गया: इस जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर नीमचक बथानी थाने के हाजत में सोनमंती देवी नामक एक महिला की मौत हो गई है.पुलिस हाजत में दम तोड़ने वाली महिला को थाने की पुलिस ने बीती 13 अगस्त से पकड़ रखा था.इस बीच 15 अगस्त को साढ़े तीन बजे सोनंमती देवी के परिजनों को भनक लगी की हाजत में ही सोनमंती ने दम तोड़ दिया है.
जानकार लोगों का कहना है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के मुताबिक पुलिस किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती है. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर पुलिस को नजदीकी न्यायालय के समक्ष पेश करना जरूरी होता है.जो नीमचक बथानी थानाध्यक्ष के द्वारा नहीं किया गया.वहीं पुलिस रेगुलेशन के मुताबिक अगर पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में या गिरफ्तार करके थाने लाती है तो उसको समय पर भोजन कराना पुलिस की जिम्मेदारी है और इसके लिए पुलिस को भत्ता भी मिलता है.परिजनों का आरोप है कि सोनमंती देवी से परिवार वालों से नहीं मिलने दिया जा रहा था.
तीन दिनों से पुलिस हिरासत में रहने वाली सोनमंती देवी को नीमचक बथानी थाना की पुलिस न तो उसे रिहा कर रही थी और न ही उसे जेल भेज रही थी. इस बीच 15 अगस्त को साढ़े तीन बजे सोनंमती देवी के परिजनों को भनक लगी की हाजत में ही सोनमंती ने दम तोड़ दिया है.महिला की मौत की भनक लगते ही नीमथू गांव के सैकड़ों लोगों ने थाने घेर लिया. यही नहीं जब थाने के घेराव और पुलिस व आम लोगों की बातचीत का गांव के युवकों ने वीडियो बनाना शुरू किया तो पुलिस ने उन पर पुलिसिया धौंस दिखाते हुए वीडियो डिलिट करने की बात कही पर लेकिन गांव के युवकों ने पुलिस वालों को यह कहते हुए धमकाया कि यदि वीडियो डिलिट करने पर मजबूर किया गया तो परिणाम भुगतने को भी तैयार रहें. यह बात सुनते ही थाने की पुलिस बैकफुट पर आ गई.
फिलहाल थाने के बाहर बवाल चल ही रहा है.पुलिस ने इलाके के मौजिज लोगों को बुला कर इस मामले को रफादफा कराने में जुटी है. बैठकों का दौर जारी है. एसडीओ और डीएसपी मौके पर पहुंच गए हैं. डीएसपी का कहना है कि मामले की तहकीकात की जा रही है. उसे थाने में ही क्यों तीन दिनों से रखा जा रहा था. इस बात की जानकारी ली जा रही है.साथ महिला के मौत के कारणों की जानकारी जुटाई जा रही है.
इस मामले के संदर्भ में कहा जा रहा है कि बीती 12 अगस्त को सोनी कुमारी की हत्या कर दी गई थी. संबंधित मामले में सोनी कुमारी के मायके वालों ने सोनी की ससुराल के छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था.छह में से एक सोनी की सास सोनमंती देवी आरोपी थी.इसके ऊपर बहु को जहर पिलाने का आरोप था. इस पर पुलिस ने सोनमंती देवी को 13 अगस्त को पकड़ कर थाने ले आई थी. बीती 13 अगस्त से वह थाने में ही थी. आरोप है कि सोनमंती देवी को उसके परिवार वालों से भी नहीं मिलने दिया जा रहा था.इस बीच 15 अगस्त को साढ़े तीन बजे सोनंमती देवी के परिजनों को भनक लगी की हाजत में ही सोनमंती ने दम तोड़ दिया है.महिला की मौत की सूचना पर नीमथू गांव के लोग भड़क गए. गांव के हर उम्र के लोग थाने पहुंच गए और थाने का घेराव कर गांव के लोग बवाल करने लगे.इधर सोनमंती देवी के पति का कहना है कि थाने के बड़ा बाबू ने जबरन हाथ पकड़ कर सादे कागज पर दस्तखत करा लिया है. वहीं उसकी बेटी का आरोप है कि पुलिस वालों ने उसकी मां को इतना मारा कि उसकी मौत हो गई.इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करने की जरूरत है.एक घर के दो लोगों की मौत का मसला है.
"कानून द्वारा शासित एक सभ्य समाज में कस्टडी में मौत सबसे बुरे अपराधों में से एक है। जब एक पुलिसकर्मी किसी नागरिक को गिरफ्तार करता है, तब क्या उसके जीवन के मौलिक अधिकार समाप्त हो जाते हैं? क्या नागरिक के जीवन के अधिकार को उसकी गिरफ्तारी के बाद निलंबित किया जा सकता है? वास्तव में, इन सवालों का जवाब ठोस तरीके से "नहीं" होना चाहिए।"
-डीके बसु बनाम सुप्रीम कोर्ट ऑफ वेस्ट बंगाल AIR 1997 SC 610. धारा 176 (1) सीआरपीसी में कहा गया है कि एक मजिस्ट्रेट, जिसे अप्राकृतिक मौत के मामलों में पूछताछ करने का अधिकार है, वह पुलिस अधिकारी द्वारा की जा रही जांच के अलावा मौत के कारणों की जांच कर सकता है.यह एक सामान्य, सशक्तीकरण का प्रावधान है, जो मजिस्ट्रेट को इस प्रकार की जांच करने का विवेक देता है. एक अन्य तथ्य यह है कि ऐसी पूछताछ या जांच कार्यकारी मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है.वहीं 2005 के संशोधन के बाद डाली गई धारा 176 (5) में मजिस्ट्रेट को इस तरह की जांच का अधिकार देती है, व्यक्ति की मृत्यु के 24 घंटे के भीतर, शरीर को निकटतम सिविल सर्जन के पास जांच के लिए भेज दिया जाए. यदि ऐसा करना संभव नहीं है, तो लिखित रूप में कारण दर्ज किए जाने चाहिए.
आलोक कुमार
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