दानापुर।
पूर्व मुख्यमंत्री लालू
प्रसाद यादव ने
पर्चा दिया। साल
1987-1988 में 59 आवासहीनों को बंदोबस्ती
का पर्चा दिया।
लालू सरकार कब्जा
नहीं दिलाया। तब
पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार की सरकार
ने पर्चाधारियों को
जमीन पर कब्जा
दिलवाने का संकल्प
लिया। सरकार के
तब के राजस्व
एवं भूमि सुधार
मंत्री रमई राम
2010 से ही जमीन
पर कब्जा का
प्रयास शुरू कर
दिया। अब बदले
परिवेश में मुख्यमंत्री
जीतन राम मांझी
के अधिकारी जोरशोर
से कार्य करने
लगे हैं। 13 जून
2014 को दिन निर्धारित
कर दिया। उस
दिन 26 साल से
पर्चा थामकर रहने
वालों का भाग्योदय
होने वाला है।
इस दिन लोगों
की जमीन को
हाथ में सौंप
दिया जाएगा।
इस
निर्णय से लोग
खुश हैं। महिलाओं
ने हाथ पसार
कर जमीन की
सीमा बताया। स्व0
राजेन्द्र मांझी की पत्नी
मरछिया देवी, स्व0 बाबूलाल
मांझी के पुत्र
धुरखेली मांझी स्व0 बाबूलाल
मांझी के पुत्र
राम विलास मांझी,
स्व0 खेलावन मांझी
के पुत्र जामून
मांझी , स्व0 धनेष्वर
मांझी के पुत्र
रामा मांझी, स्व0
बुुलकन मांझी के पुत्र
राजेन्द्र मांझी, स्व0 चरित्र
मांझी के पुत्र
बुंदेला मांझी, स्व0 लोचन
मांझी के पुत्र
तूफानी मांझी, स्व0 लोचन
मांझी के अमरिका
मांझी, स्व0 चरित्र
मांझी के पुत्र
चैतू मांझी, स्व0
बुंदेला मांझी के पुत्र
चन्द्रदीप मांझी, स्व0 दसई
मांझी के पुत्र
रामचन्द्र मांझी, सुखू मांझी,
स्व0 शंकर मांझी
के पुत्र रामजी
मांझी और सोहन
मांझी के पुत्र
बहादुर मांझी आदि के
पास पर्चा या
रसीद है। अन्य
लोगों के पास
कागजात नहीं है।
सामाजिक
कार्यकर्ता और एकता
परिषद के कार्यकर्ता
नरेश मांझी के
पास 59 लोगों की सूची
है। उसमें दलित,
महादलित और पिछड़ी
जाति के लोग
हैं। कुछ पर्चा
के अनुसार कब्जा
कर पाने में
सफल हो गए।
इसमें महादलित मुसहर
समुदाय के ही
लोग पिछड़ गए
हैं। मजे की
बात है कि
अधिकांश लोगों के पास
दस्तावेज नहीं है।
सीओ कुमार कुंदन
लाल को कार्यालय
के खतियान से
सूची निकालकर लोगों
के बीच जमीन
वितरण करें। ऐसे
करने से जिनके
पास दस्तावेज है
और जिनके पास
दस्तावेज नहीं है।
सभी को जमीन
का सीमांकन करके
जमीन वितरण करने
में आसानी होगी।
आलोक
कुमार
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