Monday 3 April 2017

संत पिता जोन पौल द्वितीय है पूर्व की तरह

संत पिता जोन पौल द्वितीय है पूर्व की तरह
कब्र से निकालने के बाद पता चला



वाटिकन सिटी,(वीआर सेदोक)रू संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को अर्जेंटीना के अपने एक पुराने मित्र रब्बी अब्राहम स्कोरका तथा पवित्र धर्मग्रंथ ‘तोरह’ के नये संस्करण की प्रस्तुतिकरण के अवसर पर उपस्थित 89 यहूदी प्रतिनिधियों से, वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की तथा कहा कि यह प्रकाशन मात्र अपने आप में विभिन्न देशों, उम्र और धर्मावलम्बियों के बीच व्यवस्थान का फल है।

यहूदी प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों को सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ″मैं आपलोगों के इस विचारशील भाव के लिए कृतज्ञ हूँ जिसने आज हमें तोरह के चारों ओर एक साथ लाया है जो हमारे लिए प्रभु का उपहार है उनकी प्रकाशना एवं उनकी पवित्र वाणी।″  

यहूदियों के पवित्र धर्मग्रंथ ‘तोरह’ पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने संत पापा जोन पौल द्वितीय के कथन की याद की तथा कहा, ″संत पापा जोन पौल द्वितीय ने इसे जीवन्त ईश्वर की जीवित शिक्षा कही थी जो ईश्वर के पिता तुल्य एवं अत्यधिक प्रेम को प्रकट करता है जिसे शब्दों एवं ठोस चिन्ह द्वारा प्रकट किया गया है और यही प्रेम व्यवस्थान बन जाता है।″ उन्होंने कहा कि व्यवस्थान एक ऐसा शब्द है जो हमें एक साथ लाता है। ईश्वर सबसे महान हैं तथा व्यवस्थान के सबसे निष्ठावान भागीदार। उन्होंने अब्राहम को बुलाया ताकि एक जाति का निर्माण कर सके और उनके द्वारा पृथ्वी पर सभी लोगों को आशीर्वाद प्राप्त हो। ईश्वर एक ऐसी दुनिया चाहते हैं जहाँ स्त्री एवं पुरूष उनके व्यवस्थान से जुड़े हों और जिसके परिणाम स्वरूप वे सृष्टि के साथ एवं आपस में सौहार्द पूर्वक जी सकें। मानव के उन बहुत सारे शब्द के बीच जो विभाजन एवं बदले की भावना लाते हैं, व्यवस्थान का यह पवित्र वचन, एक साथ चलने हेतु अच्छाई का रास्ता खोल दे।

संत पापा ने यहूदियों एवं ख्रीस्तीयों के आपसी संबंध पर दृष्टिपात करते हुए कहा कि दोनों के बीच वार्ता अब अच्छी तरह से स्थापित हो चुका है। उन्होंने इस मुलाकात को वार्ता का हिस्सा मानते हुए उसे उपहार के रूप में स्वीकार किया।

तोरह के नये संस्कारण पर गौर करते हुए संत पापा ने कहा कि इसके व्यापक परिचय एवं संपादकीय प्रकथन में तोरह के आध्यात्मिक संदेश को लेते हुए, संवादात्मक दृष्टिकोण, खुलेपन, आपसी सम्मान और शांति पर जोर दिया गया है। संत पापा ने तोरह के इस नये संस्करण के प्रकाशन में योगदान देने वाले सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया एवं उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्ति की।

ज्ञात हो कि प्रचीन विधान के प्रथम पाँच ग्रंथों को बाईबिल के इब्रानी संस्करण में ‘तोरह’ कहा जाता है जिसका अर्थ है संहिता। इसका कारण यह है कि इन पाँच ग्रंथो में मुख्यतः यहूदियों के  विधि निषेध दिये गये हैं।

आलोक कुमार

No comments: