Monday 8 December 2014

एक बार फिर ठगे गए विकलांग


सूबे में सत्याग्रह करने वाले सत्याग्रहियों पर आफत



पटना। बिहार विकलांग अधिकार मंच के तत्वावधान में 21 सूत्री मांग को लेकर विकलांगों ने कारगिल चौक के पास अनशन किया। गांधी,विनोबा,जयप्रकाश जी के मार्ग पर चलकर विकलांग सत्याग्रह कर रहे थे। तबीयत खराब होने पर पुलिसकर्मी ने अनशनकारियों को उठा पीएमसीएच ले गए। मगर नौकरशाहों ने विकलांगों की मांग को सहानुभूमिपूर्वक हल करने की दिशा में कदम नहीं उठाए।थकहार विकलांगों ने सत्याग्रह स्थगित करने का निर्णय लिए। केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता राज्य मंत्री रामकृपाल यादव ने अनशनकारियों का अनशन समाप्त कराया। लगे। यहां पर उनकी हालत खराब है।


प्रत्येक दिन अनशनकारियों की स्थिति बढ़ती जा रही है। इंटरनेशनल विकलांग महामंच के अध्यक्ष एवं राजस्थान निवासी राजेन्द्र ढिंढारिया, बिहार विकलांग अधिकार मंच के राज्य सचिव राकेश कुमार, वरिष्ठ सदस्य अभिनाश कुमार नागा , बिहार विकलांग अधिकार मंच के विशेष सचिव अन्तरराष्ट्रीय विकलांग खिलाड़ी अनुराग चन्द्रा रामाशीष दास, अनशन कर रहे हैं। आज बैंडमिंटन खिलाड़ी नीतेश कुमार भी जुड़ गए। बिहार विधान सभा के सदस्य डा.अरूण सिन्हा और नीतीश नवीन आकर अनशनकारी विकलांगों से मिले। इस मसले को बिहार सभा में रखने का वादा किया।अनशनकारी विकलांगों से सहानुभूमि जताने और 21 सूत्री मांग पर दबाव बनाने विकलांग आने लगे। मंजू कुमारी,किरण कुमारी, पूनम कुमारी, आशीष कुमार, अजय कुमार, रंजीत कुमार, आलोक कुमार,हीरालाल वर्मा, गौतम कुमार, गुछ्डू कुमार, मो. एजाजुल आलम के अलावे दर्जनों लोग आए। सभी ने एक स्वर से मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से आग्रह किया है कि हम विकलांगों की मांग को मान लें।
बिहार विकलांग अधिकार मंच के सचिव राकेश कुमार ने 21 सूत्री मांग पत्र तैयार किए हैं। राज्य सभा, लोक सभा,विधान सभा, एवं विधान परिषद में विकलांगों के लिए सीट आरक्षित किया जाए एवं साथ ही साथ पंचायत एवं वाडों के चुनाव में भी आरक्षण किया जाय। पीडब्ल्यूडी 1995 के संशोधन कानून विकलांग अधिकार अधिनियम, लोक सभा से अविलम्ब पारित कर देश स्तर पर उसे लागू किया जाय। देश स्तर पर पर राष्ट्रीय विकलांग आयोग एवं राज्यों में राज्य विकलांग आयोग स्वतंत्र प्रभार के रूप में अविलम्ब गठन किया जाए। दिल्ली एवं अन्य राज्यों के आधार पर सभी राज्यों में विकलांग मंत्रालय एवं विभाग गठन किया जाए। देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर विकलांग बोगी के सामने डिस्पेल बोर्ड लगाया जाए तथा प्लेटफार्म के बीच में ही विकलांग डब्बा लगाया जाए।

 देश एवं राज्य स्तर पर विकलांगों के लिए चलाई जाने वाली योजनाएं रेडियों, अखबार,टी.वी, आदि में उसकी पात्रता के साथ प्रस्तावित एवं प्रकाशित निरन्तर किया जाए। देश के सभी श्रेणी के नौकरियों में विकलांगों के क्षमता के अनुसार आरक्षण का प्रावधान किया जाए। राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर मिलने वाली विकलांग पेंशन को बैंक से जोड़कर एटीएम कार्ड की सुविधा दिया जाए। देश के सभी विकलांगों को रोजगार नहीं मिलने की स्थिति में विकलांगता के अनुरूप बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। वृद्ध विकलांगों एवं शत-प्रतिशत विकलांगों के साथ उनके परिजन को भी विकलांग गुजारा भत्ता दिया जाए।

सभी राज्य के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय बेरोजगार, विकलांग खिलाड़ियों को मेडल लाओ और नौकरी पाओ के तहत नियुक्ति किया जाए। सभी खेल संद्यों में विकलांग खिलाड़ियों को 1/3 के अनुपात में रखा जाए। 1995 से 2014 तक केन्द्र एवं राज्य के सरकारों में बचे बैकलॉग को अविलम्ब प्रकाशित कर विशेष भर्त्ती अभियान के तहत नियुक्ति का विज्ञापन निकाला जाए। सभी राज्य में बाधामुक्त स्टेडियम सह विकलांग खेल प्रशिक्षण केन्द्र का प्रावधान किया जाए।

विकलांग प्रमाण पत्र से ही रेलवे द्वारा विकलांग आरक्षण टिकट दिया जाए। विकलांग प्रमाण पत्र निर्गत करने वाली प्रक्रिया को सरल बनाया जाए तथा इसमें किसी प्रकार के दस्तावेज की मांग नहीं किया जाए। साथी ही 40 प्रतिशत से कम विकलांग व्यक्तियों को भी विकलांगता की श्रेणी की सुविधा दी जाए। देश के सभी सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थानों को बाधामुक्त किया जाए। विकलांगजनों को आत्म निर्भर बनाने हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार के माध्यम से चलाए जा रहे लाभकारी कार्यक्रमों/योजनाओं से संबंधित विशेष मार्गदर्शिका आमजनों में उपलब्ध कराई जाए। विकलांगों के लिए आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 3 प्रतिशत से 10 प्रतिशत किया जाए। अधिनियम के आलोक में विकलांगों को निःशुल्क मकान या पुनर्वास हेतु जमीन उपलब्ध कराया जाए। अन्त में देश के सभी विकलांगों को प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, टेकनिकल शिक्षा एवं वोकेशनल शिक्षा निःशुल्क दिया जाए।

आज भी राजधानी में कारगिल चौक,पीएमसीएच और आर.ब्लॉक चौराहे के पास मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। मौसम की शीतलहरी को देखते हुए सरकार त्वरित कार्रवाई करके आंदोलनकारियों की मांग पूर्ण कर दें। अगर ऐसा नहीं होगा तो सत्याग्रह करने वालों का पग डगमगा सकता है। जनतंत्र में आंदोलन करने का अधिकार है। वहीं जनतंत्र की प्रहरी विधायिका,कार्यपालिका,न्यायपालिका और पत्रकारिता को समझकर-बुझकर कदम उठाने की जरूरत है। ऐसा न हो कि जनतंत्र पर से विश्वास कम हो जाए।

आलोक कुमार



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