Wednesday 3 February 2016

समस्याओं से छुटकारा नहीं
























पटना। कई समस्याएं झेले हैं पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों ने। पाटलिपुत्र स्टेशन को चालू करने के सिलसिले में दुल्हन की तरह सजायी गयी। उस समय कतिपय विध्न आ जाने से जश्न-ए-उद्घाटन समारोह को टाल दिया जाता। इसी तरह उत्तर-दक्षिण बिहार को मिलाने वाले ब्रिज पर रेल परिचालन को लेकर भी हुआ। खैर,पाटलिपुत्र स्टेशन से होकर रेल परिचालन जारी है। आज से दीघा ब्रिज से भी रेल परिचालन शुरू कर दिया गया। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार जहां पर पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा स्टेशन बनाया गया है। वहां पर समाज के किनारे ठहर गए लोगों के द्वारा झोपड़ी बनायी गयी थी। इस झोपड़पट्टी में 400 परिवार रहते थे। उनलोगों को दीघा नहर के किनारे ढकेल दिया गया। इन लोगों को जमीन से खदेड़ देने के बाद मोटी दीवार खड़ी कर दी गयी। रेलवे अधिकारी नहीं चाहते हैं कि जमीन और झोपड़ी से विस्थापित लोगों को पुनर्वास करने की व्यवस्था करें। किसी तरह से लोगों को तंग कर दें ताकि खुद ही जमीन और झोपड़ी छोड़कर नौ दो ग्यारह हो जाए। पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों की नीति को भापकर लोगों ले आंदोलन किया। आंदोलन में विजयी नहीं होने पर चंदा करके माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किए।तब माननीय उच्च न्यायालय के विद्वान अधिवक्ताओं ने 6 माह के अंदर विस्थापितों को पुनर्वास कर देना का आदेश निर्गत कर दिया।बिहार सरकार के मुख्य सचिव को पुनर्वास करने की व्यवस्था करने को कहा गया।मगर बिहार सरकार के बेरूखीपन के कारण विस्थापितों को पुनर्वासित नहीं किया जा सका। 
इसी ब्रह्नमदेव जी के मंदिर में शीर्ष
 झुकाए थे इंजीनियर
 उसके बाद रास्ता ओर लेवल क्रॉसिंग की मांग को लेकर जलालपुर गांव के लोग फन खड़ा कर दिए। रेलवे ट्रैक पर ही धरना देने लगे। दीघा साइड में मुआवजे को लेकर और जमीन के बदले कुछ लोगों को जमीन देने के मामले में रजिस्ट्री का पेच है। सोनपुर साइड में गंगाजल गांव में ट्रैक बिछाने का काम बाधित है। मुआवजे को लेकर मामला कोर्ट चल रहा है। उससे आगे भरपुरा गांव में 3.59 एकड़ जमीन पर मुआवजे व नौकरी की मांग को लेकर जमीन मालिकों ने झोपड़िया बना ली है। दीघा बिन्दटोली नामक गांव उजड़ जाएगा। हालांकि सरकार ने दीघा बिन्दटोली के लोगों को पुनर्वासित करने की योजना बना ली है।नवीनतम जानकारी के अनुसार कुर्जी मोड़ से आगे बिन्द जाति के लोगों को सरकार ने 7 एकड़ जमीन अधिग्रहण करके बसा दी है। कुल 207 परिवारों को बसाया गया है। ढलाई का काम साथ-साथ चल रहा है। 
 दीघा चौहट्टा नामक मोहल्ला के पास कुआं 34,35 और 36 में निर्माण करने में कठिनाई आ गयी थी।भूस्खल हो गया था। उसे भगवान के शरण में जाकर इंजीनियरों ने दूर कर दिया है।बगल के ब्रह्नमदेव जी के मंदिर में शीर्ष झुकाएं।तीनों कुआं सरसराकर नीचे चला गया था। अब उसे फिर से मजबूती के साथ मनाया जा चुका है। 
मोटी दीवार के अंदर कर दिया
रास्ता की मांग पर आंदोलन किये

पहलेजा स्टेशन का नाम बदलने की मांग को लेकर आंदोलनः भरपुरा के लोग आंदोलन करने लगे हैं। इन लोगों का कहना है कि भरपुरा गांव से चार किलोमीटर की दूरी पर है पहलेजा। सरकार ने भरपुरा गांव के लोगों के भावनाओं के साथ खिलवाड़कर पहलेजा स्टेशन का नामकरण कर दिया है। कायदे से भरपुरा स्टेशन नाम होना चाहिए था। गांव में पहलेजा स्टेशन का नाम नहीं होना चाहिए। भरपुरा गांव को भरपुरा स्टेशन बनाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। आज पाटलिपुत्र स्टेशन से दीघा ब्रिज पार करके पाटलिपुत्र-बरौनी ट्रेन पहुंची तो आंदोलनकारी ट्रेन को आगे बढ़ने नहीं दिये। कोई 5 घंटे के मान मनौव्वल के बाद ही रेल परिचालन सामान्य हो सका। 

इस ट्रेन में बैठे भाजपाई नेताओं ने भरपुरा गांव के लोगों के समर्थन में उतर गये। भरपुरा स्टेशन की मांग पूर्ण करने का आश्वासन दिये। पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मंगल पाण्डेय,विधायक नंद किशोर यादव, विधायक नितिन नवीन,विधायक संजीव चौरसिया आदि थे। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
   



No comments: