Tuesday 28 January 2014

आपदा प्रबंधन विभाग की नजर ठंड से मरने वालों पर नहीं


पटना। कभी दिल्ली तो कभी जम्मू-कशमीर की ठंड से बेहाल होकर मौत को गले लगाने वालों पर आपदा प्रबंधन विभाग की नजर नहीं है। इसका परिणाम है कि 30 दिसम्बर,2013 से 27 जनवरी,2014 तक जारी विभाग के द्वारा रिपोर्ट को देखने से पता चलता है। इस संदर्भ में आलोचकों का कहना है कि सरकार की किरकिरी हो। इसके कारण ठंड से होने वाली मौत को दर्शाया ही नहीं जा रहा है।
अब तक प्रतिदिन अलाव जलाने की स्थान एवं संख्या में भागलपुर अव्वल है। यहां पर 125 जगहों पर व्यवस्था की गयी है। दूसरे स्थान पर पटना है। यहां पर 120 स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की गयी है। तीसरे स्थान पर रोहतास है। यहां पर 97 जगहों पर व्यवस्था की गयी है। सबसे कम 6 जगहों पर अलाव की व्यवस्था शेखपुरा में की गयी है। वहीं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आंवटित राशि 3 लाख में पटना गया बराबरी पर छूटे हैं। पूर्णिया को 2.50 लाख दिये गये है। अरवल और जहानाबाद को 25 लाख राशि आवंटित की गयी है। सूबे के 6806751 लोग प्रभावित हैं।
कुल 2133 संख्या में प्रतिदिन अलाव जलाने की व्यवस्था की गयी है। शीतलहर के प्रकोप से प्रभावित जनसंख्या 6806751 है। 30 दिसम्बर से अब तक 692463 किलोग्राम लकड़ी जला दिये गये। अभी तक मृतकों की संख्या शून्य है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 34.75 लाख रू. आवंटित किये गये है। इसके विरूद्ध अघतन 3359880 रू.व्यय किया गया है। रैन बसेरा की संख्या 26 है। इसमें 224 लोग रहते हैं। मात्र 1605 कम्बल वितरित किया गया है। नालंदा में 585, कैमूर में 396,रोहतास में 258,पूर्णिया में 200,खगड़िया में 100,सीतामढ़ी में 58 और मुजफ्फरपुर में 8 कम्बल वितरण किये गये।
आलोक कुमार