Friday 25 October 2013

सरकार, वर्षा, बुलडोजर,झोपड़ी और आम आदमी हो गया परेशान






      उन 54 परिवारों को तत्काल प्रभाव से वनभूमि का पट्टा देकर वनभूमि में स्थापित किया जाए। यहां पर रहने वाले रमेश मरांडी ने कहा कि हम लोगों के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार न्याय करें। अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो सीधे गोली से उड़ाने का आदेश निर्गत कर दें।

बांका। यहां पर यह झोपड़ी कल था और आज नहीं है। यह कोई पहेली नहीं है। परन्तु कटु सत्य है। यहां पर कई दशक से आदिवासी एवं अन्य लोग झोपड़ी बनाकर रहते थे। आज वन विभाग के तानाशाही के कारण तमाम झोपड़ियों को जमींदोज कर दी गयी। इनको वनभूमि का पट्टा मिलना था। उसे वन विभाग से बेदखल करने की साजिश रच दी गयी। एक साथ 54 घरों में रहने वाले खुले आकाश में जीने और सांस लेने को बाध्य हो गये हैं।

अभी-अभी सामाजिक कार्यनेत्री वीणा हेम्ब्रम ने सूचना दीः
अभी-अभी सामाजिक कार्यनेत्री वीणा हेम्ब्रम ने सूचना दी है कि बिहार सरकार के नौकरशाहों के द्वारा वनभूमि पर रहने वाले एसटी/एससी/पिछड़ी जाति के लोगों को खुले आकाश में जीने को बाध्य नहीं दिया गया है। इनके द्वारा निर्मित आशियाना को वन विभाग के जेसीबी मशीन ( बुलडोजर ) से जमींदोज कर दी गयी। एक-एक चुनकर झोपड़ी को ढांह दिया गया है। वीणा हेम्ब्रम सवाल करती हैं कि आजकल इन नौकरशाहों की बुद्धि घास चरने चली गयी है। कम से कम वर्षा होते समय तो नौकरशाहों को आम आदमियों का ख्याल करना ही चाहिए था। मगर इसका ख्याल और मतलब नहीं रखा। इस समय बांका जिले में भारी वर्षा हो रही है। वन विभाग के हुक्मरानों के हुक्म के गुलामों ने गरीबों की झोपड़ियों को ढांह दिया गया है। वैसे तो पहले ही झोपड़ीनसीबों को भारी वर्षा ने झोपड़ियों पर कहर बरपाया था। अब इस कहर पर नमक छिड़कने सरकार के हुक्म के गुलाम गये हैं। इनको मालूम होना चाहिए कि आफत समय में आदमी पक्षियों के घोंसले को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। यहां ऐसा प्रतीक हो रहा है कि यहां के लोग पक्षियों और जानवरों से भी बदतर हैं। तब आम आदमी पर अत्याचार किया जा रहा है। अब स्थिति हो गयी है कि यह आम आमदी कहां जाए?

केन्द्र सरकार ने बना रखा है वनाधिकार कानून 2006:
सर्वविदित है कि केन्द्र सरकार ने हरेक तबके हो खुश करने के लिए तोहफा दे रहा है। तोहफा रूपी लॉलीपॉप में वनभूमि पर रहने वालों को वनाधिकार कानून 2006 को थमा दिया है। इसके तहत वनभूमि पर रहने वाले आदिवासियों को जमीन का पट्टा देना है। उसी तरह गैर आदिवासियों को भी पट्टा देना है। मगर 13 दिसंबर,2005 से पूर्व तीन पीढ़ी का वंशावली दिखाना पड़ता है। मगर बिहार में वनाधिकार कानून 2006 माखौल बन गया है। अभी तक बेहतर ढंग से कानून का क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि वनभूमि पर रहने वालों पर वन विभाग के द्वारा समय-समय पर अत्याचार किया जाता है।

बंगालगढ़ गांव,पंचायत धनुवसार, प्रखंड चांदन,जिला बांका और बिहार के निवासी बेहालः
बंगालगढ़ गांव,पंचायत धनुवसार,प्रखंड चांदन,जिला बांका और बिहार के निवासी हैं। यहां पर 54 घर है। सरकार से उपेक्षित हैं। इन लोगों ने मेल से आवेदक पत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजे थे। मुख्यमंत्री भी प्रभावितों के सहायक नहीं बन सके। मुख्यमंत्री को चाहिए कि तत्काल वन विभाग के हुक्मदारों के आदेश को वापस ले लें। और तुरंत वनाधिकार कानून-2006  के प्रावधान के अनुसार वनभूमि का परवाना (पर्चा) निर्गत कर दें।

जिलाधिकारी कदम उठाएं:
बांका जिले के जिलाधिकारी महोदय सख्त कदम उठायें। वनाधिकार कानून 2006 को सख्ती से लागू करें। जिसे वनभूमि क्षेत्र से बेदखल किया गया है। उन 54 परिवारों को तत्काल प्रभाव से वनभूमि का पट्टा देकर वनभूमि में स्थापित किया जाए। यहां पर रहने वाले रमेश मरांडी ने कहा कि हम लोगों के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार न्याय करें। अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो सीधे गोली से उड़ाने का आदेश निर्गत कर दें।
                                                                                                                                            आलोक कुमार