Tuesday 8 October 2013

अब महादलितों की निगाहे दानापुर प्रखंड के अंचलाधिकारी पर जाकर टिक गयी

अपने वादे पर खरा उतरने का प्रयास करते अंचलाधिकारी



दानापुर। प्रगति ग्रामीण विकास समिति से जुड़कर कार्य करने वाले नरेश मांझी को उम्मीद है कि अपने वादे पर दानापुर प्रखंड के अंचलाधिकारी कुंदन कुमार लाल खरा उतर रहे हैं। अंचल कार्यालय से सूची दी गयी है। इस सूची में 59 व्यक्तियों का नामांकित है। इनको पूर्व मुख्यमंत्री और अभी झारखंड जेल में बंद लालू प्रसाद यादव ने वर्ष 1986-87 में बंदोबस्ती किया गया था। बंदोबस्ती करने के बाद 43 लोग जमीन पर जा बसे। जिन 16 लोगों को 1987-88 में बंदोबस्ती किया गया। वही शेष 16 लोग नहीं बस सके। पिछड़ी जाति के बिन्द जाति के 43 लोग जमीन पकड़ लिये। शेष 16 महादलित मुसहर समुदाय के लोग हैं। जिन्हें दबंग लोगों ने जमीन पर चढ़ने ही नहीं दिये। ये लोग मजबूरी में बेलीरोड-खगौल रोड के किनारे रहने को मजबूर हैं। इनके आशियाना पर जेसीबी मशीन की चढ़ाई निश्चित है।

पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में बंदोबस्तीः
अंचल कार्यालय दानापुर, अनुमंडल दानापुर, पटना, मौजा-जलालपुर,थाना नं022,हल्का सं0 8, पंजी 2 में अंकित परवानाधारको की सूची के अनुसार कुल 59 लोगों के नाम से बंदोबस्ती की गयी थी। खाता 149, खेसरा 291 274, रकवा 0.02 डिसमिल है। सभी के नाम से जमाबंदी कर दिया गया है। 1701 से शुरू किया गया है। बंदोबस्ती केश नं0 1 बंटा 86-87 और 13/87-88 है।

दबंगों के दबंगई से कांपकर महादलित जमीन पर नहीं चढ़ सकेः
पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के जमाने में दबंगई करने वाले मुसहर समुदाय को जमीन पर चढ़ने नहीं दिये। इन 16 लोगों को सिर्फ 13/87-88 का परवाना लेकर ही संतोष करना पड़ा। बदले माहौल में परवाना पकड़कर संतोष करने वाले मुसहर समुदाय को जमीन पर कब्जा दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है। इनको हक दिलवाने का प्रयास एकता परिषद के कार्यकर्ताओं के द्वारा किया जा रहा है। इन लोगों ने हाथीखाना से जुलूस के शक्ल में दानापुर प्रखंड तक गये थे। इस जुलूस का नेतृत्व एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक प्रदीप प्रियदर्शी, संचालन समिति की सदस्या मंजू डुंगडंुग, सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मांझी आदि ने किया था। प्रखंड परिसर में पहुंचने के बाद दानापुर प्रखंड के अंचलाधिकारी कुंदन कुमार लाल ने लोगों को संबोधित किये। इसी क्रम में आश्वासन दिये कि लोगों को जमीन पर अधिकार दिलवाया जाएगा। जिनको वासगीत पर्चा नहीं मिला है। उनको वासगीत पर्चा निर्गत करा देंगे। भूमि संबंधी कार्य को प्राथमिकता देंगे।

अंचलाधिकारी से महादलितों को काफी उम्मीद हैः
जिनका कोई सहारा नहीं होता हैं उनका सहारा भगवान ही होते हैं। उसी रूप में अंचलाधिकारी कुंदन कुमार लाल बनकर आये हैं। मामला वर्ष 1987-88 है। 25 साल से 16 मुसहर समुदाय के लोग परवाना पकड़कर बैठे हुए हैं। परवाना पकड़कर बैठने वालों में तुफानी मांझी,रामा मांझी,बुन्देला मांझी, जामुन मांझी, चैतु मांझी, रामविलास मांझी, मो0 भाझी मांझी, धुरखेली मांझी, बहादुर मांझी, रामचन्द्र मांझी, सुखू मांझी, राजेन्द्र मांझी, रामजी मांझी, चन्द्रदीप मांझी, अमरीक मांझी और जामुन मांझी हैं। इनमें कुछ लोगों के पास परवाना है। कुछ लोग 25 साल में जमीन का परवाना जन्नत करके नहीं रख सके। ऐसे लोग नाउम्मीद हो गये थे। नये सिरे से सूचीधारियों को परवाना देकर जमीन पर अधिकार दिला दें। यह खुशी की बात है कि अंचलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि 0.02 डिसमिल से अधिक ही जमीन का परवाना निर्गत करेंगे।


                                                           आलोक कुमार