Thursday 25 September 2014

15 विभागों से संबंधित समस्याओं को सलटाने का प्रयास


सीएम जीतन राम मांझी का दरबार में विकलांग युवक ने किया हंगामा

समस्या नहीं रहने वाले मंत्री सोते रहे!

पटना। आज सीएम जीतन राम मांझी का दरबार लगा। जनता दरबार में 15 विभागों के मंत्री और प्रधान सचिव शामिल हुए। इन लोगों ने विभागीय संबंधित समस्याओं को सलटाने का प्रयास किया गया। माननीय परिवहन मंत्री रमई राम सोते नजर आए! इनका कहना है कि विभागीय समस्या नहीं आने से आँख लग जाती। परिवहन मंत्री महोदय का व्यवहार को प्रधान सचिव विजय प्रकाश झेल रहे थे। बारम्बार दरबार में आने के बाद भी समस्या हल नहीं होने से लोग परेशान दिखे। मौके पर रोहतास के एक विकलांग युवक ने किया हंगामा काटा। वह स्कूल के पास चल रही थी शराब की दुकान को बंद कराने की मांग कर रहा था।
बताते चले कि अब जनता दरबार फैंशन की तरह हो गयी है। गाँवघर में पंचायत, प्रखंड, प्रमंडल, जिला और राज्य स्तर तक जनता दरबार का मजमा लगता है। आप खुद देख ले। सोमवार को सीएम, मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री, बुधवार को बीडीओ-सीओ, वृहस्पतिवार को डीएम साहब और शुक्रवार को कमिश्नर साहब जनता दरबार लगाते हैं। वहीं गाँवघर में 24 घंटे मुखिया जी दलान में जनता दरबार लगाते हैं।

यह सवाल उठता है कि सरकार ने एटीएम की तरह जनता दरबार स्थापित कर दी है। तब भी आम आवाम की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है। गाँवघर में उत्पन्न समस्याओं का समाधान कराने का प्रयास पंचायत स्तर से आरंभ कर दिया जाता है। यहाँ पर समाधान न होने से पंचायत से प्रखंड की ओर बढ़ते हैं। तब सीएम को चाहिए कि जिस जगह की समस्या है। अगर आवेदक ने आवेदन दिया है। अगर अधिकारी समाधान नहीं कर पाते हैं। तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की जरूरत है। अगर लगातार लोगों की समस्याओं के प्रति खिलवाड़ करता है। तो सीआर खराब कर देना चाहिए।

एक सवाल के जवाब में सीएम से पूछा गया कि परिवहन मंत्री रमई राम सो रहे थे। इसके जवाब में सीएम ने कहा कि वह तो मीडिया वाले ही देख सकते हैं। मैंने मंत्री महोदय को सोते नहीं देखा है। कई मंत्री जनता दरबार में आधे घंटे तक ही ठहरे और दरबार से निकलकर चले गए। उनमें मंत्री ललन सिंह, मंत्री विजय चौधरी, मंत्री श्रवण और मंत्री रमई राम शामिल हैं। इतना तो सच है कि धीरेधीरे जनता दरबार की अहमियत कम होती जा रही है। अब इसे रोजाना सामान्य कार्य की तरह ही लिया जा रहा है।

    आलोक कुमार

No comments: