गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौवीं बार रेडियों से ‘मन की बात’की है। जो शहर और ग्रामीण अंचल के लोगों के लिए सटिक है। प्रायः देखा जाता है कि दूरदराज के गाँवों में पेयजल और पटवन करने के लिए पानी का अभाव हो जाता है। अगर हमलोग पी.एम.मोदी के कथन को पालन करेंगे तो अवश्य ही पानी का किल्लत को कम किया जा सकता है।ऐसा नहीं कि हमलोग पानी का बचाने के लिए प्रयास नहीं करते हैं।
जी हाँ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जल ही जीवन है। हमलोगों को बूंद-बूंद पानी बचाना चाहिए।अगर एक आदमी एक लीटर पानी बचाता है तो समझ ले कि हमलोग 1.25 करोड़ लीटर पानी बचाने में कामयाब हो जाएंगे। जो हितकारक साबित होगा। यह प्रयास भी होना चाहिए कि गाँव का पानी गाँव में और शहर का पानी शहर में ही ठहर जाए।इसके लिए सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है। इस समय वर्षा ऋतु है। हमलोगों को वर्षा का पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए। हमलोग परम्परागत तौर तरीके से पानी जमा कर सकते हैं। जलछाजन की व्यवस्था को मजबूती प्रदान करनी होगी। मकान का पानी को गड्ढे में जमा करना चाहिए। छत और छावनी का पानी को कुआँ में गिराया जाता है। इसे रिफिल भी कहा जाता है। आगे कहा कि अगर जिदंगी में हरियाली लानी है तो जगहों को हराभरा बनाएं। वृक्षारोपन पर जोर दिया। अगर आप पेड़ लगाते हैं तो पेड़ लगाते समय बगल में पुराना घड़ा भी गाड़ दें। इसमें पानी भर दें। एक-दो माह के अंतराल में पानी भरते रहे।ऐसा करने से जल्द से जल्द पेड़ बढ़ जाता है।
गया जिले में वाटर एड इंडिया नामक दानदाता के सहयोग से कार्यरत एक गैर सरकारी संस्था ने बरसाती पानी को कुआँ में रिफिल करते हैं। ऐसा करने से क्षेत्र में पानी की समस्या नहीं होती है। इस तरह के पानी को घर के काम और पीने में उपयोग करते हैं। इस संस्था के द्वारा शौचालय निर्माण करने का भी प्रयास किया जाता है।
इस कार्य में कमोवेश महात्मा गाँधी नरेगा का भी समुचित उपयोग किया जा सकता है। मनरेगा से वृक्षारोपन कार्य करवाया जाता है। जो धरातल पर कम और दस्तावेजों पर अधिक दिखायी पड़ता है। तालाब भी बनाया जाता है। तालाब में पानी भरने के बदले खाता में रकम भर देते हैं। अब जरूरी है कि पी.एम. मनरेगा के माध्यम से होने वाले कार्य को पारदर्शिता बनाए और योजनाओं का चयन बेहतर ढंग से हो।
बिहार में पंचायत रोजगार सेवक आंदोलनरत हैं। मनरेगा में भविष्य अंधकारमय है। सो बेहतर जिदंगी की तलाश में आंदोलन कर रहे हैं। इनलोगों की मांग है कि पंचायत सचिव बना दें। इस आंदोलन से बिहार में मनरेगा तो मरने लगा है। इसे बिहार सरकार से वार्ता करके आंदोलन समाप्त करवाने की जरूरत है। ताकि मनरेगा से लोगों को रोजगार और पीएम मोदी के सपना को साकार किया जा सके।
आलोक कुमार
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