Monday 5 January 2015

मुख्यमंत्री के आदेश को नौकरशाह ने दिखाया ठेंगा




स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने मुख्यमंत्री से मांगा 2 दिनों का समय

13 दिनों के बाद भी निर्गत आदेश को नहीं निभा सका

गया। बिहार में प्रशिक्षित श्रेणी नर्सेंज के 6758 पद रिक्त है। अभी 3000 नर्सेंज संविदा पर बहाल हैं। इनको सरकार ने 2006 से 2008 के बीच में संविदा पर नियोजित किया था। बिहार ग्रेड नर्सेंज एसोसिएशन एवं बिहार अनुबंध परिचारिका संद्य की महामंत्री विथीका विश्वास के नेतृत्व में 20 नवम्बर 2014 से सड़क पर हैं। इस बीच राज्य कर्मचारी आयोग के द्वारा 2 चरणों में साक्षात्कार लिया गया। आयोग के द्वारा निर्देशित 15 नम्बर देने वालों ने मोटी रकम डकारे चले गए। जो देने में असफल हुए तो उन्हें साक्षात्कार में असफल घोषित कर दिया गया। इसमें कितनी नम्बर लानी है। आयोग के द्वारा तय ही नहीं किया गया।

बिहार ग्रेड नर्सेंज एसोसिएशन की महामंत्री विथीका विश्वास का कहना है कि हमलोग 47 दिनों से सड़क पर हैं। तब से गांधी,विनोबा,जयप्रकाश नारायण के बताए मार्ग पर चलकर सत्याग्रह किए। सत्याग्रह के साथ सरकार के साथ संवाद भी किया गया। हमलोगों की एकमात्र मांग है कि राज्य के सभी संविदा पर बहाल नर्सेंज को स्थायीकरण करके नियमित वेतनमान दिया जाए। हमलोग बिहार परिचारिका निबंधन परिषद और मिड इंडिया बोर्ड से उर्त्तीण हैं। जो मिड इंडिया बोर्ड से उर्त्तीण घोषित की गयी हैं। ऐसे लोगों ने बाद में जाकर एनओसी के माध्यम से बिहार परिचारिका निबंधन परिषद से रजिस्ट्रेशन करा लिया है। ऐसे कार्यरत नर्सेंज को हाशिए पर छोड़कर राज्य के बाहर की नर्सेंज का चयन कर लिया गया है। अब तो फिमेल नर्सेंज के बदले मेल नर्सेंज का ही चयन पर जोर देने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि सड़क पर उतरकर सत्याग्रह करने वाली नर्सेंज की सुधि नहीं लेने पर 3 जनवरी 2015 से अनशन करना शुरू कर दिया गया है। कड़ाके की ठंड और बूंदाबादी बारिश के बीच में नर्सेंज अनशन कर रही हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्याज जी ने 4 दिनों तक अलाव की व्यवस्था कर रखी थी। अब वह भी बंद कर दिया गया है। इससे अनशनकारी नर्सेंज बेहाल होकर बीमार पड़ने लगी हैं। अभी जो नर्सेंज बीमार हैं, वह विभा, कंचन, प्रमिला, शोभा, मगध मालती, रेणु आदि हैं। दुर्भाग्य है कि सरकार ने सफेद वर्दीधारी चिकित्सक की बहाली न करके खाकी वर्दीधारी पुंलिस को बहाल कर रखा है। पुलिस लाइन से बसंत कुमार तिवारी, सुनिता कुमारी, अभिलाषा रंजन और शैल को ड्यूटी पर लगाए गए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के नगर नौसा प्रखंड के जहालपुर गांव में रहने वाली और पीएमसीएच में कार्यरत आशा कुमारी काफी निराश हैं। अपने 6 माह के शिशु कुक्कू बाबू के साथ अनशन कर रही हैं। इनका कहना है कि हमलोगों ने पीएमसीएच से और अन्य जिलों के नर्सेंज 8 साल से कार्यरत हैं। हमलोगों को जबरन फेल करार दिया गया है। हमलोगों की स्थिति-परिस्थिति को देखकर 23 दिसम्बर को सीएम जीतन राम मांझी ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मलहौत्रा को आदेश दिया था कि इनलोगों की मांग पूर्ण कर दें। तब जाकर प्रधान सचिव ने मुख्यमंत्री जी से 2 दिनों का समय मांगा। मगर उस नौकरशाह ने मुख्यमंत्री के आदेश को ठेंगा दिखाने पर अमादा हैं। 13 दिनों के बाद भी निर्गत आदेश को नहीं निभा सके हैं। तभी तो मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि उनके आदेश को नौकरशाह मानते ही नहीं हैं?

आंदोलन के नेतृत्व करने वाली विथीका विश्वास कहती हैं कि गत वर्ष के दुख दूर करवाने में मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग आदि स्वतः संज्ञान नहीं ले रहे हैं। अब हमलोग दोनों आयोग के द्वार खटखटाने जाएंगे। 

आलोक कुमार

          

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