Sunday 1 February 2015

इस मकड़जाल से उपभोक्ताओं को कौन निकालेगा?


सिंगल और डबल वाले उपभोक्ता भी परेशान होते हैं

पटना। इण्डेन से संबंधित है मगध इंटरप्राइजेज। यहां के वितरक द्वारा उपभोक्ताओं को बैकलॉग की कहानी बतायी जाती है। हां, यहां पर 10 दिनों का बैकलॉग है। इसे जल्द से जल्द खत्म कर देंगे। तब समय पर उपभोक्ताओं को गैस मिलने लगेगी। वितरक द्वारा प्रसारित इस कहानी को वेंडर भी तोता की तरह रट लिए हैं। इसके आलोक में वेंडर उपभोक्ताओं से नाजायज वसूली करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

समय पर उपभोक्ताओं को गैस नहीं मिलने का कारणः बैकलॉग चल रहा है। समय से गैस नहीं आने के कारण उपभोक्ताओं को समय पर गैस उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं।यह तो नियम है कि एल.पी.जी. आपूर्ति करने के 21 दिनों के बाद ही नम्बर लगाना है। सो आप नम्बर लगा दिए हैं। तब इंतजार करें। वेंडर से मुलाकात कर लें। उससे मोबाइल नम्बर ले लें। मोबाइल से बात करने पर आजकल आपूर्ति करने की बात की जाती है। इसके उपभोक्ता का स्वीच ऑफ है। कवरेज एरिया से बाहर है। दर्जनों बार फोन करने के बाद ही गैस दी जाती है। दर्जनों बार फोन करने का मतलब 12 दिनों का समय बर्बाद कर देना है। इस पर वितरक के द्वारा किसी तरह की कार्रवाही वेंडर के ऊपर नहीं किया जाता है।

इस उपभोक्ता को 49 दिनों के बाद मिलाः इस उपभोक्ता ने मगध इंटरप्राइजेज में 4 जनवरी, 2015 को नम्बर लगाए। आप उपभोक्ता की परेशानी समझ सकते हैं। इस उपभोक्ता ने नियमानुसार 21 दिनों के बाद नम्बर लगाया। उसे 28 दिनों तक इंतजार करवाया गया। आप सहज ढंग से उपभोक्ता की परेशानी समझ सकते हैं। एक सिलिंडर के लिए 49 दिनों तक इंतजार करना पड़ा। कई बार मोबाइल से वेंडर से आग्रह करने के बाद ही 1 फरवरी को शुभ मुहर्त्त निकला। इस ओर वितरक के द्वारा किसी तरह की कार्रवाई वेंडर पर नहीं किया जाता है।

इण्डेन के आदेशों को हवा में उड़ा देते हैं वेंडरः आदेश है उपभोक्ताओं को वितरक गोदाम से गैस वितरण नहीं करेंगे। वितरक को वेंडर रखना होगा। इस तरह वेंडर होम डिलिवरी किया जाता है। उपभोक्ताओं को तयशुदा स्थान पर बुलाकर वेंडर गैस सिलिंडर वितरण कर देता है। अपनी जिम्मेवारी से सिलिंडर को घर लाए। रास्ते में किसी तरह की वारदात हो जाए तो सारी जिम्मेवारी उपभोक्ताओं के कंधे पर ही लाध दिया जाता है।

सरकार की नहीं वेंडरों की चलती हैः भले ही सरकार ने एल.पी.जी.की दर निर्धारित कर दी है। उससे वेंडरों पर फर्क नहीं पड़ता है। अभी सरकार द्वारा निर्धारित दर है नन लिंककेज 444.49 पैसा में और बैंक से लिंककेज 825 रू.में है। अब 1 फरवरी से 717.50 पैसा कर दिया गया है। बैंक से लिंककेज करने वालों को सरकार सब्सिडी दे रही है। अभी वेंडर नन लिंककेज की दर 444.49 पैसा पर 460 रू. और बैंक से लिंककेज की दर 825 रू. पर 860 रू. बटोर रहे हैं।

बहती गंगा में हाथ धोते वेंडर और वितरकः वितरक के द्वारा मामूली रकम देकर वेंडरों को रखा जाता है। जब वेंडर ठेला निकालते हैं। उसमें वितरक के द्वारा वेंडर को निर्धारित कीमत पर अतिरिक्त एक सिलिंडर देते हैं। जो वेंडर मांग करने वाले उपभोक्ता से मनमानी रकम वसूलता है। अभी खुलेआम कालाबाजार में एक हजार रू. में रिफिल गैस सिलिंडर बेचा जा रहा है। बात केवल एक का नहीं है। एक वेंडर रोजाना दर्जनों रिफिल गैस सिलिंडर को बेच देते हैं। इसी कारण से वास्तविक उपभोक्ताओं को सही समय पर गैस मिल नहीं पाती है। इस मकड़जाल से उपभोक्ताओं को कौन निकालेगा? सिंगल और डबल वाले उपभोक्ता भी परेशान होते हैं


आलोक कुमार  

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