Thursday 16 October 2014

जब उम्र की सीमा को तोड़कर अन्न और जल त्याग कर दी सीमा

बेगुनाह और बेजुबान पिता जमुना केवट को जुट गईं न्याय दिलवाने

पटना। मेरे पिताश्री बेगुनाह हैं। उनको एक साजिश की तहत फंसाकर सलाखों के पीछे कर दिया गया। इस गरीब मजदूर परिवार के खैवनहार को ही आजीवन कारावास की सजा दी गयी है। समुचित जांच करवाने की मांग कैमूर जिला के अधिकारियों से की गयी। इस तरह की मांग को देखकर अधिकारी गांधी जी के तीन बंदर बन गए। बस किसी तरह से पिताश्री को जेल में ठुस देने पर अमादा थे।

सरहद पर जान देने वाले वीर सपूतों को नमन एवं श्रद्धाजंलि देने के लिए निर्मित कारगिल चौक के पास रोड पर बालू गिराया गया है। इसी पर दिल की अरमानों और आंसूओं से लिखित फरियाद को कागज में समेटकर बालू पर प्रसार कर दिया गया है। 15 अक्टूबर,2014 से धरना और अनशन करने पर उतारू साहसिक पुत्री सीमा केवट हैं। जो अन्न और जल छोड़ चुकी हैं। अपनी अपंग बहन और दोस्त के साथ धरना स्थल पर हैं। इसमें तमाम हकीकतों का पर्दाफाश कर दिया गया है।

बेगुनाह और बेजुबान पिता जमुना केवट को न्याय दिलवाने की पहल सीमा केवट कर दी है। उसने पटना जिले के जिलाधिकारी को आवेदन देकर धरना और अनशन करने की अनुमति मांग की हैं। इसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है। अपने बहन (पोलियोग्रसित) और अन्य सहयोगियों के साथ धरना और अनशन पर बैठना चाहती हूं। सीमा केवट कहती हैं कि तबतक अन्न और जल ग्रहण नहीं करूंगी,जबतक मेरी मांग पूरी हो जाए। जिलाधिकारी से आग्रह किया गया है कि सरकार सीबीआई से जांच करवा दें ताकि मसले का दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।  अगर धरना के दौरान सीमा और उनके साथियों के साथ कुछ भी अप्रिय घटना हो जाए तो उसकी जिम्मेवारी सरकार पर होगी। इनके परिवार में 6 सदस्य हैं। दो भाई हैं।

शक के आधार पर 07 फरवरी,2011 को जेल भेजा गयाः धरना स्थल पर सीमा केवट बताती हैं। घटना 27 दिसम्बर,2010 की है। पापा के मामा का श्राद्धकर्म था। श्राद्धकर्म समाप्त होने के बाद शाम-शाम तक रिश्तेदार घर चले गए। रात्रि पहर विनोद केवट के पुत्र अरविन्द केवट(14साल) घर वापस नहीं गया। विनोद केवट और उसके परिवार के लोग परेशान हो गए। परेशान लोगों के परिजनों का सीधे आरोप था कि अरविन्द केवट को जमुना केवट, गुरू केवट के पुत्र भजन और राजेश नामक ग्रामीण के साथ देखा था। पूछताछ की गयी तब भी अरविन्द केवट का पता नहीं चला। श्राद्धकर्म 27 दिसम्बर से 31 दिसम्बर, 2010 तक विनोद केवट के परिवार के लोग शांत थे। इसके बाद अचानक न्यू ईयर के दिन 1 जनवरी,2011 को दुर्गावती थाना की पुलिस घर में धमकी। बिना वारंट के ही घर की तलाशी ली गयी। सीमा केवट आगे कहती हैं कि 2 जनवरी को थाना पहुंचकर थानाध्यक्ष से जानने की कोशिश की। थानाध्यक्ष का कहना था कि विनोद केवट को शक था। सो बिना वारंट के ही तलाशी ली गयी। इसके बाद कहा कि किसी तरह की रिपोर्ट विनोद केवट ने दर्ज नहीं कराया है। तब आपका रिपोर्ट किस तरह दर्ज कर दें। ऐसे भी विनोद केवट और उसके पुत्र अरविन्द केवट का कई मामला दर्ज है। वह पीसीएल में चोरी करता है। वह कहीं चला गया होगा। वह जरूर ही वापस जाएगा।

अचानक सुबह 4 से 5 बजे के बीच में उठा लियाः सीमा केवट कहती हैं। दुर्गावती थाने की पुलिसकर्मी 7 फरवरी को सुबह 4 से 5 बजे के बीच में घर में धमकी। पुलिस ने पिताश्री जमुना केवट को पूछताछ करने के लिए उठा ले गया। इस बीच अरविन्द केवट का शव बराबद हो गया। साजिश के तहत ही पुलस वालों पिताश्री को फंसा लिया। अरविन्द के लाश मिलने के बाद विनोद केवट के इशारे पर रोड पर उतरकर ग्रामीणों ने रोड जाम कर दिया गया। रोड जाम करने वालों ने दुर्गावती थाना के थानाध्यक्ष को हटाने की मांग करने लगे। नौकरी जाते देख पुलिसकर्मियों ने जमुना केवट को ही बलि का बकरा बना डाला। जमुना केवट को गिरफ्तार कर तत्काल भभुआ जेल भेज दिया।

अपने पिताश्री से सीमा भभुआ जेल में जाकर मुलाकात कीः सीमा कहती हैं कि जिस दिन पिताश्री को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उस समय झारखंड में थीं। माता जी ने फोन से जानकारी दी थीं। वहां से आने के बाद पिताश्री को भभुआ जेल मिलने गयी। मुलाकात के समय में पिताश्री जमुना केवट ने अपनी पुत्री सीमा केवट को दिल की बात बता दी। बेटी गुरू केवट के पुत्र भजन और राजेश नामक ग्रामीण की हाथ है जो अरविन्द केवट को ठिकाने लगा दिया। उच्चस्तरीय जांच करवाने के बाद पता चल जाएगा। इस बाबत एस.पी.,डी.एस.पी. और डी.आई.जी. के पास जाकर मिलकर आवेदन दिया। मगर इस मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी। यहां तक पटना आकर आई.जी. साहब को भी आवेदन दिया गया। आखिर सवाल यह उठता है कि क्या विनोद केवट दबंग था? क्या दुर्गावती थाने में मोटी रकम की मार ही मार दी गयी?

राज्य मानवाधिकार आयोग और एसटी/एसटी कमिशन में आवेदन दिएः पुलिस अधिकारियों के पास आवेदन दौड़ाने के बाद सीमा केवट राज्य मानवाधिकार आयोग और एसटी/एसटी कमिशन में मैड़ाथन दौड़ लगाने के बाद आवेदन पेशकर न्याय की गुहार लगा दी। इसके बाद अब सीमा सवाल उठा रही हैं कि
क्या ये है हमारा कानून कि किसी बेगुनाह को उम्र कैद की सजा सुना दें?
क्या ये हमारे देश का समाज सच्चाई का साथ नहीं देना चाहता?
माना कि विनोद केवट के साथ गलत हुआ है। उनके पुत्र अरविन्द केवट की हत्या कर दी गयी। इसका मतलब तो नहीं कि आप किसी को भी दोषी साबित कर देंगे?
क्या है कोई इंसाफ की लड़ाई में हमारा साथ देगा?
क्या कोई भी हमारे लिए आवाज उठाएंगे?
अगर किसी नेता या अभिनेता की बात होती तो हर बात की जांच होती। मगर एक गरीब परिवार का कोई सुनने वाला नहीं है। सरकार और ही आम जनता?

आलोक कुमार


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