गांधी जी के बारे में विवादास्पद बयान
देने पर अरूधंति राय की कड़ी निंदा

इस पर राजगोपाल पी.व्ही. ने अपनी तीखी
प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ लोगों को सुर्खियों में बने रहने की मजबूरी
और आदत बनी हुई, इसमें अरूधंति भी हैं। कुछ दिनों पहले अरूधंति ने नक्सलियों के संदर्भ
में बंदूकधारी गांधीवादी जैसे शब्दों का प्रयोग किया था। इसी तरह से अम्बेडकर जी के
विषय में उनके प्रकाशित किताब से अम्बेडकरवादी लोग स्वयं नाराज थे। उन्होंने कहा कि
अरूधंति नहीं जानती कि महात्मा गांधी ने जो पत्रिका चलाया उसका नाम हरिजन इसलिए रखा
था क्योंकि उनकी गहरी आस्था रही है कि समाज में जो विषमता है उसे दूर करने के लिए वंचितों
के पक्ष में खड़े होकर आवाज उठायें। उन्हांेने गांधी जी के तमाम उदाहरणों को प्रस्तुत
करते हुए कहा कि जब अपनी पत्नी से वे कहते थे कि शौचालय को साफ करना सबकी जिम्मेवारी
है तो वे यह चाहते थे कि मनुष्य एक है और उसमें कोई ऊंचा नीचा नहीं हैं। गांधी जी से
प्रेरणा लेकर ही मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा दुनिया को रास्ता बतायें।
लोग यदि भारत में आते हैं तो महात्मा गांधी से प्रेरणा लेना चाहते हैं।
राजगोपाल जी ने अरूधंति राय को समझाइस
देते हुए कहा कि समय मिले तो बरन राय द्वारा लिखित ‘अस्पृश्यता निवारण के लिए गांधी
जी का अभियान’ किताब अवश्य पढे़ं। बरन राय ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया कि प्रारंभ
में उनके मन में भी गांधी जी के प्रति कुछ भ्रांतियां थी किंतु जब वे इंग्लैण्ड के
पुस्तकालय में कईयों दस्तावेजों का अध्ययन किया तब उन्हे मालूम पड़ा कि जाति व्यवस्था
के विरोध में गांधी जी ने बहुत बड़ा अभियान चला रखा था। अगर अरूधंति को समय मिले तो
वे डा. लवणम से बात करे ताकि उनको मालूम हो कि महात्मा गांधी इस बात पर कितना जिद पकड़ते
थे कि वे उन्ही के शादी में उपस्थित होंगे जहां जाति व्यवस्था टुटने की संभावना हो।
जार्जिया देश में गांधी फाउंडेशन के उद्घाटन
का हवाला देते हुए कहा कि विख्यात, चिंतक और लेखक रमीन जहां बदलू गांधी जी और खान अब्दुल
गफ्फार खान के माध्यम से मुस्लिम देशों के युवकों को अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए
प्रेरित कर रहे हैं और अलग-अलग देशों में जो तनाव है उसे संवाद के माध्यम से ठीक करने
का प्रयास कर रहे हैं।
समाज में समरसता और मित्रता को बढ़ावा देने
की बजाय इस प्रकार के बयानों से समाज को तोड़ने का प्रयास जो अरूधंति कर रही हैं, उस
पर उन्हे पुर्नविचार करना चाहिए।
ANEESH THILLENKERY
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