पटना।
यह कथन प्रचलित
है कि जिस
चीज को सरकार
छू लेती है।
तो आप जान
लीजिए कि उस
चीज की कीमत
बढ़नी निश्चित है।
इसी तरह का
कुछ हाल गुटका
के साथ भी
हुआ। सरकार ने
गुटका पर प्रतिबंध
लगा दिया। पहले
चुपके - छुपाके अधिक
कीमत पर गुटका
बेचने लगे। अब
तो नाम बदलकर
गुटका को धड़ल्ले
से बाजार में
उतार दिया है।
एक रू . के
बदले 5 रू . तक
कीमत बटोर रहे
हैं।
सामाजिक
कार्यकर्ता बी . के . सिंह कहते
हैं कि सरकार
और प्रशासन ने
खतरनाक गुटका पर प्रतिबंध
लगा रखा है।
मगर व्यापारियों ने
नागरिकों की सेहत
पर ध्यान न
देकर प्रतिबंधित गुटका
का नाम बदल
दिया है। इसके
बाद बेधड़क नामांतरण
करके गुटका को
बाजार में उतार
दिया है।
ये
जनाब मो . खान
साहब हैं। कुर्जी
होली फैमिली अस्पताल
के मुख्य द्वार
के सामने 25 साल
तक गुमटी खोलकर
परचूनी दुकान खोलकर रोजगार
करते रहे। जब
वहां पर भारतीय
स्टेट बैंक की
ओर से एटीएम
मशीन बैठा दिया
गया है। तब
मजबूरी में खान
साहब वहां से
रूखसत होना ही
बेहतर समझा।
कुर्जी
मोड़ से आगे
6 माह से परचूनी
की दुकान खोल
बैठे हैं। बिहार
सरकार ने गुटका
पर प्रतिबंध लगा
रखा है। मगर
इनके दुकान पर
गुटका मशाला लहरा
रहा है। बहुत
ही लघु जगह
में परचूनी दुकान
खोल रखा हैं।
इसका नजारा सामने दिख
रहा है। खान
साहब पैर पसारकर
बैठकर दुकानदारी नहीं
कर सकते हैं।
इसका किराया तीन
हजार रू . प्रतिमाह
देते हैं।
Alok
Kumar
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