वाले आदेश को वापस नहीं लिया गया।
कार्यालय-जिला
शिक्षा पदाधिकारी,बिहार शिक्षा परियोजना,गया के द्वारा कार्यालय आदेश निर्गत किया गया। इनका नियोजन 27 सितम्बर 2007 के बाद किया
गया। नियोजन को लेकर जांच की गयी। जो जांच के क्रम में अवैध पाया गया तथा जिला
कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा
अभियान, गया के पत्रांक 03 दिनांक 04 जनवरी 2013 के द्वारा नियोजन रद्द कर दिया गया। चार सदस्यीय चयन समिति में शिक्षा
अधीक्षक अध्यक्ष, महिला सामाख्या के जिला कोर्डिनेटर
सचिव ,एक प्रधानाध्यापक और एक जन प्रतिनिधि सदस्य
थे। मात्र चयन समिति के सदस्यों का हस्ताक्षर नहीं होने के कारण 45 शिक्षक, 44 रसोइया,
22 आदेशपाल, 20 रात्रि
प्रहरी और 17 वार्डेन के नियोजन पर तलवार चला दी।
जिलाधिकारी
से मांग की गयी है कि सितम्बर 2007 के बाद बहाल
कर्मियों की सेवा नियमित करने और छंटनीग्रस्त कर्मियों को काम में वापस करने,
छंटनीग्रस्त कर्मियों से 24 घंटे में 80 रूपए दैनिक मजदूरी देकर काम लेना
बंद करने,जनवरी 2014 से बकाया मानदेय का भुगतान करने और मानदेय वृद्धि के लिए दक्षता परीक्षा
की अनिवार्यता समाप्त करते हुए अप्रैल 2013 से
मानदेय राशि में की गयी वृद्धि का भुगतान करना शामिल है।
इस संदर्भ
में बिहार राज्य कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संद्य की सचिव विद्यावती सिंह का
कहना है कि सबसे पहले मांग को लेकर गया जिले के अधिकारियों के समक्ष गुहार लगाया
गया। यहां पर सुनवाई नहीं होने पर पटना गए थे। यहां पर भी किसी तरह की कार्रवाई
नहीं होने पर गया आ गए हैं। अबतक की कार्रवाई पर कार्य पटरी पर आते दिख रहा है।
ऐसा प्रतीक हो रहा है कि गया जिले के नौकरशाह छंटनीग्रस्त 148 महिलाकर्मियों के पक्ष में निर्णय लेंगे। से
आलोक
कुमार
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