बेतिया. पश्चिम चम्पारण के जिलाधिकारी, श्री कुंदन कुमार द्वारा जेई/एईएस की रोकथाम के लिए की जा रही तैयारियों की गहन समीक्षा कार्यालय प्रकोष्ठ में की गयी.जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि जेई/एईएस (मस्तिष्क ज्वर-चमकी बुखार) की रोकथाम के लिए पूरी तैयारी रखें.सभी पीएचसी को अलर्ट मोड में रखा जाय ताकि किसी भी विषम परिस्थिति में बच्चों की जान बचाई जा सके. किसी भी प्रकार की लापरवाही, कोताही एवं शिथिलता कतई बर्दाश्त नहीं की जायेगी.
उन्होंने कहा कि जिले के सभी पीएचसी में जेई/एईएस से बचाव के लिए सभी आवश्यक दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय.आवश्यक दवाओं के साथ-साथ पैरासिटामोल, ओआरएस, विटामिन ए सहित ग्लूकोज भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करायें। साथ ही पर्याप्त संख्या में एम्बुलेंस की व्यवस्था, डॉक्टर, नर्सेंज की उपस्थिति आदि की समुचित व्यवस्था सभी स्वास्थ्य संस्थानों में रहनी चाहिए. सिविल सर्जन एवं जिला मलेरिया पदाधिकारी स्वयं सभी कार्यों का नियमित अनुश्रवण एवं निरीक्षण करते रहेंगे.
उन्होंने कहा कि जेई/एईएस एक गंभीर बीमारी है, जो अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलती है. इसके रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाय. किसी भी सूरत में इलाज के अभाव में किसी भी बच्चे की जान नहीं जानी चाहिए.उन्होंने कहा कि जेई/एईएस को लेकर कंट्रोल रूम हमेशा फंक्शनल रहें तथा इसमें प्रतिनियुक्ति डॉक्टर एवं कर्मियों की उपस्थिति की जांच भी नियमित रूप से की जाय.
मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना अंतर्गत परिचालित एम्बुलेंस का प्रत्येक प्रत्येक पंचायत/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के साथ टैगिंग किया जाय. टैगिंग किये गये वाहनों एवं उनके संचालकों के मोबाइल नंबर पीएचसी सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शित किया जाय.
सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया कि जेई/एईएस की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन सहित ‘चमकी को धमकी‘ से संबंधित जानकारी का व्यापक स्तर पर बुकलेट, पम्फलेट, दीवाल लेखन, नुक्कड़ नाटक, फ्लेक्स, चैपाल आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित किया जाय.साथ ही हाउस-टू-हाउस सर्वे भी करायी जाय और अभिभावकों को जागरूक किया जाय. बच्चों के अभिभावकों को बताएं कि कोई भी बच्चा रात में भूखा नहीं सोए, इस बीमारी के कुछ भी लक्षण दिखे तो जल्द से जल्द अस्पताल जाएं ताकि उनका समय पर इलाज हो सके.
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी ”चमकी को धमकी” के तीन मुख्य बातें यथा-(1) खिलाओ- बच्चों को रात में सोने से पहले भरपेट खाना जरूर खिलाएं (2) जगाओ-रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोश या उसे चमकी तो नहीं एवं (3) अस्पताल ले जाओ-बेहोशी या चमकी दिखते ही आशा को सूचित कर तुरंत 102 एम्बुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं का व्यापक प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित करें.
अधीक्षक, जीएमसीएच, बेतिया द्वारा बताया गया कि जीएमसीएच में 30 बेड का पीकू वार्ड पूरी तरह से फंक्शनल है। यहां एई/जेईएस से पीड़ित बच्चों के ईलाज की समुचित व्यवस्था की गयी है.सिविल सर्जन ने बताया कि अभिभावक अपने-अपने बच्चों को रात में बिना खाना खिलाएं नहीं साने दें. अगर कोई बच्चा शाम के समय में खाना खाया है और सो गया है तो उसे भी रात में जगाकर अवश्य खाना खिलाएं. इसके साथ ही बच्चों को रात में सोते समय अनिवार्य रूप से मीठा सामग्री यथा-गुड़, शक्कर, चीनी आदि खिलाएं. उन्होंने कहा कि चमकी बुखार अधिकांश रात के 02 बजे से 04 बजे के बीच आक्रामक रूप लेता है, इस समय सभी अभिभावकों को सचेत रहने की आवश्यकता है.अगर चमकी के साथ तेज बुखार हो तो तुरंत क्षेत्र के एएनएम, आशा कार्यकर्ता अथवा आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को सूचित करें. इनके माध्यम से आवश्यक दवाएं तथा प्राथमिक उपचार की जायेगी तथा नजदीकी पीएचसी में ले जाकर समुचित उपचार किया जायेगा.
इस अवसर पर उप विकास आयुक्त, श्री अनिल कुमार, अपर समाहर्ता, श्री नंदकिशोर साह, श्री अनिल राय सहित सिविल सर्जन, अधीक्षक, जीएमसीएच सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.
आलोक कुमार
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