निःशक्त व्यक्ति के द्वारा 6 साल से पेंशन पाने का प्रयास किया जा रहा है !
पटना।
सूबे में
महागठबंधन की सरकार है। भले
ही जदयू
की सरकार
कहलाती हो।
मगर सरकार
को राजद
और कांग्रेस
के द्वारा
ऑक्सीजन देने
का कार्य
किया जाता
है। इसी
के कारण
राजद और
कांग्रेस को
भी सरकार
में शामिल
करने का
प्रयास शुरू
कर दिया
गया है।
अभी तक
अंतिम निर्णय
नहीं लिया
जा सका
है। जब
हॉस्पिटल से
राजद सुप्रीमो
लालू प्रसाद
यादव आएंगे।
तब अंतिम
मंथन करके
निर्णय ले
लिया जाएगा।
मगर कोई
भी इस
अभागे महादलित
मुसहर समुदाय
के बारे
में ' निर्णय '
लेकर पेंशन
दिलवाने में
सहायक बनकर
सामने नहीं
आ रहे
हैं। 6 साल
से वैशाखी
के सहारे
चलने को
मजबूर हैं।
सरकार , जन
प्रतिनिधि और एनजीओ से उपेक्षित
पड़ा हुआ
है।
पटना
सदर प्रखंडान्तर्गत
रामजीचक नहर
के किनारे
महादलित मुसहर
समुदाय के
अलावे अन्य
समुदाय के
लोग रहते
हैं। इन
लोगों पर
सड़क निर्माण
करने के
नाम पर
गाज गिरने
लगा है।
खगौल से
दीघा तक
सड़क निर्माण
हो रहा
है। 12 मील
सड़क निर्माण
हो रहा
है। इस
निर्माण से
नहर के
किनारे रहने
वाले लोग
बेघर हो
गए हैं।
कुछ निडर
होकर झोपड़ियों
को नहीं
हटाए हैं।
जिन्हें सड़क
निर्माण करने
वाले धमकी
देते रहते
हैं। कुछ
लोगों का
आशियाना ध्वस्त
हो चुका
हैं। फिर
कुछ तिनकों
को लगाकर
रहने लायक
बना लिए
हैं। इन्हीं
लोगों में
स्व . नन्हक
मांझी के
पुत्र बंशी
मांझी भी
हैं। जो
6 साल से
निःशक्त हो
गए हैं।
इन दिनों
वैशाखी के
सहारे चल
पाते हैं।
निःशक्त
बंशी मांझी
कहते हैं
कि कई
बार जन
प्रतिनिधियों के द्वार पर दस्तक
दिए। परन्तु
सहायक बनकर
पेंशन नहीं
दिलवाए। तब
कुर्जी होली
फैमिली हॉस्पिटल
के सामुदायिक
स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र
एनजीओ के
सामाजिक कार्यकर्ता
के समक्ष
हाथजोड़ी किए।
बस दिलासा
देने के
सिवा कुछ
नहीं किए।
कायदे
से बंशी
मांझी को
निःशक्ता सामाजिक
सुरक्षा पेंशन
मिलना चाहिए।
श्री मांझी
को विकलांगता
का प्रमाण - पत्र पेश
करना चाहिए।
इसी के
आधार बनाकर
आवेदन - पत्र
पेश करना
चाहिए। आजकल
वसुंधरा केन्द्र
में आवेदन - पत्र लिया
जाता है।
एक माह
के अंदर
पेंशन स्वीकृत
हो जाती
है। अगर
ऐसा नहीं
होता है।
तब जाकर
एसडीओ के
पास अपील
किया जा
सकता है।
अब सवाल
उठता है
कि सारी
प्रक्रियाओं को कौन करेंगे ! यह
सरकारी नौकरशाह , जन प्रतिनिधि
और सामाजिक
कार्यकर्ता ही कर सकते हैं।
Alok
Kumar
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