Monday 3 April 2017

नेतृत्व भरते हैं और नेतृत्व चमकता नहीं


संस्था चलाने वाले मिशनरियों के हाथ नेतृत्व निखारना
एक नहीं दर्जनों राह से गुजारते हैं ईसाइयों

पटना. सवाल ईसाइयों को स्वर्ग लोक में पहुंचाना है. सरकार के द्वारा आम लोगों का कल्याण और विकास करना है इसके आलोक में योजना बनायी जाती है. हर समुदाय का ख्याल किया जाता है. उसी तर्ज़ पर संस्था चलाने वाले मिशनरी भी अग्रसर हैं . फर्क यह है कि मिशनरी लोगों को स्वर्ग लोक में पहुंचाने को तव्वजों देते हैं . बचपन से लेकर पचपन वय वालों को दलदल में विभक्त कर प्रशिक्षित करते रहते हैं . मजे की बात है प्रशिक्षण के बाद ईसाई समुदाय का नेतृत्व चमकता नहीं.
धर्म शिक्षा क्लास, क्रूस वीर, वेदी सेवक, गीत मंडली, नवयुवक संघ, वाईसीएस,एलटीएस,आईकफ, संत विंसेंट डी पौल समाज, महिला संघ, पल्ली परिषद,ख्रीस्तीय दंपति परिवार, सीनियर सिटीजन, घरेलू कामगार यूनियन, मजदूर समाज, क्रिश्चियन यूनिटी फोरम आदि . इनका आध्यात्मिक सलाहकार बनकर नियंत्रित करते हैं . इनका सीधे नियंत्रण अध्यक्ष ,सचिव आदि पदधारकों पर रहता है.
अब ईसाई समुदाय भी नेतृत्व करना चाहते हैं . जीवन पथ पर बढ़ना चाहते हैं. खुद ही संस्था खोल रहे हैं . अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से बढ़ नहीं पाते हैं . राजनीतिक दलों में जा रहे हैं . आरएसएस का भय दिखाकर बीजेपी से दूरी रखने की वकालत करने वाले बीजेपी के जनप्रतिनियों से योजना घपाघप लेते रहते हैं .
अब तो ईसाई समुदाय कहने लगे हैं स्कूलों में नामांकन , ट्रेनिंग में एडमिशन, सुनिश्चित नौकरी हो. शिक्षा का अधिकार के तहत ईसाई बच्चों का नामांकन फ्री हो.जिस स्कूल में बच्चे अध्ययनरत हैं वहीं से बच्चे स्कूल पास हो.
मिशनरियों की सर्पाेट रोल से अलग चलने वालों को सबक सिखाने से बाज नहीं आते.वहीं मिशनरी सेवक है तो तलवार की नौंक पर नौकरी है.मनमर्जी से नौकरी से बाहर कर देते हैं . इसके विरूद्ध श्रमिक श्रम न्यायालय में जीवन भर केस लड़ते रह जाता है.अभी एंड्रु आंजिलों लड़ रहे हैं . संत जेवियर हाई स्कूल से नौकरी निकाला हैं दृ
वहीं पैरिश कार्य में लगे यूथ का भविष्य और परिवार भी हैं। यूथ को कार्य में लगाने वाले मिशनरियों को चाहिए कि ऐसे लोगों को अवसर प्रदान करें जो भविष्य और परिवारजनों के हित में हो. ऐसा करने से अधिक से अधिक यूथ जुड़ेंगे और अन्य कार्य में गुमराह नहीं होंगे।
आलोक कुमार


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