पटना। खेत
मालिक
और
बटाईदार
के
बीच
में
प्रगाढ़
संबंध
है।
यह
संबंध
25 साल
से
है।
आरंभ
में
खेत
मालिक
कृष्णा
प्रसाद
सिंह
और
उसके
परिवार
के
लोगों
की
हजामत
पेशेवर
नाई
कृष्णनंदन
ठाकुर
किया
करते
थे।
इसके
आलोक
में
खेत
मालिक
कृष्णा
प्रसाद
सिंह
ने
सरकार
की
ओर
से
मिलने
वाला
लाभ
बटाईदारी
खेती
करने
वाले
को
प्रदान
कर
देते
हैं।
इसको
लेकर
आजकल
खेत
मालिक
कृष्णा
प्रसाद
सिंह
और
बटाईदार
शिव
कुमार
ठाकुर
का
चर्चा
जोरों
पर
है।
यह जानकार
आप
जरूर
ही
आश्चर्य
में
पड़़
होंगे।
साहब
सरकार
भूमि
सुधार
आयोग
के
पूर्व
अध्यक्ष
डी .
बंधोपाध्याय
की
अनुशंषाओं
को
लागू
करने
में
असफल
हो
गयी।
अनुशंषाओं
का
बंडल
को सरकार ठण्डे बस्ते में डाल
दी
है।विरोधी
दल
और
गैर
सरकारी
संस्थाओं
के
द्वारा
लाखों
बार
सरकार
पर
दबाव
डालने
के
बाद
भी
अनुशंषा
को
लागू
ही
नहीं
की
गयी।
इसको लेकर
अब
दाता
और
गैर
सरकारी
संस्थाओं
के
द्वारा
बटाईदारी
खेती
को
हाथ
में
लेकर
बटाईदारों
को
गोलबंद
करने
लगे।एक
स्पष्ट
वक्ता
और
विचारक
की
तरह
भूमि
सुधार
आयोग
के
अध्यक्ष
डी .
बंधोपाध्याय
ने
सरकार
को
सुझाव
दिए
कि
बटाईदारों
की
रक्षा
के
लिए
एक
अलग
से
बटाईदारी
अधिनियम
बनाया
जाए।
भूमि
पर
मात्र
दो
श्रेणियों
के
व्यक्ति
रहे।
अव्वल
रैयत ,
जिसे
भूमि
पर
पूर्ण
स्वामित्व ,
अधिकार
तथा
द्वितीय
बटाईदार ,
जिसे
स्वामित्व
का
अधिकार
नहीं
अपितु
भूमिमम
पर
लगातार
जोत - आबाद
का
अधिकार
रहेगा।
परन्तु
सरकार
ने
अमल
नहीं
किया।
राजनीतिज्ञ
और
एनजीओ
वालों
ने
अवाम
को
बटाईदारी
खेती
करने
वाले
और
बटाईदार
किसानों
को
बेहतर
ढंग
से
समझा
नहीं
सके।
इसके
कारण
बटाईदारी
खेती
करने
वाले
और
बटाईदार
किसानों
के
बीच
में
दरार
पड़
गया।
पटना जिले
के
नौबतपुर
नगर
पंचायत
के
वार्ड
नम्बर
12 में
भवानीचक , अमरपुरा , नौबतपुर
है।
यहां
पर
कृष्णनंदन
ठाकुर
रहते
हैं।
ये
पेशेवर
नाई
हैं।
कृष्णा
प्रसाद
सिंह
नामक
व्यक्ति
के
परिवार
वालों
का हजामत बनाने का
कार्य
करते
थे।
25 साल
से
किया
करते
थे।
इनके
कार्य
से
खुश
होकर
कृष्णा
प्रसाद
सिंह
ने
कृष्णनंदन
ठाकुर
को
बटाईदारी
खेती
करने
के
लिए
खेत
देने
लगे।
अब
शिव
कुमार
ठाकुर
बटाईदारी
खेती
करते
हैं।खेत
मालिक
कृष्णा
प्रसाद
सिंह
ने
सरकार
की
ओर
से
मिलने
वाला
लाभ
बटाईदारी
खेती
करने
वाले
को
प्रदान
कर
देते
हैं।
Shiv

बटाईदारी खेती
करने
वाले शिव कुमार
ठाकुर
ने
कहा
कि
एक
साल
के
अंदर
धान
और
मसूरी
रोपे
थे।
बाल - बच्चा
मिलकर
काम
करते
है।
साढ़े
तीन
हजार
रू .
खर्च
किए।
50 मन
धान
हुआ।
खेत
मालिक
कृष्णा
प्रसाद
सिंह
को
25 मन
दे
दिए। 27
कट्टा
में
मसूरी
लगाए
थे।
पांच
मन
मसूरी
हुआ।
ढाई
मन
खेत
मालिक
को
दे
दिए।
6 माह
समय
लगता
है।
अभी
2500 हजार
रू .
क्विटंल
चावल
बिकता
है।
4 क्विटंल
बेचेंगे।
धान
और
मसूरी
मिलाकर
20 हजार
रू .
आमदनी
होता
है।
Alok Kumar
Bihar
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