Monday 8 December 2014

प्रत्येक दिन सामने वाली रात की आने वाली सुबह को निहारती हैं 148 छंटनीग्रस्त महिलाएं



आखिरकार अंधेरी रात की सुबह कब होगी?
पूस की कड़कड़ाती ठंड और पेट में दाना नहीं रहने से करवटे बदलती काली रात

पटना। गत बाइस दिनों से सत्याग्रह करने में जुटी हैं बिहार राज्य कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संद्य की महिलाएं। सरकारी सुविधाओं से महरूम कर दी गयी हैं। पेयजल का प्रबंध नहीं किया जा रहा है। सुख-सुविधाओं को किनारे करके लौह पुरूषों की ही तरह राह पर चल पड़ी हैं लौह महिलाएं। ऐलान कर रखी हैं कि जबतक कल्याणकारी सरकार के द्वारा मांग नहीं मान ली जाती,तबतक पुस की ठंडी रात को झेलते रहेंगी। इस साल की सबसे अधिक ठंड को गया जिले के विभिन्न प्रखंडों में कार्यरत 148 महिलाकर्मी ने सह गयी हैं। इनलोगों को दूध में पड़ी मक्खी की तरह 4 जनवरी 2013 को नियोजन से ही निकाल दी गयी हैं। प्रत्येक दिन सामने वाली रात की आने वाली सुबह को निहारती हैं। आखिरकार अंधेरी रात की सुबह कब होगी वह सुबह होगी?

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में विभिन्न पदों को लेकर 27 सितम्बर 2007 को साक्षात्कार लिया गया। इसमें 45 शिक्षक, 44 रसोइया, 22 आदेशपाल,20 रात्रि प्रहरी और 17 वार्डेन है। इनको स्थायीकरण करने के बजाए नियोजन से ही अलग कर दिया। घर चले जाने का फरमान जारी कर दिया गया। कहा गया कि जांच के क्रम में अवैध पाया गया तथा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान, गया के पत्रांक 03 दिनांक 04 जनवरी 2013 के द्वारा नियोजन रद्द कर दिया है।

अपने गृह जिले के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समक्ष 17 नवम्बर 2014 से 24 घंटे का जत्थेवार अनशन पर हैं। प्रत्येक दिन 10 महिलाओं का जत्था 24 घंटे का जत्थेवार अनशन करना शुरू कर देती हैं। रीना कुमारी,मंजू कुमारी,गीता देवी,यशोदा देवी,ममता देवी,फुलकुमारी देवी,प्रमिला कुमारी,विभा कुमारी,हेमलता कुमारी और उषा देवी हैं। इन अनशनकारियों का कहना है कि आपलोगों ने लौह पुरूषों का नाम सुना है। अब आपलोग लौह महिलाओं का भी नाम सुन लें।हमलोग हैं बिहार राज्य कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संद्य की लौह महिलाएं।

उनलोगों का कहना है कि सरकार और नौकरशाहों के द्वारा कहा जाता है कि आपलोग सत्याग्रह करने के 72 घंटे पूर्व ही अंग्रिम सूचना दें। हुजूर, हमलोग सूचना देते हैं। 22 दिनों से सूचना दें रहे हैं। मगर हमलोगों की मांग पूर्ण नहीं की जा रही है। हमलोग मांग करते हैं कि कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमित करने, छंटनीग्रस्त सेवाकर्मियों को नियोजन में वापस लेने, जनवरी 2014 से बकायी राशि का भुगतान करने,मानदेय में वृद्धि करने,दक्षता परीक्षा के अनिवार्यता को समाप्त करने,पुनः विद्यालय में जाकर सेवा कार्य करने की अनुमति प्रदान की जाए।


आलोक कुमार

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