Monday 15 May 2017

फ्लोरेन्स नाइटिंगेल का 197 वां जन्मोत्सव

पटना। आधुनिक नर्सिंग की जननी हैं फ्लोरेन्स नाइटिंगेल। प्रत्येक साल 12 मई को विश्वभर में नर्सिंग दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म 12 मई 1820 में हुआ। 90 साल की अवस्था में 13 अगस्त 1910 को परलोक सिधार गयीं। संसार भर में
फ्लोरेन्स नाइटिंगेल का 197 वां जन्मोत्सव के अवसर पर उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया गया।

हां, नर्सिंग पेशे से जुड़े हुए लोगों ने उनको आधुनिक नर्सिग आन्दोलन का जन्मदाता माना है। सच में दया व सेवा की प्रतिमूर्ति थीं फ्लोरेंस नाइटिंगेल। उनको आदर और सम्माने दिया गया ‘द लेडी विद द लैंप’ यानी दीपक वाली महिला। दीपक के सहारे ही मरीजों की सेवा कार्य करती थीं। इस कृत्य के बल पर दीपक वाली महिला के नाम से प्रसिद्ध हो गयीं। इनका जन्म एक समृद्ध और उच्चवर्गीय ब्रिटिश परिवार में हुआ। लेकिन उच्च कुल में जन्मी फ्लोरेंस ने सेवा कार्य का ही मार्ग चुना। मात्र 25 साल की उम्र में 1845 में परिवार के तमाम विरोधों व क्रोध के पश्चात भी उन्होंने अभावग्रस्त लोगों की सेवा का व्रत लिया। जब 24 साल की थीं तो दिसंबर 1844में उन्होंने चिकित्सा सुविधाओं को सुधारने बनाने का कार्यक्रम आरंभ किया था। बाद में रोम के प्रखर राजनेता सिडनी हर्बर्ट से उनकी मित्रता हुई।

सेंट मार्गरेट’स गिरजाघर के प्रांगण में फ़्लोरेंस नाइटेंगेल की है कब्र।नर्सिग के अतिरिक्त लेखन और अनुप्रयुक्त सांख्यिकी पर उनका पूरा ध्यान रहा। फ्लोरेंस का सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्रीमिया के युद्ध में रहा। अक्टूबर 1854 में उन्होंने 38 स्त्रियों का एक दल घायलों की सेवा के लिए तुर्की भेजा। इस समय किए गए उनके सेवा कार्याे के लिए ही उन्होंने लेडी विद द लैंप की उपाधि से सम्मानित किया गया। जब चिकित्सक चले जाते तब वह रात के गहन अंधेरे में  लालटेन जलाकर घायलों की सेवा के लिए उपस्थित हो जाती। लेकिन युद्ध में घायलों की सेवा सुश्रूषा के दौरान मिले गंभीर संक्रमण ने उन्हें जकड़ लिया था। 1859 में फ्लोरेंस ने सेंट थॉमस अस्पताल में एक नाइटिंगेल प्रक्षिक्षण विद्यालय की स्थापना की। इसी बीच उन्होंने नोट्स ऑन नर्सिग पुस्तक लिखी। जीवन का बाकी समय उन्होंने नर्सिग के कार्य को बढ़ाने व इसे आधुनिक रूप देने में बिताया। 1869 में उन्हें महारानी विक्टोरिया ने रॉयल रेड क्रॉस से सम्मानित किया। 90 वर्ष की आयु में 13 अगस्त 1910 को उनका निधन हो गया।

उनसे पहले कभी भी बीमार घायलो के उपचार पर ध्यान नहीं दिया जाता था किन्तु इस महिला ने तस्वीर को सदा के लिये बदल दिया। उन्होंने क्रीमिया के युद्ध के समय घायल सैनिको की बहुत सेवा की थी। वे रात-रात भर जाग कर एक लालटेन के सहारे इन घायलों की सेवा करती रही इस लिए उन्हें लेडी विथ दि लैंप का नाम मिला था उनकी प्रेरणा से ही नर्सिंग क्षेत्र मे महिलाओं को आने की प्रेरणा मिली थी। आधुनिक नर्सिंग की जननी फ्लोरेंस टाइटिंगल के जन्म दिवस है। पटना सदर के सीमांत पर है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मसौढ़ी में कार्यरत ए.एन.एम. स्वास्थ्यकर्मिंयों को डेढ़ साल से वेतनादि नहीं मिल रहा है। सूबे के संबंधित स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव को जलेबी छानसे से फुर्सत नहीं है। तो कभी बांसुरी का मजा उठाते रहते हैं। यहां तक महफिलों में जाकर गोपियों के लिए कृष्णा बन जाता हैं। इसके बाद कभी टेम्पों के कथित मसले में उलझ जाते हैं। महाराज आप स्वास्थ्य मंत्री हैं जनता और राज्यकर्मियों की सेहत बेहतर रखना कर्तव्य बनता है हुजूर। जरा ध्यान दीजिए अपने विभागीय ए.एन.एम. को नियमित वेतनादि निर्गत नहीं किया जा रहा है। तत्काल वेतनादि निर्गत करने का आदेश पारित कर दें। 

इसके अलावे वर्तमान समय में नर्सों की स्थिति बहुत ही खराब है। प्रदेश में नर्सों की कमी है। “नर्सों को बहुत तकलीफ है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। हम लोगों का प्रमोशन ही नहीं होता है’। वइीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में अमीर और ग़रीब दोनों प्रकार के देशों में नर्सों की कमी चल रही है।

आलोक कुमार

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