Friday 7 November 2014

ईसाई समुदाय बांसकोठी क्रिश्चियन कॉलोनी में रहते हैं

अब बांसकोठी कीचड़ कॉलोनी में रहने को मजबूर

वोट के समय नेताओं से और स्कूलों में ऐडमिशन दिलवाने आने वाले नौकरशाहों से पैरवी करके बांसकोठी कीचड़ कॉलोनी को बांसकोठी क्रिश्चियन कॉलोनी में बनवाने के लिए पैरवी करेंगे


पटना। ईसाई समुदाय के लोग 1966 से बांसकोठी क्रिश्चियन कॉलोनी में रहते हैं। अब दुर्भाग्य से बांसकोठी कीचड़ कॉलोनी में रहने को बाध्य हैं। जन प्रतिनिधि ने तीन गली में से केवल एक गली को ही चकाचक कर दी है। शेष 2 गलियों में जहां फूल खिलना चाहिए था। वहां पर घास ऊंगने लगा है। इसको लेकर सेवा करने वालों में आक्रोश व्याप्त है।

ईसाई मिशनरी संस्थाओं में कार्यरतः विभिन्न मिशनरी संस्थाओं में अल्पवेतनभोगी कर्मियों को 500 सौ रूपए में प्रति कट्टा जमीन दी गयी। 1968 में युद्धस्तर पर फूड फोर वर्क (कार्य के बदले अनाज) कार्यक्रम संचालित था। इसी कार्यक्रम के तहत लोगों ने घर बनाना शुरू कर दिए।

कार्य के बदले अनाज के तहत गली और नाला बनाः यहां के लोग घर बनाने लगे। उसी समय में कार्य के बदले अनाज के तहत 3 गलियों में नाला भी बनाया गया। गली के स्तर को देखकर घर को दो-तीन ऊंचा उठा कर बनया गया। उस समय जल निकासी की व्यवस्था बेहतर थी। निर्मित नाला से होकर पानी बाहर निकल जाता था। मुख्य रोड से पानी निकलता था। कॉलोनी के पीछे भी जल निकासी की व्यवस्था थी। कार्य के बदले अनाज कार्यक्रम के तहत नाला उड़ाही हो रहा था। कार्यक्रम में बंदर बांट करने के कारण नाला का उड़ाही ही नहीं हो सका। अब तो उस पर कब्जा हो गया है। इसी नाला से पानी गंगा किनारे जाती थी।


एक नहीं तीन बार नाला निर्माण हुआः कार्य के बदले अनाज गली और नाला निर्माण किया गया। नाला काम नहीं करने के कारण कालान्तर में सीआरएस के द्वारा भू गर्भ नाला निर्माण किया गया। गली के स्तर को भी ऊंचा उठाया गया।  इसका विपरित असर भी पड़ने लगा। यहां के अधिकांश घर भूगर्भ बनता चला गया। 1974 में गंगा नदी की बाढ़ का पानी प्रवेश किया। इसके बाद कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में कार्यरत कर्मियों को सहायता दी गयी। इस सहायता से घर मरम्मत किए। कुछ तो द्वितीय तल्ला भी बना लिए। अन्य लोगों को भी सहायता दी गयी। जो जमीन पक्का करा सके। इतना होने के कुछ साल के बाद पुनः नाला से पानी निकासी अवरूद्ध हो गया। तीसरी दफा भू गर्भ नाला निर्माण किया गया। इतना करने के बाद भी पानी बाहर निकास नहीं कर पा रहा है। जो साफ दिख रहा है। इसके चलते ईसाई समुदाय परेशान होने लगे हैं।

पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत की मुखिया का प्रयासः इस पंचायत की मुखिया ने तीन तीन गली में विभाजित कॉलोनी में से केवल मुख्य गली का ही पक्कीकरण निर्माण कर दिया गया है। बाकी 2 गली जर्जर और कीचड़ से भरपूर हो गया है। गली में फूल खिलने के बदले घास ऊंगने लगा है।  इस बाबत मुखिया जी का कहना है कि फंड नहीं रहने के कारण काम नहीं हो सका है। संपूर्ण कार्य सम्पादन करने के लिए एमएलए और एम फंड की जरूरत है। जो एक ही बार में तीनों गली को पक्कीकरण और नाला निर्माण करा सके।

जब ईसाई समुदाय ने मां मरियम के ग्रोटो को गंदगी होने से बचा लियाः यहां के लोग खुद नरक में रहने को बाध्य हैं। मगर मां मरियम के ग्रोटो को नरक होने से बचा लिए हैं। सभी लोगों ने सामूहिक चंदा करके ग्रोटो के स्तर को ऊंचा कर दिया है। ग्रोटो को घेर दिया है। जमीन पर टाइल्स लगा दिया है। इतना करने से ईसाई समुदाय की कद बढ़ गयी है। जो नियमित ढंग से ग्रोटो के पास जाकर मां मरियम से प्रार्थना और दुआ कर सकते हैं। अब मां मरियम को चाहिए कि नरक में रहने वालों की सुधि लें। मां मरियम धर्म के ठेकेदारों को बुद्धि दें। ऐसा करने से धर्म के ठेकेदारों पर दबाव पड़ना शुरू हो जाएगा। वोट के समय नेताओं से और स्कूलों में ऐडमिशन दिलवाने आने वाले नौकरशाहों से पैरवी करके बांसकोठी कीचड़ कॉलोनी को बांसकोठी क्रिश्चियन कॉलोनी में बनवाने के लिए पैरवी करेंगे।

आलोक कुमार




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