Sunday 17 March 2013

ईसा मसीह के चालीस दिवसीय कष्ट से भी अधिक कष्टकर जिंदगी जीने को बाध्य 53 कामगार





         ईसा मसीह के चालीस दिवसीय कष्ट से भी अधिक कष्टकर जिंदगी जीने को बाध्य 53 कामगार

श्रम कानून की धज्जिया उड़ाकर नाजरेथ हॉस्पीटल की सिस्टरों ने हॉस्पीटल को बंद रखा है। मामला उप श्रमायुक्त के कार्यालय में विचारार्थ था। फिर भी सिस्टरों ने मनमर्जी से हॉस्पीटल में ताला जकड़ दिया। अब मामला उप श्रमायुक्त के अधिकार से निकलकर श्रमायुक्त के अधीन चल गया है। 4 अप्रैल 2013 को श्रमायुक्त के समक्ष त्रिपक्षीय वार्ता निर्धारित की गयी है। वहीं माननीय उच्च न्यायालय,पटना में दायर मामला ऑपेन हो गया है। हॉस्पीटल की सिस्टरों को चारों तरफ से घेरने का पुख्ता प्रबंध कर लिया गया है।

ईसा मसीह के चालीस दिवसीय कष्ट से भी अधिक कष्टकर जिंदगी जीने को 53 कामगार बाध्य हो रहे हैं। पटना जिले के मोकामा प्रखंड क्षेत्र के मोदनगाछी में 1948 से चल रहे नाजरेथ हॉस्पीटल को तथाकथित सिस्टरों ने 2 जुलाई 2012 से बंद कर रखा है। सिस्टरों ने हॉस्पीटल बंद करने के पहले ऐटक से संबंधित मिशन नाजरेथ मजदूर यूनियन को विश्वास में नहीं लिया। हरेक दिन की तरह काम करने जाने वाले कर्मचारियों को .पी.डी. के गेट पर ही रोका गया। हॉस्पीटल की प्रशासिका सिस्टर उषा सालडाना के द्वारा दिये गये लिफाफा को कामगारों ने लेने से इंकार कर दिया। उसमें ग्रेच्यूटी, मुआवजा और मासिक वेतन का चेक था और बंद करने के औचित्य को जायज करार करके पेश किया गया था। बहरहाल आठ माह से वेतनादि अवरूद्ध हो जाने वाले 53 कर्मचारियों के समक्ष भुखमरी का आलम हो गया है।
नाजरेथ हॉस्पीटल बंद कर देने के बाद से बर्खास्त कर्मचारी धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। धरना स्थल पर बैठी सावित्री देवी अपनी आंसू रोक नहीं सकी। उनका कहना है कि पहले पति राजू रावत को खो दिये। अब आठ माह से वेतनादि नहीं मिल रहा है। इसे मेरे साथ अन्य बर्खास्त कर्मियों की खस्ता हालत हो गयी है। हॉस्पीटल बंद हो जाने से बनिया उधार देना बंद कर दिया है। भारी कष्ट हो रहा है।
 वर्तमान समय में गैर सरकारी संस्था पेशेवर रूख अपना लिये हैं। उसी राह पर मिशनरी संस्था भी चल पड़े हैं। मानव सेवा के नाम पर मोकामावासियों से हॉस्पीटल निर्माण करवाने के एवज में जमीन  दान में लेकर 900 एकड़ जमीन का रकवा बना लिये। मोकामावासियों की भावनाओं को दरकिनार करके सिस्टरों ने हॉस्पीटल को बंद कर दिया। वहीं यहां की सिस्टरगण पटना में चली गयी हैं। पटना के कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल के साथ तालमेल कर रखा है। इसी  कारण से सिस्टरों ने नाजरेथ हॉस्पीटल को नरक के गर्क में पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़े और इसकी जिम्मेवारी कर्मचारियों के माथे फोड़ रखा है। इस समय मोकामावासियों को गुमराह करने के लिए कैंसर शिविर लगाया जा रहा है। वहीं ऑल्ड ऐज होम बनाने की भी चर्चा करवायी जा रही है। ऐसा करके लोगों की सहानुभूति को कामगारों से हटाने का प्रयास किया जा रहा है। इसे कर्मचारियों ने सिस्टरों का नौटंकी करार दिया है।
 मिशन नाजरेथ मजदूर यूनियन के कोषाध्यक्ष मारकुस हेम्ब्रम ने कहा कि बर्खास्त कर्मचारी पूर्ण मुस्तैदी से धरना प्रदर्शन में भाग लेते हैं। मार्था टुडू, सावित्री देवी,रोहन दास, फिलोमीना मंराडी, राजेन्द्र रजक, मोनिका हेम्ब्रम, टरेशा केरोबिन, तापोथी मरांडी,रामविलास पासवान आदि जमकर धरना पर बैठते हैं।



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