Sunday 13 April 2014

जब नौकरशाहों को आईना दिखा गया


गया। जब गवई क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मात्रः तीन माह के अंदर आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन उपलब्ध कराने की रूपरेखा तैयार करके नौकरशाहों को आईना दिखा दिए।



गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा आयोजित चार दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर में शामिल प्रशिक्षणार्थियों ने दल में बैठक सामूहिक विचार विर्मशोपरांत मसौदा तैयार कर हैरत में डाल दिए। इस आवासीय शिविर में गया जिले के फतेहपुर , मानपुर , बाराचट्टी , मोहनपुर और बोधगया प्रखंड के कार्यकर्ता प्रशिक्षण ले रहे हैं। मानपुर प्रखंड में सेव चिल्ड्रेन परियोजना में कार्यरत रीमा कुमारी के नेतृत्व में दल ने आवासीय भूमिहीनों के मुद्दे पर दलीय चर्चा के बाद अपनी प्रस्तुति में कहा कि सर्वप्रथम समस्याओं का आकलन करेंगे। इसके बाद आवसीय भूमिहीनों का सामूहिक आवेदन पत्र लिखेंगे। आवेदन को सीओ साहब को पेश करेंगे। 1 मई को सीओ साहब को आवेदन देंगे। आवेदन पत्र में प्राप्ति हस्ताक्षर करवा लेंगे। 15 मई को सीओ साहब से आवेदन के ऊपर होने वाले कार्रवाई के बाद में जानकारी लेंगे। उनको 30 मई तक समय देंगे। अगर आवेदन पर कुछ नहीं हुआ तो 1 जून को डीएम साहब के जनता दरबार में आवेदन देंगे। 15 जून को प्राप्ति रसीद और कृत कार्रवाई की जानकारी लेंगे। 30 जून तक इंतजार करने के बाद 1 अगस्त को मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जाकर आवेदन देंगे। 16 अगस्त को आवेदन की जानकारी लेंगे। 30 अगस्त तक इंतजारी करेंगे। ऐसा करने से आवासीय भूमिहीनों को जमीन मिल जाएगी। इस बीच लोगों के बीच में संगठन करेंगे। अगर कुछ नहीं हुआ तो गांधी , विनोबा , जयप्रकाश के बताये मार्ग पर चलकर सत्याग्रह करेंगे।
यह सब बिहार सरकार के द्वारा संचालित राइट टू वर्क के अनुसार करेंगे। इसे मुख्यमंत्री लागू किये हैं। सूबे में राइट टू वर्क लागू कर रखा है। इसके तहत तयसीमा के अंदर कार्यालय के बाबूओं के द्वारा काम निष्पादन कर देना है। अगर तयसीमा के अंदर कार्य निपटारा नहीं किया जाता है। तो एसडीओ और डीएम तक जाकर अपील किया जा सकता है। काम में व्यवधान और काम नहीं करने वालों को अर्थ दंड का भी प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद भी लोगों का कार्य युद्धस्तर पर नहीं हो पा रहा है।
इसके कारण आजादी के 65 साल के बाद समस्याएं बरकरार है। इन समस्याओं का निराकरण किस प्रकार हो ? उसके लिए ग्रुप बनाया गया। चार ग्रुप को अलग - अलग मुद्दा दिया गया। आवासीय भूमि , जीविकोपार्जन , पलायन और सामाजिक सुरक्षा योजना निर्धारित किया गया।
Alok Kumar


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