विदेशी शराब की दुकान |
बिहार में 1 अप्रैल,2016 से पूर्ण शराबबंदी
महुआ और मिठ्ठा से दारू बनाने वाले भी खुश
पटना। आप
देखकर आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि बगल में ग्वाला गाय और भैस का दूध बेचता है।
मध्यमवर्गीय लोग वाईट कलर वाले दूध पर फौकस नहीं डालते हैं। मगर सीधे आर्कषक
बोतलों में परोसने वाली रंग-बिरंगी शराब बेची की ओर बढ़ जाते हैं। वहीं पीएचईडी के
द्वारा चापाकल गाड़ा गया है। जो महीनों से खराब चल रहा है और चापाकल बंद है।
दुर्भाग्य है कि हमेंशा ‘लिकर वर्ल्ड’चलते ही रहता है।
ड्राई डे के दिन पीछे से शराब बेची जाती है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 10 साल के
शासनकाल में जमकर शराब बेची गयी। शहर से गांवघर तक देसी और विदेशी शराब की दुकान
खोल दी गयी।
मजे की
बात है कि सरकार के द्वारा एनजीओ को शराब के खिलाफ जनजागरण पैदा करने के लिए मोटी
राशि दी जाती है। एनजीओ के कार्यकर्ता‘ बोतल को छोड़ मेरे यार, अब तो
तौबा करो, लाल परी से मुंह मोरो व्हिस्की बरांडी सड़क पर फोड़ो....। गीत
गाते रहे। नारा लगाते रहे और लोग शराब पीते रहे।
उत्पाद
एवं मघ निषेध विभाग और स्थानीय थाना के सह पर महुआ और मिठ्ठा से दारू बनने लगा।
विभिन्न मुसहरी में महुआ दारू बनाने का धंधा बढ़ गया। कुकुरमुते की तरह दुकान खुल
गयी। उत्पाद एवं मघ निषेध विभाग के पुलिसकर्मी नाटक करने लगे। छापामारी नाटक शुरू
करने के पहले मोबाइल से शराब दुकान खोलने वालों को सूचना दे जाती है। पुलिस आती है
और यहां पर डंडा मारकर चली जाती है। यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है।
खैर, पांचवीं
बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने ऐलान कर रखा है कि वित्तीय वर्ष 2016-2017 से बिहार में पूर्ण नशाबंदी कर दिया जाएगा। इसे 1 अप्रैल 2016 से लागू
कर दिया जाएगा। इसको लेकर मुख्य सचिव नीति बना रहे हैं।
आलोक
कुमार
मखदुमपुर
बगीचा, दीघा घाट,पटना।
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