दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतनलाल को कोर्ट से जमानत मिल गई है.ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग पाए जाने के दावों पर व्यंगात्मक फेसबुक पोस्ट करने के मामले में सुनवाई करते हुए तीस हजारी कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है.कोर्ट के इस फैसले को सोशल मीडिया पर लोग कानून और संविधान की जीत बता रहे हैं.
शनिवार दोपहर करीब 3 बजे प्रोफेसर रतनलाल को दिल्ली पुलिस ने तीस हजारी कोर्ट में पेश किया था. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने रतनलाल को जमानत देने का ऐलान किया. प्रोफेसर रतनलाल को 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी गई है.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने प्रोफेसर रतनलाल की रिमांड नही मांगी थी बल्कि कहा था कि आरोपी की ज्यूडिशियल कस्टडी चाहिए. पुलिस ने तर्क दिया कि एक पढ़े लिखे आदमी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती.आगे से वे ऐसी गलती न करें, इसके लिए पुलिस ने बिना नोटिस दिए, सीआरपीसी 41A के तहत गिरफ्तार किया.
इस पर रतनलाल के वकील ने जवाब दिया कि मामले में कोई केस ही नहीं बनता है.गिरफ्तारी छोड़िए, इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं होनी चहिए. अभी तक सोशल मीडिया पोस्ट से कोई हिंसा नहीं हुई है.ऐसे में पुलिस सेक्शन 153A कैसे लगा सकती है.अगर किसी व्यक्ति की सहनशक्ति कम है, तो उसके लिए रतनलाल कैसे ज़िम्मेदार हो सकते हैं. भारत एक लोकतांत्रिक देश है.यहां हर किसी को बोलने की आजादी है. ये एफआईआर रद्द होनी चाहिए.
इस पर प्रोफेसर के वकील ने आगे कहा कि उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए.ये कानून का दुरुपयोग होगा.इस तरफ से होगा तो जेल बुद्धजीवियों से भर जाएगी.उधर पुलिस ने तर्क दिया कि अगर इन्हें जमानत दी गई, तो समाज में गलत मैसेज जाएगा. अगर ये जमानत पर छूटे तो और भी लोग ऐसा करने का साहस करेंगे.
रतनलाल की गिरफ्तारी को लेकर दलित संगठनों ने भी बीजेपी सरकारों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.शनिवार को सुबह से ही ट्विटर पर भी रतनलाल की रिहाई संबंधी पोस्ट टॉप ट्रेडिंग बनी रही.लोग शीघ्र उनकी रिहाई की मांग कर रहे थे.
इस संदर्भ में अधिवक्ता विनीत जिंदल ने कहा कि रतन लाल ने हाल में 'शिवलिंग के बारे में अपमानजनक, उकसाने वाला और भड़काऊ ट्वीट साझा किया था.' उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने के मुद्दे पर बयान (रतन लाल का) पोस्ट किया गया, जबकि यह एक बहुत संवेदनशील विषय है और मामला अदालत में लंबित है.
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर शिवलिंग मिलने के दावे को लेकर अभद्र टिप्पणी करने वाले रतन लाल को शुक्रवार रात गिरफ्तार कर लिया है.नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट साइबर पुलिस स्टेशन ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली में असोसिएट प्रोफेसर के पद पर पदस्थ रतन लाल की ओर से शिवलिंग के दावे को लेकर की गई अभद्र टिप्पणी पर उनपर आईपीसी की धारा 153A/ 295A के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है. आईपीसी की धारा के बारे में कहा गया कि 'भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर वैमनस्य को बढ़ावा देना) और धारा 295ए (किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं को अपमानित कर भावनाएं आहत करने के इरादे से किए गए जानबूझ कर एवं दुर्भावनापूर्ण कृत्य) के तहत एक मामला दर्ज किया गया है।'
इसके पहले रतन लाल पर दर्ज मुकदमे के बाद खुद लाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कड़ी सुरक्षा की मांग की थी. दिल्ली विवि के आचार्य डॉ. रतन लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन्हें एके 56 रायफलधारी दो अंगरक्षक मुहैया कराये जाने, यदि यह संभव नहीं है तो उचित प्राधिकारी को निर्देश देकर उनके लिए एके 56 रायफल का लाइसेंस जारी किये जाने की गुहार लगाई है.
https://t.co/g153LDhh8E
आलोक कुमार
No comments:
Post a Comment