Sunday, 15 May 2022

संत देवसहायम पिल्लाई

 रोम.आज संत पिता फ्रांसिस ने 10 नये संतों के नामों की घोषणा कर दी. उनका नाम इस प्रकार हैं- संत देवसहायम पिल्लाई, संत चेसर दी बुस, संत लुइजी मरिया पालाजोलो, संत चार्ल्स दी फौकल्ड,  संत जुस्तिनो मरिया रूसोलिलो, संत तितुस ब्रैंडस्मा, संत अन्ना मरिया रूबातो, संत मरिया दोमेनिका मंतोवानी, संत मरिया रिवियर और संत करोलिना संतोकनाले.संत पापा ने कहा, ‘ख्रीस्त जो हमारे भाई-बहनों में दुःख सहते हैं उनका स्पर्श करें और उन्हें देखें। यह बहुत महत्वपूर्ण है.जीवन देना यही है.यह स्वार्थ से ऊपर उठना है, दूसरों की आवश्यकता को देख पाना जो हमारे बगल में चल रहे हैं, उन लोगों के साथ समय बिताना जिन्हें हमारी आवश्यकता है, शायद थोड़ा सुनने, समय देने, एक फोन कोल करने के द्वारा। संतता थोड़े साहसिक भावों से नहीं बनते बल्कि दैनिक जीवन के बहुत सारे प्यार से।‘संत पापा ने समर्पित महिलाओं और पुरूषों को सम्बोधित कर कहा, ‘अपना दान खुशी से देकर पवित्र बनें.‘

विवाहित लोगों से संत पापा ने कहा, ‘अपने पति अथवा पत्नी को प्यार करें एवं उसकी देखभाल कर पवित्र बनें, जैसा कि ख्रीस्त ने कलीसिया से प्रेम किया.‘नौकरी करने वालों से उन्होंने कहा क्या आप काम करनेवाले हैं? अपने कामों को भाई-बहनों की सेवा के मनोभाव से ईमानदारी और दक्षता से पूरा करने के द्वारा पवित्र बनें, अपने साथियों के न्याय के लिए संघर्ष करें ताकि वे बेरोजगार न रहें, ताकि हमें हमेशा उचित वेतन मिल सके. क्या आप माता-पिता अथवा दादा-दादी हैं? बच्चों को धीरज से येसु का अनुसरण करने की शिक्षा देकर पवित्र बनें.क्या आप एक अधिकारी हैं? सार्वजनिक भलाई के लिए संघर्ष करने एवं व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग करने के द्वारा आप पवित्र बनें. यही संत बनने का रास्ता है, अत्यन्त सरल, दूसरों में हमेशा येसु को देखना है.

सुसमाचार एवं भाई-बहनों की सेवा करना, बिना कुछ पाये ही अपना जीवन दूसरों के लिए अर्पित करने का अर्थ है, दूसरों से पाने की आशा किये बिना देना, दुनियावी महिमा की खोज नहीं करना, यही राज है, जिसके लिए हम सभी बुलाये गये हैं. हमारे सहयात्री जो आज संत घोषित हुए, उन्होंने इसी तरह जीया, उत्साह पूर्वक अपनी बुलाहट को अपनाया, कुछ पुरोहित के रूप में, कुछ समर्पित लोगों के रूप में और कुछ लोकधर्मी के रूप में, अपना जीवन सुसमाचार के लिए अर्पित किया, उन्होंने एक ऐसे आनन्द की खोज की जिसकी तुलना नहीं की जा सकती है वे इतिहास में प्रभु के प्रकाशमान प्रतिबिम्ब बन गये. हम भी उस रास्ते पर चलने का प्रयास करें जो बंद नहीं है, एक वैश्विक रास्ता है, हम सभी के लिए एक बुलावा है. यह बपतिस्मा से शुरू होता है. आइये, हम इसपर चलने का प्रयास करें क्योंकि हम सभी संत बनने के लिए बुलाये गये हैं, अद्वितीय और अपरिवर्तनीय पवित्रता के लिए बुलाये गये हैं.पवित्रता हमेशा वास्तविक है, धन्य कार्लो अकुतिस ने कहा है रू फोटोकॉपी पवित्रता नहीं है, यह मेरा है, आपका है और हम सबका है.प्रभु के पास हम सबके प्रेम की योजना है, उनके पास हमारे जीवन का सपना है। हम इसे ग्रहण करें और आनन्द के साथ अपनायें.


आलोक कुमार

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