Thursday, 12 May 2022

रक्तदान के क्षेत्र में विगत 13 वर्षो से लगातार पूरे बिहार में अनुपम उदाहरण पेश

  

जमुई.इस जिले में सदर अस्पताल है.जहां पर झाझा निवासी नंद रानी कुमारी नामक गर्भवती भर्ती है.इस अवस्था में प्रसूता नंद रानी कुमारी के शरीर में प्रसव कराने लायक रक्त नहीं है.इसके कारण वह जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी.इस बीच अस्पताल के द्वारा नंद रानी के परिजनों को बताया गया कि उसका ग्रुप एण्ड टाइप एबी नेगेटिव है.जो रेयर ब्लड ग्रुप है.आसानी से रक्त प्राप्त नहीं किया जा सकता है.इससे परिजन निराश और परेशान हो उठे थे.इस बीच फरिश्ता बनकर रक्तवीर सचिन कुमार सामने आ गया.उसने इंसानियत फर्ज अदा किया.सचिन नं सहर्ष ढंग से एक यूनिट रेयर ब्लड ग्रुप एबी नेगेटिव रक्तदान कर दिया.

प्रबोध जन सेवा संस्थान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता सुमन सौरभ ने यह संस्थान विभिन्न प्रकार के सामजिक कार्यों के साथ-साथ अपनी ईकाई मानव रक्षक रक्तदाता परिवार के माध्यम से  रक्तदान के क्षेत्र में विगत 13 वर्षो से लगातार पूरे बिहार में अनुपम उदाहरण पेश करते आ रही है. उनका कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि रक्त का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. यानि यह किसी फैक्ट्री में नहीं बनता और ना ही इंसान को जानवर का खून चढ़ाया जा सकता है.यानि रक्त बहुत ज्यादा कीमती है.जब मरीज को रक्त कि जरुरत होती है तो लोग परेशान हो जाते है पर वहीं जब बहुत ही रेयर ब्लड ग्रुप की जरुरत पड़ जाए तो लोग परेशान नहीं बल्कि हताश हो जाते है,टूट जाते है और तब उनके बीच उम्मीद की किरण प्रबोध जन सेवा संस्थान के सेवा भावी युवा बन जाते है.

सामाजिक कार्यकर्ता सुमन सौरभ ने बताया कि एबीओ सिस्टम के आधार पर कई तरह के ब्लड ग्रुप होते हैं जैसे ए पॉजिटिव, ए नेगेटिव, ओ पॉजिटिव, ओ नेगेटिव, बी पॉजिटिव, बी नेगेटिव, एबी नेगेटिव, एबी पॉजिटिव. ए एंटिजेन होने पर ब्लड ए होता है, बी एंटीजेन होने पर ब्लड बी होता है. एबी ब्लड ग्रुप में दोनों ही ए, बी एंटीजेंस होते हैं, वहीं ओ ब्लड ग्रुप में ए या बी एंटीजेंस नहीं मौजूद होते हैं.उन्होंने   कहा कि बी-नेगेटिव के अलावा, एबी नेगेटिव और एबी पॉजिटिव बेहद रेयर ब्लड ग्रुप होते हैं, जो जल्दी उपलब्ध नहीं होते हैं. ऐसे में जिनका भी ये ब्लड ग्रुप हो, उन्हें जरूर समय-समय पर रक्तदान करके दूसरों की जान बचाने में मदद करनी चाहिए. आरएच नल भी बहुत रेयर ब्लड ग्रुप होता है. ब्लड ग्रुप जेनेटिकली निर्धारित होते हैं. बच्चों को उनके पेरेंट्स से ब्लड ग्रुप प्राप्त होता है. ब्लड में एंटीजन होते हैं, जो लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर स्थित होते हैं. ब्लड ग्रुप निर्धारित करने के लिए एबीओ सिस्टम और आरएच फैक्टर को ध्यान में रखा जाता है. एबीओ प्रणाली ए, बी एंटीजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति के साथ रक्त समूह की पुष्टि करती है.

उन्होंने कहा कि ए नेगेटिव ब्लड ग्रुप वालों की संख्या भी काफी कम है. एबी नेगेटिव भी दूसरा सबसे रेयर ब्लड ग्रुप होता है. यूके की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ 1 प्रतिशत लोगों का ही ये ब्लड ग्रुप होता है. इसमें सिर्फ एंटीजेंस होता है, एंटीबॉडी नहीं, इसलिए यह एक यूनिक ब्लड ग्रुप है.बी नेगेटिव रेयर ब्लड ग्रुप में दुनिया भर में तीसरे नंबर पर आता है. बी नेगेटिव वाले बी और एबी ब्लड ग्रुप को अपना रक्तदान कर सकते हैं. एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाले किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति से खून ले सकते हैं.एबी नेगेटिव सबसे रेयर ब्लड ग्रुप होता है. इसमें सिर्फ एंटीजेंस होता है, एंटीबॉडी नहीं, इसलिए यह एक यूनिट ब्लड ग्रुप है जो बहुत ही मुश्किल से मिल पाता है.

उन्होंने कहा कि ए नेगेटिव ब्लड ग्रुप के बाद एबी नेगेटिव भी दूसरा सबसे रेयर ब्लड ग्रुप होता है.इसी सबसे रेयर ब्लड ग्रुप के शिकार होकर प्रसूता नंद रानी कुमारी सदर अस्पताल में भर्ती थी.रेयर ब्लड देने वाले सचिन कुमार को रक्तदान करके प्रसूता के परिजनों की परेशानी हल कर दिये.वहीं झाझा निवासी दीपक कुमार तथा जामुखरैया,झाझा निवासी कुंदन कुमार ने स्वैच्छिक रक्तदान किये.सामाजिक कार्यकर्ता सुमन सौरभ ने सचिन कुमार को रक्तदान करने के लिए शुभकामनाएं दी है.इसके बाद स्वैच्छिक रक्तदान करने वाले झाझा के दो युवा दीपक कुमार तथा कुन्दन कुमार का आभार व्यक्त किये.

 संस्थान से जुड़े सहयोगी व रक्तवीर हरे राम सिंह, अधिवक्ता नीरज शाह, विनोद कुमार, अमर कुमार, सुदर्शन सिंह, सोनू कुमार, विक्रम कुमार, मोनू कुमार, आनंद कुमार, शंभू कुमार, गुलशन सिंह, मुरारी कुमार आदि रक्तवीरों ने भी सेवा भावी रक्तवीर को बधाई दी है.

आलोक कुमार



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