Thursday 18 February 2016

40 साल काम करने के उपरांत 15 हजार रूपये पर हुआ रिटायर


अविभाजित झारखंड से पलायन होकर आया बिहार

मजदूर से चलकर हेड कुक बना हीरा सिंह

पटना। झारखंड प्रदेश के साहेबगंज में रहने वाले हैं हीरा सिंह। स्व0 अर्जुन सिंह के पुत्र हैं कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल के रिटायर हेड कुक हीरा सिंह। 1971 में अभिभाजित झारखंड से पलायन करके बिहार आये थे। इनके साथ लालजी सिंह और सुरेश ईश्वर सिंह भी आये थे। सूबे में आने के बाद हीरा सिंह को पनाह मिली कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल में। यहां पर विदेशी अनाज के बल पर खेत में काम होता था। इसमें खेतीहर मजदूरों की तरह हीरा सिंह कार्य किया। कुर्जी हॉस्पीटल की प्रशासिका ने खेत में 4 साल से चमकने वाले हीरा सिंह को किचन में कार्य करने का मौका दिया। किचन में नर्सेज एवं इम्पलोइज लोगों का खाना बनता था। जो आज भी बनता है।

बताते चले कि हीरा सिंह के साथ बिहार आने वाले लालजी सिंह और सुरेश ईश्वर सिंह की मौत हो गयी। लालजी सिंह सड़क दुर्घटना में मारे गये। रात्रि समय कार्य समाप्ति कर घर जा रहे थे। अस्पताल के सामने ही दुर्घटना घट गयी। वहीं चिकित्सकों की लापरवाही के कारण सुरेश ईश्वर सिंह की अकाल मौत हो गयी। अकेले हीरा सिंह ही बचे हैं। 

मजदूर से चलकर हेड कुक बना हीरा 
रिटायर हीरा सिंह ने कहा कि किचन में हेल्पर के रूप में रखा गया। 1975 में 75 रूपये का मासिक वेतन मिला। बेहतर कार्य प्रदर्शन के इनाम स्वरूप बतौर स्थायी कर्मचारी बना दिया गया। कालान्तर में पदोन्नत कर सहायक बनाया गया। अन्ततः हेड कुक बना दिया गया। कुल 15 हजार रूपये पर 2015 में रिटायर कर दिया गया। इस अस्पताल में 40 साल कार्य किया। प्रथम साल 75 रू0मिला। 39 साल 300 रू0की बढ़ोतरी पर 15 हजार रू0तक पहुंचा। यह है परोपकारी संस्था। ईसाई समुदाय के द्वारा संचालित है। 

मौके पर सिस्टर प्रशासिका ने हीरा सिंह को ऑफर दिया कि आप बीएससी नर्सेंज को अलग से भोजन खिलाने का भार स्वीकार कर लें। आप इसे स्वतंत्र रूप से किचेन चलाएं। रिटायर हीरा सिंह ने इस ऑफर को अस्वीकार कर दिया। 40 साल के बंधन से आजाद होकर समाज और परिवार के साथ दिन बिताने की चाहत पाल रखा था। आज परिवार के साथ जीवन बीता रहे हैं। कर्मचारी भविष्य निधि से ढाई हजार पेंशन मिल जाती है। इसी से जिदंगी काट रहे हैं। कहते हैं कि धीरेधीरे शराब का सेवन कम रहे हैं। मार्च तक ही शराब पीना है। उसके बाद मुंह पर लगाम लगा देंगे। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

No comments: