Sunday 31 March 2013

कोई हाथ सहयोग देने के लिए नहीं उठे


अपने हाल पर मुख्य मार्ग पर जोसेफ एलियास पड़े रहे

कोई हाथ सहयोग देने के लिए नहीं उठे

पटना। पवित्र बाइबिल में उल्लेख है कि ईसा मसीह सलीब पर चढ़ाये जाएंगे और तीसरे तीन मृतकों में से जी उठेंगे। यह प्रत्येक साल होता है और होता ही रहेगा। ईसाई समुदाय पुनरूत्थान ईसा मसीह की याद में गिरजाघर में आये। रोड पर गिरे और पड़े जोसेफ एलियास को उठाने में सहयोग नहीं दिया।

 जब कभी भी मिशनरी संस्थाओं पर आक्रमण होता है। तब केन्द्र और राज्य सरकार के द्वारा पंजीकृत मिशनरी गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा अपने क्रियाकलाप के बारे में लम्बा-चौड़ा बयान दर्ज करवाने लगते हैं। संस्थाओं के प्रवक्ता के रूप में फादर और सिस्टरों के द्वारा कहा जाता है कि हम लोग स्कूल,कॉलेज,हॉस्पीटल,नर्सिंग स्कूल, सामाजिक आदि क्षेत्र में विशेष कार्य किया करते हैं।  हम लोग निःस्वार्थ सेवा किया करते हैं। जब चर्च के अंदर धार्मिक अनुष्ठान में शिरकत करते हैं तो पवित्र बाइबिल के पाठ को पढ़कर धर्मावलम्बियों को सही मार्ग पर चलने को नसीहत देते हैं। अपने पड़ोसियों को अपने समान प्यार करो। जो कष्ट में हैं उनकी कष्ट को दूर करने में सहायक सिद्ध हो। परन्तु चर्च के धर्मी और लोकधर्मियों की कहनी और कहनी में विरोधाभास देखा जाता है। मुख्य मार्ग पर पड़ा 24 घंटे से जोसेफ एलियास की हालत बयां करने को पर्याप्त है।


 इसी को देखकर अपने अनुभव से नवनिर्वाचित पोप फ्रांसिस प्रथम ने सख्त बयान दिया है। अपने हालिया बयान में कहा कि माता कलीसिया को चलाने वाले फादर और सिस्टर एनजीओगीरी पर अधिक ध्यान दें। कम से कम समय एन.जी.. पर दें। माता कलीसिया को ही एनजीओ में तब्दील होने दें। सबसे अधिक एनजीओ पंजीकृत करा रखा है। पोप फ्रांसिस का बयान कम से कम बिहार में सटिक जान पड़ता है। यहां की माता कलीसिया को पूर्णरूपेण पेशेवर एन.जी.. का रूप दे दिया गया है। देशी-विदेशी राशियों की राह पेशेवर एनजीओ की झोली में जाकर गिरने लगता है। झोली में रकम गिरने के बाद ही तभी से समाज सेवा की शुरूआत की जाती है। जैसे ही डोनर हाथ खिंच लेते हैं। उनके द्वारा रकम पर पाबंदी लगा दी जाती है वैसे ही एनजीओ का शटर गिर जाता है। उसी तरह धार्मिक क्षेत्रों में किया जाता है।

  वक्त शाम के सात बजे है। शनिवार को पटना-दीघा मुख्यमार्ग के किनारे चादर ओढ़कर एक आदमी बेसुध पड़ा हुआ है। रात्रि के 10.15 मिनट पर प्रेरितों की रानी ईश मंदिर के प्रवेश द्वार के किनारे पड़ा हुआ है। एक व्यक्ति ने उसे चुटकी काटकर देखता है कि कहीं प्राण पखेरू उड़ तो नहीं गयी? चादर भी उठाकर देखता है। तब पता चला कि वह जोसेफ एलियास हैं। बेतिया मूल के शख्स हैं। इन्होंने आदिवासी महिला के संग विवाह किये थे। कुर्जी कब्रिस्तान में कब्र खोदने का कार्य किया करते थे। अभी उसका एक पुत्र फ्रांसिस जोसेफ पटना में रहकर कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल में कार्यरत हैं।

खैर, प्रेरितों की रानी ईश मंदिर में ईस्टर समारोह में शामिल होने वाले ईसाई धर्मावलम्बी आवाजाही कर रहे हैं। आवाजाही करने वाले मार्ग के किनारे जमीन पर लेटा जोसेफ एलियास को देखकर कन्नी कटाकर बढ़ते चले जा रहे हैं। जो समाजसेवा करने का व्रत लिये हैं और तो और गरीबों के नाम पर धन हथिया रहे हैं वह भी आगे बढ़ते ही चले जा रहे हैं। किसी को फुर्सत नहीं कि मानव कल्याण करने की वकालत करने वाले ईसाई समुदाय के कार्यों के साथ न्याय कर सके। गिरजाघर और घर के अंदर पवित्र बाइबिल पढ़ने वाले और व्यख्यान देन वाले भी कुछ नहीं कर सके।  चर्च से घर लौटने वालों ने तड़के 1.45 बजे भी कुछ नहीं किये। किसी ने जोसेफ एलियास को हैप्पी ईस्टर कहने की हिम्मत नहीं कर सके। इसी तरह जोसेफ एलियास का ईसा मसीह के पुनरूत्थान होने वाले ईस्टर पर्व निकल गया।

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