Thursday 7 February 2013

कुर्जी होली फैमिली अस्पताल में



कुर्जी होली फैमिली अस्पताल में
गरीबों को दी जाती है फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन !
आज भी जारी है
 स्वास्थ्य विभाग का दिशानिर्देश है कि फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन Physician Sample Medicine को चिकित्सकों की ही देखरेख में रखा जाए। उनके ही इशारे पर रोगी को सैम्पल मेडिसिन दी जाए। इसका गलत व्यवहार और  बेचा या बदला जाए। इस दिशानिर्देश का खुल्लम खुल्ला उलद्यंन किया जा रहा है। कुर्जी होली फैमिली अस्पताल सोसाइटी में गरीबों को फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन दी जाती है? बिलिंग डिपार्टमेंट के द्वारा रोगी के फाइनल बिल बनाते समय दी गयी सैम्पल मेडिसिन की कीमत निकाली जाती है और किये गये मूल्य का अवलोकन के बारे में रोगी के परिजनों को बताया जाता है कि सोसाइटी ने इतनी कीमत की दवाई रोगी को दी है। इस तरह फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन के बल पर सोसाइटी की शोहरत को बढ़ायी जा रही है।
  हां जी, यह सब गैर सरकारी संस्था कुर्जी होली फैमिली अस्पताल सोसाइटी में चल रहा है। इस सोसाइटी को बिहार सरकार ने मान्ययता प्रदान करके पंजीकृत की है। यह अल्पसंख्यक ईसाई मिशनरी के द्वारा संचालित है। इसे मदर अन्ना मरिया डेंगल के द्वारा संचालितमेडिकल मिषन सिस्टर्स सोसाइटी की सिस्टरगण चलाती हैं। इस सोसाइटी की सिस्टरों कोएमएमएसएससिस्टर कहा जाता है। इन्हींएमएमएसएससिस्टरों के द्वारा सोसाइटी चलायी जाती हैं। कुछेक साल सेएमएमएसएससिस्टरों की संख्या कम होती चली गयी। इसके आलोक में मोकामा में संचालित नाजरेथ अस्पताल की सिस्टरों के साथ समझौता हो गयी। अब वहां की सिस्टर आकर कुर्जी अस्पताल में कार्य करती हैं। अब उन्हीं की राजपाट है। यहां बता दें कि नाजरेथ अस्पताल की सिस्टरों के द्वारा एमएमएसएस की सिस्टरों के आशियाना में चिराग जलाने चली हैं। दुर्भाग्य से उसी चिराग से नाजरेथ अस्पताल की सिस्टरों ने अपने नाजरेथ अस्पताल को जलाकर राख कर दिये हैं। कुर्जी होली फैमिली अस्पताल कब्जाने के बाद मोकामा की सिस्टरों ने नाजरेथ अस्पताल का शटर ही गिराकर अस्पताल को बंद कर दिये हैं। हाल यह है कि इन सिस्टरों की गलत कुनीति के कारण नाजरेथ अस्पताल के 48 कर्मचारी सपरिवार भूखे मरने को बाध्य हो रहे हैं। अभी हाल में एक राजू राउत नामक शख्स की मौत हो चुकी है। नाजरेथ अस्पताल प्रबंधक के द्वार कर्मचारियों के बकायी राशि का भुगतान नहीं कर रहे हैं। इस मंहगाई के समय में अस्पतालकर्मियों के चूल्हा जलना बंद हो गया है। 2 जुलाई 2012 से कर्मी अपनी मांग के समर्थन में आंदोलन करने को बाध्य हो रहे हैं।
 इस संदर्भ में कुर्जी होली फैमिली अस्पताल सोसाइटी की ओपीडी विभाग की सुपरवाइजर सिस्टर मेरी एंड्रू का कहना है कि इस सोसाइटी में एक सोशल वर्कर हैं। जो आनेजाने वाले गरीब मरीजों के हित में कार्य किया करते हैं। अगर कोई गरीब मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं। तो उक्त गरीब मरीज के बारे में वास्तविक जानकारी लेने के लिए सामाजिक और आर्थिक स्थितियों का जायजा लिया जाता है। जब वास्तव में सोशल वर्कर के द्वारा गरीब मरीज होने का प्रमाण पत्र पेश कर दिया जाता है। तब मेडिकल रिप्रेसंेंटेटिव डमकपबंस त्मचतमेमदजंजपअम के द्वारा झोली भरके दी गयी फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन का मुंह खोल दी जाती है। सोशल वर्कर के द्वारा आईपी कार्ड पर लिखा जाता है कि प्लीज गीब हीम फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन। इसके साथ ही सैम्पल दवा की बरसात शुरू कर दी जाती है। उन्हीं की अनुशंसा पर गरीब मरीजों को फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन दी जाती है। अभी इसी तरह से इस मिशनरी अस्पताल से गरीबों की सेवा की जाती है। जो दवा कम्पनियों के द्वारा सैम्पल दवा दी जाती है। उसी सैम्पल दवा को गरीबों के बीच में वितरण की जाती है। वह भी सैम्पल दवाओं के वितरण चिकित्सकों के द्वारा नहीं बल्कि सोशल वर्कर और नर्सेज के द्वारा की जाती है। अगर कोई दवा चिकित्सक लिखते हैं तो उसके समकक्ष में ही फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन दी जाती है। जितनी दवाई दी जाती है उसको मरीज के चार्ट पर लिखते जाते हैं। उन दवाईयों का भी बिल बनते समय दाम जोड़ा जाता है ताकि मरीज के साथी को बताया जा सके कि हम ने इतनी राशि की दवा मुफ्त में दे रखी हैं मगर उनको यह नहीं बताया जाता है कि वह फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन है।
 यह सवाल उठता है कि आखिरकार किस तरह से अधिकाधिक संख्या में सैम्पल मेडिसिन कुर्जी होली फैमिली अस्पताल सोसाइटी में आती है। यह बताना जरूरी है कि आजकल केवल मीडिया पर ही दवा निर्माण करने वाली कम्पनियां आश्रित नहीं रहती हैं, बल्कि दवा कम्पनिया के द्वारा अपने यहां तेज तर्रार षख्स को मेडिकल रिप्रेसंटेटिव Medical Representative के रूप में बहाल कर लेते हैं। फर्राटेदार विदेशी और देशी भाषा बोल सकने वाले दवा कम्पनियों के प्रतिनिधि देश-विदेश-प्रदेश में भ्रमण करके धरती के भगवान यानी चिकित्सकों से संर्पक करते हैं। अपनी काबिलियत के बल पर और दवाई की गुणवर्ताओं से चिकित्सकों को प्रभावित करते हैं। इससे और अधिक प्रभावित करने लिए प्रतिनिधि ग्रिफ्ट भी देते हैं। ग्रिफ्ट पाते ही भगवान का मन डोल जाता है। मेडिकल रिप्रेसेंटेटिव ब्रीफकेस से सैम्पल दवा निकालकर चिकित्सक को दे देते हैं। उनके द्वारा बताये गये दवाओं को चिकित्सक लिखना शुरू कर देते हैं। चिकित्सकों के द्वारा सैम्पल दवा मरीजों को दिया जाने लगता है ताकि मरीजों के ऊपर उपयोग करके प्रयोग करने लगते हैं।
 इन मिशनरी संस्थानों के द्वारा किस तरह से गरीब मरीजों और उनके परिजनों को ठगा जा रहा है। उस पर से पर्दा हटाना जरूरी है। इसमें फिल्मी गीत भी सहायक हो सकेगा। फिल्मी गीत इस प्रकार है। क्या मिलिए!ऐसे लोगों से जिनकी फिकरत छुपी रहे, नकली चेहरा सामने आये और असली चेहरा छिपी रहे। हां,यही कुर्जी अस्पताल में हो रहा है। आरंभ में सोसाइटी में मिशनरी सेवा की जाती थी। अस्पताल के द्वारा गरीब मरीजों को अस्पतालीय बिल में रियायत दी जाती थी। रियायत देने की निर्णायक भूमिका में सोशल वर्कर रहते थे। अब कुर्जी होली फैमिली अस्पताल सोसाइटी प्रोफेशनल हो गया है। पग-पग पर पैसा फेंको और तमाशा देखो की तर्ज पर कार्य हो रहा है। एक गरीब मरीज भर्ती हुआ है। उसका आई0पी0 संख्या 1213/0014336 है। वार्ड नम्बर 3 बी/ 3 बी-0 27 नवम्बर को भर्ती करने के बाद 30 नवम्बर को अस्पताल से नाम काट दिया गया। उसे जेनरल वार्ड में भर्ती कराया गया। इस वार्ड के बेड चार्ज 100 प्रतिदिन है। 4 दिन में 400 रूपए चार्ज किया गया। मेडिकल केयर 480 रूपए का बिल बना गया। लाबोरेट्री में कुल 1160 रूपए खर्च किया गया। ईजीसी 120, अल्ट्रासाउण्ड 670, मेडिसिन 65, डाक्टर विजिंट 320,वार्ड पोसिडर 340,मिसलेनियस 100 और एडमिशन चार्ज 110 रूपए लिये। इस तरह कुल 3765 भुगतान करना पड़ा। अब उसमें परिवर्तन कर दिया गया है। गरीब मरीजों को फिजिसियन सैम्पल मेडिसिन के बल पर सेवा कर शोहरत बटोरी जा रही है। और तो और गरीब मरीज के साथी मरीज के नाम कटने के बाद बिल में रियायत करने की मांग करते हैं तो उनको बताया जाता है कि हम लोग ने गरीब मरीज को जानकर ही कीमती मेडिसिन दे चुके हैं। उनको बिल प्रपत्र दिखाया जाता है कि देख लिजिए दो हजार रू0 की दवा निःशुल्क दे चुके हैं। अब बिल में रियायत करने का सवाल ही नहीं उठता है।
 
 
   
    

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