Tuesday, 21 February 2023

 

भारत और नेपाल की प्रेरितिक राजदूत रांची में 

एमेरिटस आर्चबिशप तेलेस्फोर प्लासिडस टोप्पो से मिले 

जब 79 साल के थे,तब 2018 में एमेरिटस आर्चबिशप हुए थे

अभी 84 साल के हैं

       रांची. रोम में रहने वाले पोप फ्रांसिस ने आर्चबिशप लियोपोल्डो गिरेली को 13 मार्च 2021 को भारत और नेपाल की प्रेरितिक राजदूत नियुक्त किया था.उनको अपोस्टोलिक नुनसियो नामित किया था.वह पूर्व में इज़राइल और साइप्रस के लिए प्रेरितिक राजदूत थे.फिलवक्त प्रेरितिक राजदूत 50-सी, नीति मार्ग, चाणक्यपुरी , नई दिल्ली में में रहते है.रोम का भारत का राजदूत भी होते हैं.

      राँची महाधर्मप्रांत में आयोजित कॉन्फेरेंस ऑफ डायसिशियन प्रीस्टस ऑफ इंडिया (सीडीपीआई) में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो रहे, भारत एवं नेपाल के लिए वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो जिरेली को संत अल्बर्टस कॉलेज में भव्य स्वागत एवं सम्मान दिया गया. सम्मेलन शुरू होने से पूर्व उन्होंने संत अल्बर्ट्स कॉलेज के स्टाफ एवं विद्यार्थियों के साथ एक अनौपचारिक मुलाकात की.

         भारत और नेपाल की प्रेरितिक राजदूत एमेरिटस आर्चबिशप तेलेस्फोर प्लासिडस टोप्पो से मिले.एमेरिटस आर्चबिशप तेलेस्फोर पी टोप्पो हैं. उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1939 को हुआ है.03 मई,1969 को पुरोहित बने.07 अक्टूबर, 1978 को धर्माध्यक्ष बने.उन्हें 8 नवंबर 1984 को झारखंड राज्य की राजधानी रांची का कोडजुटोर आर्चबिशप नियुक्त किया गया था.वह 7 अगस्त 1985 को आर्चबिशप बने.पोप जॉन पॉल द्वितीय

द्वारा 21 अक्टूबर 2003 को कार्डिनल बनाया गया.

      अक्टूबर 2003 को पोप जॉन पॉल II द्वारा कार्डिनल-पुजारी बनाया गया था , जिसे Sacro Cuore di Gesù agonizzante a Vitinia का नाम दिया गया था.] वे भारत के तीसरे कार्डिनल, पहले आदिवासी थे. उन्होंने कहा कि कार्डिनल का शीर्षक "भारत में आदिवासी चर्च के लिए विशिष्टता और इसके विकास की पहचान" था.

      वह 2005 के पापल कॉन्क्लेव में निर्वाचक थे, जिसने पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के रूप में जोसेफ रैत्जिंगर को चुना.उन्हें 2004 और 2006 में दो मौकों पर भारत के कैथोलिक बिशप सम्मेलन के दो साल के कार्यकाल के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. उन्होंने भारत के कैथोलिक बिशप के सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया था.2001 से 2004 तक और 2011 से 2013 तक केवल लैटिन संस्कार बिशप.

      2008 में धर्माध्यक्षों के धर्मसभा में, उन्होंने विश्वव्यापी प्रयासों का समर्थन किया लेकिन "सत्य को कमजोर करने" के खिलाफ चेतावनी दी और ईस्टर के उत्सव के लिए एक आम तिथि पर समझौते का आह्वान किया.2012 में नए सुसमाचार प्रचार पर धर्मसभा में, उन्होंने मिशनरी कार्यों के लिए खुद को नए सिरे से प्रतिबद्ध करने के लिए धार्मिक आदेशों का आह्वान किया.

       वह उन कार्डिनल इलेक्टर्स में से एक थे जिन्होंने 2013 के पापल कॉन्क्लेव में भाग लिया था जिसमें पोप फ्रांसिस का चयन किया गया था.

      11 फरवरी 2008 को, उन्होंने यीशु के एकमात्र और अद्वितीय मध्यस्थ के रूप में मैरी, मेडिएट्रिक्स ऑफ ग्रेस, को-रिडेम्प्ट्रिक्स ऑफ ह्यूमैनिटी पर एक नए मैरियन हठधर्मिता की घोषणा के लिए बुलाया.

    टोप्पो एलियाह इंटरफेथ संस्थान के लिए विश्व धार्मिक नेताओं के बोर्ड में बैठता है.

      पोप फ्रांसिस ने 24 जून 2018 को रांची के आर्चबिशप के रूप में टोप्पो के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया, उनके उत्तराधिकारी फेलिक्स टोप्पो , जमशेदपुर के बिशप के रूप में घोषणा की.

                   

आलोक कुमार 

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