Thursday 17 October 2013

ससुराल से लौटने के बाद आंख की रोशनी खो दी


                           

रामजतन पासवान ने अपने पुत्र हरिराम पासवान का इलाज करवाना शुरू कर दिया। घर के द्वार पर बांधे भैंस को बेच दिया। जहानाबाद के नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों से हरिराम पासवान को दिखाया। चिकित्सकों ने सिर के नस सूख जाने की बात कहने लगे। यह इलाज मंहगी है। जो साधारण खेतिहर मजदूर के पाले की बात नहीं है। आज घर में ही एकांतवास करने को हरिराम पासवान बाध्य है। अभी वह 35 साल का है।

 मखदुमपुर। यह जानकर और पढ़कर आश्चर्य में पड़ जाएंगे। एक नौजवान शादी रचाता है। शादी के बाद नव नवेली दुल्हन ससुराल आती हैं। कुछ दिनों के बाद दुल्हा राजा के परिजनों ने दुल्हन रानी को विदा करके मैयके पहुंचा देते हैं। इसके बाद दुल्हा राजा ससुराल जाते हैं अपनी दुल्हन को लाने के लिए। वहां पर कुछ दिन रहते हैं। अपने साथ दुल्हन नहीं ला सकने के कारण घर वापस हो जाते हैं। अपने घर में ही तीन-चार दिन रहने के बाद दुल्हा राजा की आंख की रोशनी जाने लगती है। उसके बाद दोनों आंख से दिखायी देना ही बंद हो गयी। इस प्रत्याशित हादसा के बाद दुल्हा बनने के बाद धृतराष्ट बन जाने से दुल्हन के पिता ने मौका ताड़ा और जो भी दहेज राशि और समान दिये गये थे सब समान बटौर कर घर ला लिये। इसके बाद बेटी की शादी भी अन्यत्र कर दिये।

जी हां, यह सच्ची घटना जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड में पड़ने वाले मनियावां ग्राम पंचायत का है। इस पंचायत में दौलतपुर गांव है। यहां पर बहुसंख्यक हिन्दु और अल्पसंख्यक मुस्लिम लोग मेलमिलाप से रहते हैं। आपस में धर्म अथवा जाति को लेकर झंगड़ा नहीं करते हैं। इतना तो जरूर है कि दौलतपुर गांव के बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग गांव के नाम की तरह दौतलमंद नहीं है। केवल गांव के नाम से ही दौलतपुर में रहने वाले हैं कहकर संतोष कर जाते हैं। तब रामजतन पासवान के पुत्र हरिराम पासवान को बचपन में पोलियो मार दिया और अब जवानी में आंख की रोशनी गायब हो गयी है। ठीक तरह से इलाज नहीं हो सकने के कारण घर में ही एकांत जीवन बीताने को बाध्य हो रहे हैं। हरदम घर के अंदर ही रहते हैं। पिताजी के बुलाये पर ही घर के बाहर निकलते हैं। इनके पास मनोरंजन का साधन भी नहीं है। इसके कारण चेहरे से ही पता चल जाता है कि मनोरोग के शिकार हो गये हैं।

 अपने बारे में रामजतन पासवान ने खोल-खोलकर कहना प्रारंभ किया कि रामजतन पासवान प्रारंभ में रामानंद यादव के पास बंधुआ मजदूर थे। इनको रामानंद यादव 12 कट्टा खेत दिये थे। इसी खेत में रामजनत पासवान और उनकी पत्नी राधिका देवी मेहनत करके फसल पैदा करती थीं। खेत से निकले अनाज से परिवार का लालन-पालन किया करते थे। इनके सीयाराम पासवान और हरिराम पासवान पुत्र हैं। इसके पश्चात यकायक राधिका देवी बीमार हो गयी। गांवघर के झोलाछाप चिकित्सकों ने राधिका देवी को पीएमसीएच रेफर किया गया। पीएमसीएच जाने के पहले ही राह राधिका देवी दम तोड़कर परलोक सिधार गयीं।

 इसके बाद किसी तरह से रामानंद यादव के चंगुल से निकलने में रामजतन पासवान सफल होे गया। इस तरह रामजतन पासवान बंधुआगीरी के दास्ता से मुक्त हो गया। खेतिहर मजदूर की तरह खेत में काम करने लगा। मनरेगा में भी काम करने लगा। कुछ पैसा जमा करके रामजतन पासवान ने बचपन में पोलियो के शिकार हो गये हरिराम पासवान की शादी 2009 में रचा दी। धनरूआ थाना के बारी बीघा पंचायत में स्थित हसनपुरा में रहने वाले जुगल पासवान की पुत्री नीतू कुमारी के संग हरिराम पासवान का विवाह हुआ। दहेज में 15 सौ रू., पलंग और पेटी मिला था। दौलतपुर से हसनपुरा बारात गयी थी। हसनपुरा से शादी करके हरिराम पासवान के परिजनों ने दुल्हन नीतू देवी को दौलतपुर ले आये। कुछ दिन रखने के बाद दुल्हन नीतू देवी को दुल्हा हरिराम पासवान के परिजनों ने विदा करके हसनपुर पहुंचा दिया। कुछ दिनों तक मन को मना लेने के बाद दिल पागल बनने के पहले दुल्हा हरिराम पासवान ने दुल्हन को लाने हसनपुर जा पहुंचा। मगर हरिराम पासवान के ससुराल वालों ने नीतू देवी को साथ में आने नहीं दिये। मन मायुष करके वापस हरिराम पासवान दौलतपुर गया। घर में 3-4 दिन रहने के बाद हरिराम शिकायत करने लगा कि आंख की रोशनी गायब हो रही है। इसके बाद आंख की रोशनी गायब हो गयी।

यह खबर जंगल में आग की तरह प्रसार होने पर हसनपुर से जुगल पासवान आये और दहेज में राशि और समान की वापसी कर देने की मांग करने लगे। ऐसा नहीं होने पर केस दायर करने की धमकी भी देने लगे। हारकर रामजतन पासवान ने राशि और समान जुगल पासवान को वापस कर दिये। कुछ माह के बाद जुगल पासवान ने अपनी नवविवाहिता नीतू देवी की शादी अन्य जगहा में जाकर कर दी।

 इस सदमे के बीच में रामजतन पासवान ने अपने पुत्र हरिराम पासवान का इलाज करवाना शुरू कर दिया। घर के द्वार पर बांधे भैंस को बेच दिया। जहानाबाद के नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों से हरिराम पासवान को दिखाया। चिकित्सकों ने सिर के नस सूख जाने की बात कहने लगे। यह इलाज मंहगी है। जो साधारण खेतिहर मजदूर के पाले की बात नहीं है। आज घर में ही एकांतवास करने को हरिराम पासवान बाध्य है। अभी वह 35 साल का है।


आलोक कुमार