Friday 26 February 2016

आम के पेड़ों में मोजर



दीघा के प्रसिद्ध है मालदह आम


यहां के किसान परेशान हैं। यहां की उर्वरा मिट्टी में शक्ति नहीं कि प्रत्येक साल लोगों को भरपूर मात्रा में मालदह आम खिला सके। यहां पर एक साल छोड़क प्रचुर मात्रा में आम फलता है। हालांकि पेड़ों पर मोजर है। मगर इस साल प्रचुर मात्रा में आम नहीं फलेगा। अगले साल अधिक मात्रा में उत्पन्न होगा।

आम का वृक्ष एक फूलदार, बड़ा स्थलीय वृक्ष है। इसमें दो बीजपत्र होते हैं। इसके फूल छोटे.छोटे एवं समूह में रहते हैं। इसे मंजरी कहते हैं। इसकी पत्ती सरल, लम्बी एवं भाले के समान होती है। इसका तना लम्बा एवं मजबूत होता है। इसका फल एक गुठलीवाला सरस और गूदेदार होता है। आम का फल विश्वप्रसिद्ध स्वादिष्ट फल है। इसे फलों का राजा कहा गया हैं।

आम का वृक्ष बड़ा और खड़ा अथवा फैला हुआ होता हैय ऊँचाई 30 से 90 फुट तक होती है। छाल खुरदरी तथा मटमैली या काली, लकड़ी कठीली और ठस होती है। इसकी पत्तियाँ सादी, एकांतरित, लंबी, प्रासाकार (भाले की तरह) अथवा दीर्घवृत्ताकार, नुकीली, पाँच से 16 इंच तक लंबी, एक से तीन इंच तक चौड़ी,चिकनी और गहरे हरे रंग की होती हैं; पत्तियों के किनारे कभी.कभी लहरदार होते हैं। वृंत (एँठल) एक से चार इंच तक लंबे, जोड़ के पास फूले हुए होते हैं। पुष्पक्रम संयुत एकवर्ध्यक्ष (पैनिकिल), प्रशाखित और लोमश होता है। फूल छोटे, हलके बसंती रंग के या ललछौंह, भीनी गंधमय और प्राय: एँठलरहित होते हैं: नर और उभयलिंगी दोनों प्रकार के फूल एक ही बार ;पैनिकिलद्ध पर होते हैं। बाह्मदल ;सेपलद्ध लंबे अंडे के रूप केए अवतल ;कॉनकेवद्धय पंखुडियाँ बाह्मदल की अपेक्षा दुगुनी बड़ीए अंडाकारए तीन से पाँच तक उभड़ी हुई नारंगी रंग की धारियों सहितय बिंब ;डिस्कद्ध मांसलए पाँच भागशील ;लोब्डद्धय एक परागयुक्त ;फ़र्टाइलद्ध पुंकेसरए चार छोटे और विविध लंबाइयों के बंध्य पुंकेसर ;स्टैमिंनोडद्धय परागकोश कुछ कुछ बैंगनी और अंडाशय चिकना होता है। फल सरसए मांसलए अष्ठिलए तरह तरह की बनावट एवं आकारवालाए चार से 25 सेंटीमीटर तक लंबा तथा एक से 10 सेंटीमीटर तक घेरेवाला होता है। पकने पर इसका रंग हराए पीलाए जोगियाए सिंदुरिया अथवा लाल होता है। फल गूदेदारए फल का गूदा पीला और नारंगी रंग का तथा स्वाद में अत्यंत रुचिकर होता है। इसके फल का छिलका मोटा या कागजी तथा इसकी गुठली एकलए कठली एवं प्रायरू रेशेदार तथा एकबीजक होती है। बीज बड़ाए दीर्घवत्ए अंडाकार होता है।

आम लक्ष्मीपतियों के भोजन की शोभा तथा गरीबों की उदरपूर्ति का अति उत्तम साधन है। पके फल को तरह तरह से सुरक्षित करके भी रखते हैं। रस का थालीए चकलेए कपड़े इत्यादि पर पसारए धूप में सुखा ष्अमावटष् बनाकर रख लेते हैं। यह बड़ी स्वादिष्ट होती है और इसे लोग बड़े प्रेम से खाते हैं। कहीं कहीं फल के रस को अंडे की सफेदी के साथ मिलाकर अतिसार और आँवे के रोग में देते हैं। पेट के कुछ रोगों में छिलका तथा बीज हितकर होता है। कच्चे फल को भूनकर पना बनाए नमकए जीराए हींगए पोदीना इत्यादि मिलाकर पीते हैंए जिससे तरावट आती है और लू लगने का भय कम रहता है। आम के बीज में मैलिक अम्ल अधिक होता है और यह खूनी बवासीर और प्रदर में उपयोगी है। आम की लकड़ी गृहनिर्माण तथा घरेलू सामग्री बनाने के काम आती है। यह ईधन के रूप में भी अधिक बरती जाती है। आम की उपज के लिए कुछ कुछ बालूवाली भूमिए जिसमें आवश्यक खाद हो और पानी का निकास ठीक होए उत्तम होती है। आम की उत्तम जातियों के नए पौधे प्रायरू भेंटकलम द्वारा तैयार किए जाते हैं। कलमों और मुकुलन ;बर्डिगद्ध द्वारा भी ऐसी किस्में तैयार की जाती हैं। बीजू आमों की भी अनेक बढ़िया जातियाँ हैंए परतु इनमें विशेष असुविधा यह है कि इस प्रकार उत्पन्न आमों में वांछित पैतृक गुण कभी आते हैंए कभी नहीं इसलिए इच्छानुसार उत्तम जातियाँ इस रीति से नहीं मिल सकतीं। आम की विशेष उत्तम जातियों में वाराणसी का लँगड़ा, बंबई का अलफांजो तथा मलीहाबाद और लखनऊ के दशहरी तथा सफेदा उल्लेखनीय हैं।


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