Saturday 5 April 2014

रेलवे के द्वारा निर्धारित लक्ष्मण रेखा को पार करने की मजबूरी



पटना। नन्हें बच्चे भारत माता की तुम्ही तकदीर हो। नाज करेगी दुनिया जिस पर तुम ऐसी तस्वीर हो। यह नारा प्राथमिक विघालय, टेसलाल वर्मा नगर, नहर पर, प्रखंड-दानापुर,पटना के बोर्ड में लिखा गया है। यहां के बच्चे जमीन पर बैठकर दिशा की ज्ञान अर्जित करते हैं। यहां कक्षा के अनुसार बच्चों की पहचान नहीं की जाती है। दिशा के अनुसार पहचान की जाती है। मसलन पहला क्लास के बच्चे पूरब हैं। द्वितीय क्लास के बच्चे पश्चिम हैं। तृतीय क्लस के बच्चे उत्तर और चतुर्थ क्लास के बच्चे दक्षिण हैं। पांचवी कक्षा के बच्चे मध्य हैं।
टेसलाल वर्मा नगर में झोपड़पट्टी में रहने वाले लोगों ने अपने मासूम बच्चों को पढ़ाने के लिए झोपड़ी बनाए थे। इसके बाद सरकार ने झोपड़ी में ही प्राथमिक विघालय खोल दिए। फिलवक्त स्थिति यह है कि दीघा नहर और रेलवे के द्वारा निर्मित दीवार के मध्य में प्राथमिक विघालय है। उस समय खाली जमीन थी। जो बहुत गढ्डा था। श्रमदान से भरा गया। बहुत भरा नहीं जा सका। इसी के कारण स्टेपनुमा प्राथमिक विघालय गढ्डे में ही संचालित है। एक हॉलनुमा विघालय है। एक से पांच कक्षा तक की पढ़ाई होती है। इसी में बच्चे अध्ययनरत हैं। किसी वर्ग बच्चे पूरब, तो कोई पश्चिम, कोई उत्तर, तो कोई दक्षिण और कोई मध्य में बैठकर पढ़ते हैं। तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि ये देश के नौनिहाल किस तरह से अध्ययन करते होंगे?
एक तो आरंभिक काल से ही पीड़ा बच्चे और शिक्षक उठाते रहे हैं। अब उनके पीड़ा को पूर्व मध्य रेलवे ने बढ़ा दिया है। संभावित दुर्घटनाओं को टालने के उद्देश्य से पूर्व मध्य रेल ने दीवार खड़ी कर दी है। यह इस लिए कि किसी तरह से नवनिर्मित पाटलिपुत्र स्टेशन को लोगों की भीड़ से बचाया जा सके। उसने मोटी लक्ष्मण रेखा तैयार करवा दिया है। जेसीबी मशीन के सहारे रेलवे खंड से सटे निर्मित झोपड़ियों को ढाहकर मोटी दीवार वाली लक्ष्मण रेखा के अंदर लोगों को ढकेलने में कामयाबी हासिल कर लिया है। इसमें प्राथमिक विघालय भी रेखा के अंदर गयी है। अन्य लोगों की तरह ही काफी मुश्किल से टीचर और बच्चे गढ्डे में निर्मित प्राथमिक विघालय में जाते हैं। अन्य की तरह ही कुछ ईंट लगाकर सीढ़ी बनाया गया है। उसी सीढ़ी के माध्यम से लोग विघालय में आवाजाही किया करते हैं।
दानापुर प्रखंड में प्राप्त जानकारी के अनुसार अनेकों विघालय है। जहां विघालय भवन नहीं है। इसमें टेसलाल वर्मा नगर का भी प्राथमिक विघालय शुमार है। अभी तक प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के द्वारा विघालय भवन उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। यहां की प्रभारी शिक्षिका का कहना है कि कई दफा आवेदन लिखकर गुहार लगा चुके हैं। परन्तु इस गुहार के आलोक में कार्रवाई नहीं की जाती है। अब तो यह हाल है कि टेसलाल नगर के भूमिहीनों का कथन है कि किसी भी हाल में प्राथमिक विघालय को स्थानान्तरण करने नहीं देंगे। जबतक सरकार हम भूमिहीनों को भूमि देकर पुनर्वास नहीं करा देती है। अब देखना है कि भूमिहीनों को पुनर्वास होता है कि बिना पुनर्वास किए ही विघालय का स्थानान्तरण कर दिया जा रहा है।

आलोक कुमार

No comments: