पटना। जब परिवार के मुखिया बीमार पड़ते हैं। तब परिवार के लोग असहाय हो जाते हैं। इसी तरह कुछ महादलित मुसहर जाति के केदार मांझी के साथ हुआ है। केदार बिस्तर पर गिरे तो फिर उठ नहीं सके। सोमवार को केदार मांझी का निधन हो गया। वे 60 साल के थे। अपने पीछे विधवा और बाल-बच्चों के साथ अनेकों रिश्तेदारों को छोड़ गये।

जीवनभर केदार मांझी संघर्ष करते रहे। ठेला चालन करके बच्चों को सही रास्ते पर पहुंचाया। इनके और इनकी पत्नी श्यामसखि देवी के प्रयास से 70 परिवार वाले दीघा मुसहरी में सुधीर कुमार मैट्रिक पास किया। इस तरह दोनों के पुत्र सुधीर कुमार मैट्रिक में उर्त्तीण करने का मुसहरी में रेकाड कायम किया। इसके पहले कोई भी मुसहर बच्चे और बच्चियां मैट्रिकोर्त्तीण नहीं हुए थे। इसके बाद सुधीर कुमार के अनुशरण करके कई अन्य लड़के और लड़किया मैट्रिक उर्त्तीणहो रहे हैं।
इस बीच केदार मांझी की पत्नी श्यामसखि देवी बीमार पड़ी। काफी दिनों तक कुर्जी होली फैमिली अस्पताल में इलाज कराया गया। काफी रकम खर्च करने के बाद श्यामसखि देवी मौत के मुंह से बच सकीं। एकतरफा लकवा मार दिया है। वह बोल नहीं सकती है। किसी तरह से चल फिर सकती हैं। तब केदार मांझी बीमार पड़े। परिजन समझकर कुर्जी होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराए कि मां की तरह ही पिता भी ठीक हो जाएंगे। पर विधि के विधान में कुछ और ही लिखा गया था। जब केदार बीमार पड़े और बिस्तर पर गिरे तो फिर उठ नहीं सके। रोते हुए सुधीर मांझी कहते कि पिता केदार मांझी को गंगा किनारे ले जाकर दाह संस्कार करेंगे। इस मौत से दीघा मुसहरी में मातम छा गया है।
आलोक कुमार