विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक रामदेव वर्मा का रविवार रात पटना में निधन हो गया. करीब 75 वर्षीय श्री वर्मा प्रखंड के पतैलिया गांव निवासी के थे. वे दो-तीन वर्षों से लगातार बीमार थे. रविवार रात पटना स्थित अपने निजी आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली.वे अपने पीछे जीवन संगिनी व पूर्व विधायक मंजू प्रकाश, पुत्र रोहित कुमार व पुत्रवधू विनीता को छोड़ गये हैं. विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने 1980 में पहली बार माकपा उम्म्ीदवार के रूप में जीत हासिल की थी. उसके बाद 1985 के चुनाव में वे हार गये थे, लेकिन 1990 के बाद 2005 लगातार माकपा उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गये. 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने उन्हें उम्म्ीदवार बनाया था, लेकिन वे हार गए. गरीबों व शोषितों की आवाज बुलंद करने के लिए वे काफी प्रसिद्ध थे.विधायक कार्यकाल में वे लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भी रहे चुके थे. इन दिनों वे भाकपा माले में थे. 2020 में उन्होंने माले की सदस्यता ली थी. 1947 में विभूतिपुर प्रखंड के पतैलिया गांव में उनका जन्म हुआ. उनकी मां का नाम लखिया देवी व पिता का रामगुलाम महतो था.1967 में उन्होंने माकपा की सदस्यता ली थी. इसके बाद 1978 में ग्राम पंचायत राज पतैलिया से मुखिया निर्वाचित हुए थे. इसके बाद माले पार्टी की मजबूती के लिये जीवन भर काम करते रहे.श्री वर्मा की शादी बक्सर जिला के इटारी थाना अंतर्गत इंदौर गांव के प्रसिद्ध वाम नेता ज्योति प्रकाश की पुत्री मंजू प्रकाश के साथ हुई थी.मंजू प्रकाश भी बक्सर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुकी है. वह बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी है. श्री वर्मा दो बार लोकसभा का भी चुनाव लड़े पर जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वे गरीब, किसान, मजदूर व भूमिहीनों की आवाज सदन में मजबूती से उठते थे.जिले में माकपा के संगठन को मजबूत बनाने में भी उनका महत्वपर्ण योगदान था.जिसके कारण माकपा ने उन्हें राज्य सचिव मंडल का सदस्य बनाया था.उन्होंने बिहार के बंटवारा का सवाल सहित दो तीन पुस्तक भी लिखे. पटना से उनका पार्थिव शरीर पैतृक स्थान पतैलिया लाने के बाद बूढ़ी गंडक नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया जायेगा.
आलोक कुमार
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