Monday 31 July 2023

2017 से ही सहरसा में ‎उठ रहा एम्स का मुद्दा‎

 पूर्व सांसद आनंद मोहन की मानें, तो सहरसा के ज्वलंत मुद्दे जैसे AIIMS, ओवरब्रीज, एयरपोर्ट, इंजीनियरिंग कॉलेज, सहरसा नाम से लोकसभा क्षेत्र न होना आदि मांगों को लेकर बंद का आह्वान किया गया था, जिसका सभी दलों के नेताओं ने समर्थन दिया.उन्होंने कहा कि ये पुरखों की देन थी किआजादी के बाद सहरसा लोकसभा था। लेकिन आज लोकसभा भी नहीं रहा, जो लोगों को सालता रहा और टीस देता रहा। उसी आक्रोश में बंद किया गया....

 सहरसा.यह‎ पहला मौका है जब सहरसा की‎ उपेक्षा पर लोग एकजुट होकर‎ सहरसा बंद में शामिल हुए.विकास के नाम पर सहरसा की निरंतर‎ उपेक्षा को लेकर बीते महीने पहली बार ‎एम्स निर्माण संघर्ष समिति की बैठक‎ में पहुंचे पूर्व सांसद आनंद मोहन ने‎ इस सवाल को लेकर 31 जुलाई को‎ सहरसा बंद की घोषणा की थी.

      पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन 14 साल की सजा काटने के बाद को 27 अप्रैल 2023 को तड़के 4.30 बजे जेल से रिहा कर दिया गया.बता दें कि रिहाई के बाद से पूर्व सांसद आनंद मोहन पूरी तरह से एक्टिव हैं.आज सोमवार को आनंद मोहन सहरसा की सड़क पर रहे, सहरसा बंद बुलाया है. सहरसा में एम्स, एयरपोर्ट, पारवर ग्रिड बनवाने की मांग को लेकर बंद बुलाया गया है.

     पूर्व सांसद आनंद मोहन की मानें, तो सहरसा के ज्वलंत मुद्दे जैसे AIIMS, ओवरब्रीज, एयरपोर्ट, इंजीनियरिंग कॉलेज, सहरसा नाम से लोकसभा क्षेत्र न होना आदि मांगों को लेकर बंद का आह्वान किया गया था, जिसका सभी दलों के नेताओं ने समर्थन दिया.सोमवार को बंद का आह्वान किया गया, जिसका व्यापक असर देखने को मिला.बाजार सहित वाहनों का परिचालन बंद रहा.इस बंद को विभिन्न पार्टियों और संगठनों ने अपना समर्थन दिया.इस दौरान आंदोलन में पूर्व सांसद लवली आनंद, स्थानीय भाजपा विधायक आलोक रंजन, पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना,भाजपा जिलाध्यक्ष दिवाकर सिंह सहित आरजेडी, जेडीयू, बीजेपी,लोजपा एवं लेफ्ट पार्टियों के कार्यकर्ता अपनी पार्टी झंडे के साथ सड़क पर एम्स के लिए नजर आए.

    बड़ी बात ये है कि इस आंदोलन को सभी पार्टियों का साथ मिला है. सड़क पर आनंद मोहन के साथ आरजेडी, जेडीयू, बीजेपी, लेफ्ट पार्टियों के कार्यकर्ता अपनी पार्टी झंडे के साथ नजर आ रहे हैं.इस दौरान आनंद मोहन ने कहा कि ये दलगत राजनीति से ऊपर का आंदोलन है.ये बंद नहीं है, बल्कि अगली जीत का जश्न है.उन्होंने कहा कि तकरीबन एक महीने से इस आंदोलन को लेकर सभी जगह जाकर लोगों का समर्थन मांगा. पहले AIIMS निर्माण समिति के बैनर तले इस आंदोलन को लड़ा जा रहा था.

       इस दौरान उन्होने ये भी कहा कि जो भी पार्टी इस आंदोलन में समर्थन नही देगी, उसे सहरसा की जनता बैकफुट पर ले आयेगी.सहरसा बंद में शामिल बीजेपी विधायक आलोक रंजन ने बिहार सरकार पर सहरसा का अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए सहरसा की जगह दरभंगा में AIIMS खोलने का आरोप लगाया.पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना ने सहरसा में AIIMS न होने के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया.

      सहरसा बंद को लेकर सुरक्षा ‎के पुख्ता इंतजाम प्रशासनिक स्तर पर ‎किए गए हैं. रेलवे ने भी रेल चक्का ‎जाम करने की सुगबुगाहट को देखते‎ हुए अपनी सतर्कता बढ़ा दी है.सुबह खुलने वाली बसें भी स्टैंड पर ही रुकी रहीं.हर संगठन का साथ बंद को मिला.कई दर्जन बैठकें और जगह-जगह‎ सभाएं की. यह कारवां बढ़ता गया ‎और अब सहरसा में एम्स स्थापना ‎समेत अन्य मुद्दे आम लोगों की जुबां ‎पर आ गए हैं.


2017 से ही सहरसा में ‎उठ रहा एम्स का मुद्दा‎

सहरसा में एम्स की स्थापना को‎ लेकर साल 2017 से आंदोलन चल‎ रहा है.सहरसा में दूसरे एम्स निर्माण‎ की मांग को लेकर पटना हाईकोर्ट में ‎लोकहित याचिका भी दायर है.20 ‎मार्च 2023 को इस मामले में सुनवाई हुई थी.इसमें बताया गया था कि डीएम ने साल 2017 में ही ‎एम्स निर्माण के लिए 217.74 एकड़ ‎जमीन सतरकटैया अंचल के ‎गोबरगढ़ा में उपलब्ध होने की ‎जानकारी राज्य सरकार को दी थी.सहरसा आनंद मोहन की कर्मभूमि और जन्मभूमि है.पंचगछिया में उनका जन्म हुआ था. राजनीति में आनंद मोहन की एंट्री 1990 में हुई. तब पहली बार सहरसा से वो MLA बने थे.डीएम हत्या मामले में सजा होने के बाद अधिकतर वक्त उन्होंने सहरसा जेल में ही काटा था.

आलोक कुमार

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