सन् चौहतर आंदोलन के दौरान अहम भूमिका अदा करने वाले अधिकांश लोग राजनीति में चले गए औेर जो बाकी रहे एनजीओ खोल दिए। उन्हीं में से एक प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्शी नामक हस्ती हैं। जो प्रगति ग्रामीण विकास समिति नामक गैर सरकारी संस्था खोलकर समाज के किनारे रह गए लोगों की सेवा में जुड़ गए। पेश है आलोक कुमार की खास रिपोर्ट।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में जुझारूपन दिखाने वाले लोग राजनीति में चले गए। प्रधनमंत्री , मुख्यमंत्री , मंत्री , सांसद , विधायक आदि बन गए। जो उक्त मुकाम तक नहीं पहुंच सके। ऐसे लोग सामान्य जनता के हितेषी बनने के लिए गैर सरकारी संस्था बना लिए। गैर सरकारी संस्था के अध्यक्ष , सचिव , कोषाध्यक्ष आदि बन बैठे। उसी श्रेणी में प्रदीप प्रियदर्शी हैं। जो बोधगया के मठाधीशों के द्वारा हड़पी जमीन को भूमिहीनों के बीच में वितरण करने के सवाल पर जेल गए। सन् चौहतर आंदोलन के दौरान गिरफ्तार होकर फुलवाड़ी शरीफ कैम्प जेल में रखे गए।
जब बिहार विधन सभा के अघ्यक्ष उदय नारायण चौधरी जी राजनीति में प्रवेश में नहीं किए थे। तब प्रयास ग्रामीण विकास समिति के संस्थापक सचिव थे। उनके साथ प्रदीप प्रियदर्शी कार्यशील रहे। इसके बाद खुद ही प्रगति ग्रामीण विकास समिति नामक संस्था खोल लिए। संस्था की सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 21/1860 के तहत निबंधित की गयी। निबंधित संख्या -394/1998-89 है। इसके बाद विदेशी अभिदान अधिनयम के तहत पंजीकृत संख्या -031170056/1991-92 है। हालांकि लघु पैमाने पर प्रगति ग्रामीण विकास समिति ने 1985 में आगाज कर दिया। राजधनी पटना से कुछ ही दूरी पर नौबतपुर प्रखंड अवस्थित है। इस प्रखंड के आसपास रहने वाले मुसहर समुदाय के बीच में कार्य शुरू किया गया। तब से आजतक महादलित मुसहर समुदाय के बीच में सर्वागीण विकास की दिशा में अग्रसर होकर कल्याण और विकास का कार्य किया जा रहा है। देखते ही देखते संस्था ने 25 वंसत देख लिए। 23 और 24 फरवरी 2014 को सिल्वर जुबली मनाया जा रहा है।
इन 25 सालों में प्रगति ग्रामीण विकास समिति ने ऊंचाईयां प्राप्त कर ली है। यह पहचान की मोहताज नहीं है। इसने विशुद्ध गांधीवादी विचारधारा को ओढ़ लिया है। अंधेरे में तीन प्रकाश गांधी , विनोबा , जयप्रकाश का नारा बुलंद कर तीनों विभूतियों के मार्ग पर अग्रसर होकर कार्य करने लगे हैं। आज 32 जिले के 1950 गांवों में जल , जंगल , जमीन को लेकर कार्य किया जा रहा है। समाज के गरीबों , उपेक्षितों एवं वंचितों के अभावों आकांक्षाओं और अधिकारों के प्रति अपेक्षाकृत अधिक सचेत रहा है। तथा उनके खोये हुए स्वाभिमान को संगठित कर समता एवं न्याय पर आधारित शोषणविहीन समाज की रचना के लिए शांतिमयता के सिद्वांत के साथ संवैधानिक तरीके से प्रयासरत है। मानव संसाधन , विकास , आय उत्पादन वाले कार्यक्रम , पर्यावरण मानवाधिकार , महिला अधिकार , स्वास्थ्य , शिक्षा , स्वच्छता , जल एवं बाल अधिकार के मुददे पर विविध कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कर रहा है। 25 सालों में कुछ गए और कुछ आए साथियों को मिलाकर लगभग 500 सामाजिक कार्यकर्ता संस्था के सर्म्पक में आए।
प्रारंभ से ही गरीब वंचित एवं उपेक्षित समुदाय के अधिकार सम्मान , पहचान , बराबरी एवं न्याय के लिए कटिबंद्ध रहने वाले प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्शी का कहना है कि संस्था और मेरी दृष्टि साफ है। हम अपने उद्देश्य के पटरी पर से उतरने वाले नहीं है। सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों को अवसर प्रदान करना ताकि वे समाज में ऊपर उठ सकें न कि दान और दया के सहारे जीवन बिताते रहे। ऐसे लोगों को उपलब्ध अवसरों की जानकारी देना ताकि उनका उपयोग कर रोजमर्रा की जिन्दगी में आत्मनिर्भर हो सके। ग्रामीण बच्चों एवं महिलाओं के विकास के लिए शिक्षा एवं संगठन पर बल देना। सरकारी एवं गैर सरकारी योजनाओं को वंचित वर्ग तक सही तरीके से पहुंचाने में सतत प्रयत्नशील रहना व विकास संबंधी योजनाओं के संबंध में सरकारी एवं अन्य संस्थाओं को सुझाव व सहयोग देना। भूख , गरीबी , अशिक्षा , शोषण , लिंगभेद , बाल मजदूरी आदि के विरूद्व अभियान चलाना है।
पटना जिले के पालीगंज और विक्रम प्रखंडों में दाता संस्था एक्शन एड ने 2004 से सहयोग दिया। इसका सकारात्मक परिणाम सामने आया। यहां पर परस्पर सहायता समूह बनाए गए। भू - स्वामियों से पट्टा पर खेत लेकर महिला किसानों के द्वारा खेती करवाया गया। आफत के दिनों में भूखमरी से बचने के लिए अनाज बैंक की स्थापना की गयी। ग्रामीणों को कुछ राशि देकर बकरी पालन शुरू करवाया गया। इस तरह का कार्य नक्सल प्रभावित क्षेत्र पालीगंज और विक्रम प्रखंडों में खुब किया गया। इस तरह के इनोवेशन कार्य से प्रभावित होकर हिंसा से प्रेम करने वाले अहिंसा के पुजारी बन गए। सन् 2004 से 2013 तक एक्शन एड से सहयोग मिला। अब एक्शन एड ने हाथ खिंच ली है। सन् 2012- 13 गांवों में अनाज बैंक चलायी जा रही है। जिसमें 4000 परिवार जुड़े हुए है। जब अनाज बैंक नहीं था तो ये किसानो से कर्ज लेते थें। और कई प्रकार की अब अनाज बैंक से इनके जीवन में एक बड़ा फर्क आया है वो है आत्मविश्वास एवं प्रबंधकीय क्षमता झलकता है।। जिन गांवों में अनाज प्रारम्भ में 200 किलो था वहां अब 300 से 450 किलो तक हो गया है। और समूह में सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आय उत्पादन के क्षेत्रा बकरी पालन एक सहायक आर्थिक गतिविधि के रूप में सफलता पूर्वक चल रहा है। इस कार्यक्रम के तहत किसी प्रकार को एक बकरी दी जाती है। गर्भधारण करने के बाद धरती पर आने वाली बकरी को अन्य परिवार को दे दिया जाता है। बकरी देने और लेने का सिलसिला जारी है। कुटीर उघोगों को बढ़ावा दिया जाए। मुर्गी पालन , बकरी पालन , सुअर पालन , जानवर पालन आदि के लिए अनुदान दिया जाए। परस्पर बचत समूह को बढ़ावा देना। बचत समूह की राशि से पट्टा पर खेती जमीन लेकर खेती किया जाए। खेती से अनाज पैदा करके अनाज बैंक का सृजन करना। गांव के अंदर भूख से किसी की मौत न हो , पूरी तरह से ग्रामीणों को गारंटी देना। सरकारी योजनाओं से ग्रामीणों को लाभान्वित करवाना। महात्मा गांधी नरेगा से लोगों को काम दिलवाना। आवासीय भूमिहीनों को आवास दिलवाने में सरकार पर दबाव डालना। अतरी प्रखंड के नरावट ग्राम पंचायत के वनवासी गांव में कार्य किया जा रहा था। अभी फतेहपुर प्रखंड में वाटर एड इंडिया के सहयोग से जल एवं स्वच्छता को लेकर कार्य किया जा रहा है। बोधगया , बाराट्टी और मोहनपुर प्रखंड में पैक्स के सहयोग से भूमि अधिकार अभियान और स्वास्थ्य को कार्य किया जा रहा है। मानपुर प्रखंड में शिक्षा के अधिकार को लेकर कार्य किया जा रहा है।
प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि ऑक्सफैम इंडिया के सहयोग से पश्चिमी चम्पारण , पूर्वी चम्पारण , मुजफ्फरपुर , सहरसा , मधेपुरा , भोजपुर , बक्सर और अरवल जिले में कार्य किया जा रहा है। छोटे जोत और महिला किसानों पर फोकस दिया जा रहा है।
Alok Kumar
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