Friday 4 April 2014

किसी मसीहा की तलाश में है शाह मोहम्मद



पटना। इनका नाम शाह मोहम्मद हैं। करीब 45 साल के हैं। इनके पत्नी का नाम सज्जन खातून हैं। करीब 40 साल की हैं। दोनों के 6 बच्चे हैं। दोनों फेरी करते हैं। कपड़ा के बदले में बर्तन देते हैं। एक दिन घुमघुमकर बर्तन के बदले में कपड़े संग्रह करते हैं। अगले दिन संग्रहित कपड़े को गांवगांव में जाकर बेचते हैं। एक से दो सौ रू . मुनाफा होता है। उसी से आजीविका चलाते हैं।
रूपसपुर थाना क्षेत्र में नवनिर्मित पाटलिपुत्र स्टेशन है। इस क्षेत्र को झोपडपट्ट़ी में रहने वाले टेसलाल वर्मा नगर कहते हैं। पाटलिपुत्र स्टेशन को झोपड़पट्टी वालों से सुरक्षित बनाए रखने के लिए दीवार खड़ी कर दी गयी है। लोगों ने दीवार में सेंधमारी करके आवाजाही करने का मार्ग बना दिया है। इसी जगह से शाह मोहम्मद के झोपड़ी में जाया जा सकता है। यह मान ले कि किसी मसीहा की तलाश में ही बैठा रहता है।
आपबीती बयान में शाह मोहम्मद कहते हैं कि इस बीच वह बीमार पड़ गया। उसे लकवा मार दिया। वह मोटी रकम खर्च करके ठीक हुआ। इसके बाद मिर्गी रोग की चपेट में पड़ गया। झोपड़ी में बैठकर शाह मोहम्मद कहते हैं कि आरंभ में हड़ताली मोड़ के निकट रहते थे। विवाह करने के बाद टेसलाल वर्मा नगर में आकर रहने लगे। यहां पर 20 साल से रहते हैं। दोनों दम्पति कुशलता से रहते थे। 2010 में लकवा के शिकार हो गए। उससे ठीक हुए तो मिर्गी बीमारी की चपेट में गए।
शुरूआती दौर में मिर्गी का दौरा 22 दिनों के अन्तराल में जाता। अब 60 दिनों के अंदर आता है। मिर्गी का दौरा पड़ने के पहले अंगूठा में कम्पन होने लगता है। इसके बाद बेसुध हो जाते हैं। आप इसी से अंदाज लगा सकते हैं कि जमुई में रेल में बैठे थे। इसके बाद दौरा पड़ा और बेसुध हो गए। कई स्टेशन पार करने के बाद बाढ़ में बेसुधि टूटा। अब अल्लाह के फजल से बेहतर महसूस कर रहे हैं जब पैसे के अभाव में दवा - दारू ही बंद कर दिए। बस कोई अल्लाह के प्यारे आकर बीमारी को दूर करने में सहायता कर दें। बड़ी श्रद्धा से इंतजार कर रहे हैं।
Alok Kumar


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