Tuesday, 17 December 2013

साइकिल चलाने वाली दीदी खामोश रहने वाली नहीं हैं



पटना। खुद को महिला कहलाकर हीन भावना को पनपने नहीं देना चाहती हैं। हम जरूर ही महिला हैं। मगर आश्रित वाली नहीं खुद्दार वाली महिला हूं। सबसे अधिक साक्षर वाले प्रदेश केरल की रहने वाली हैं। राजधानी के प्रसिद्ध नोट्रेडम एकेडमी से तालुकात रखने वाली महिला ने भव्य भवनों को छोड़कर दानापुर प्रखंड के जमसौत पंचायत के जमसौत मुसहरी में ठौर जमाया। महादलित मुसहर समुदाय के सहयोग से घर बनाकर रहने लगी। वहीं से सामाजिक सेवा करने का कारवां शुरू कर दी। जो आज भी जारी है। साइकिल चलाकर खुद को ग्रामीण परिवेश में स्थापित करने वाली दीदी को केन्द्र और राज्य सरकार ने सम्मानित किया। दानापुर प्रखंड में निःस्वार्थ सेवा करने वाली शख्तसियत का नाम सुधा वर्गीज है। जो उम्र के ढलान पर जाने के बाद भी कार्य करने से कतराती नहीं हैं। अभी 11 महादलितों को लेकर विदेश गयी हैं। महादलित खासकर मुसहर समुदाय के बीच में रहकर कार्य करने वाली सामाजिक कार्यनेत्री को केन्द्र और राज्य सरकार ने सम्मानित किया है। केन्द्र सरकार ने सुधा वर्गीज को पद्मश्री देकर नवाजा तो राज्य सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग की उपाध्यक्ष मनोनीत कर दिया। जबतक बदन साथ देगी तबतक लोगों की सेवा करती रहेगीं।
Alok Kumar