Monday 11 January 2016

भगवान भरोसे गर्भवती महिलाएं और स्कूली बच्चे



आश्रय को दुरूस्त करने वालों के पास पहुंचे हैं आश्रय अभियान वाले
मूलभूत समस्याओं से महरूम हैं बिन्द

पटना। अब कुछ ही दिनों के बाद बिन्द टोली इतिहास के पन्ने में समा जाएगा। यह स्थल पूर्व मध्य रेलवे परियोजना तहत एप्रोच रोड के नाम से जाना और पहचाना जाएगा। प्रस्तावित गंगा पथ का हिस्सा बन जाएगा बिन्द टोल। जब तक लोग रहते थे,तबतक स्कूलों में बच्चों को बैठाने शिक्षक आते थे। सेविका और सहायिका आंगनाड़ी केन्द्र में आकर खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाते और खिलाते थे। उप स्वास्थ्य केन्द्र में ए0एन0एम0 दीदी और आशा बहन आती थीं। कहना का तात्पर्य यह है कि बिन्द टोली के विस्थापन होने से राज्यकर्मियों को बहार है। वहीं स्कूली बच्चों को स्कूल जाना बंद है। दवा-दारू से गर्भवती महिलाएं महरूम हो गयी हैं। यहां के बच्चे सेविका और सहायिका के सामने ही खोल उठे कि ‘खोल द आंगनबाड़ी नहीं तो मारन बाड़ी’। आंगनबाड़ी केन्द्र नहीं खुलने से छोटे बच्चे को खिचड़ी मिलना बंद है। इसके कारण बच्चे और सभी गर्भवती महिलाएं भगवान भरोसे हैं। 
उपलब्ध चापाकल से निकतला है बालूः ‘हुजूर’ के आदेश पर कुर्जी मोड़ बिन्द टोली में चापाकल लगाया गया है। 80 फीट पर ही पाइप गाड़ा गया। इसके कारण बालू मिश्रित पानी गिर रहा है। इसी पानी को पीने को बाध्य हैं लोग। पटना के डी0एम0संजय कुमार अग्रवाल से आग्रह है कि चापाकल के पानी को जांच करवाकर सुनिश्चित करें कि यह पेय योग्य है। गौरतलब है कि चापाकल का चबूतरा भी नहीं बनाया गया है। 
अभी शौचालय नहीं बना है और रहने को बाध्य कर दियाः गजब है डी0एम0साहब! अभी शौचालय निर्माण भी नहीं हुआ है कि लोगों को खदेड़कर रहने को बाध्य कर दिए। इसी हाल से स्वच्छ बिहार का निर्माण होगा। प्रस्तावित मेरिन ड्राइव के पास मलत्याग करने से नारकीय माहौल हो गया है। जो संभावित बीमारियों को न्यौता दे रहा है। 

बिजली खंभा में तार लगा दियाः बिजली खंभा गाड़कर तार लगा दिया गया है। मगर घर निर्माण नहीं हो सका है। इसके कारण लोगों के घरों में बिजली तार संयोजन नहीं कर सके हैं। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना। 

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