Sunday 5 March 2017

जनसंख्या के अनुसार मुस्लिम के बाद ईसाइयों की जनसंख्या

पटना। ईसाई समुदाय भी इस्तेमाल करने लगे हैं सोसल मीडिया फेसबुक। हां, सोसल वर्क करने वाले याजकवर्ग विस्तार से फेसबुक पर लिखने और पेस्ट करने का काम कर पा रहे हैं।  वहीं लोकधर्मीवर्ग ‘आमेन और लाइक से काम निकालने का काम कर रहे हैं। याजकवर्ग में मोकामा की नगरी में कार्यरत मोकामा पल्ली पुरोहित फादर एंड्रू राजा हैं। जो 9 दिनों तक नोवेना के बारे में लिखे और फोटो अपलॉड किये। वहीं कोन्सटंट लीवन्स अस्पताल सह रिसर्च सेन्टर ( सी एल एच आर सी ) मांडर में कार्यरत चिकित्सा विभागाध्यक्ष सिस्टर आइरिन कुजूर हैं जो अपने समाज और हॉस्पिटल के बारे में लिखती रहती हैं। उसी तरह सिस्टर लीमा रोज हैं। जो घरेलू कामगार यूनियन के कार्य को उल्लेख करती रहती हैं। आप लोगों से निवेदन है कि क्रिश्चियन कम्युनिटी फोरम में न्यूज पेस्ट करें। ऐसा करने से न्यूज को साप्ताहिक विवरण टाइम्स में और अनेकों ब्लॉग में प्रेषित किया जाएगा। अगर बहुत ही स्तरीय न्यूज रहा तो राष्ट्रीय पत्रिका सरस सलिल में भी भेजा जा सकता है। अगर आप चाहते हैं कि आपके संस्थान और कार्यस्थल के बारे में लिखे तो टी.ए./डी.ए.पर आवाजाही किया जा सकता है।

यह बहुत ही अच्छा अवसर है कि हम अपनी बातों को सहज ढंग से व्यक्त कर सकें। इसमें याजकवर्ग और लोकधर्मी वर्ग फायदा उठा सकते हैं। सकारात्मक और नकारात्मक न्यूज को बेहतर ढंग से सुधारात्मक कदम उठाने के लिए सरकार और मिशनरी सरकार के समक्ष रखा जा सकता है। इसमें संकोच करने की आवश्यकता नहीं है। कुछ लोग समझते हैं कि राजनीतिक दलों में जाना चाहिए। आप किधर भी जा सकते हैं। अपने दल के बारे में पक्ष रख सकते हैं। मगर मर्यादा में रखकर बातों को रखे। यह ख्याल रखना चाहिए। आपस में विवाद करने की जरूरत नहीं है। अखबारों में भी तरह-तरह की खबर प्रकाशित होती है। झूठ और अफवाहों पर आधारित खबर न प्रेषित करें।

यह जगजाहिर है कि हमलोग अल्पसंख्यक समुदाय हैं।

जनसंख्या के अनुसार मुस्लिम के बाद ईसाइयों की जनसंख्या है। राजनीति तुष्टिकरण के कारण मुस्लिम समुदाय को सुप्रीम समझा जाता है। वहीं सरकार सोचती है कि ईसाई समुदाय को मिशनरी संरक्षक है। इसके कारण ईसाई समुदाय पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं। आप भलीभांति अवगत है कि मिशनरी देते नहीं हैं चंदा के सहारे ईसाई समुदाय से बटोर रहे हैं। हमलोगों के समाज में गरीबी रेखा के नीचे ईसाई समुदाय रह रहे हैं। इनको बीपीएल कार्ड मिलना चाहिए। खैर, अब बीपीएल का सवाल नहीं है। अब परिवार में जनसंख्या के अनुसार राशन-किरासन मिलता है। फेयरफील्ड में रहने वाली अनु बिलासियुस विक्टर  का कहना है कि राशन कार्ड है परन्तु राशन-किरासन मिलता नहीं है। इसके खिलाफ जानकारी लेकर अधिकारियों के पास पत्र लिखना चाहिए। आजकल सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, लोक शिकायत का अधिकार है। इसका उपयोग किया जा सकता है। समाज में आवासीय भूमिहीन है। सर्वें करके सीओ/बीडीओ को आवेदन दिया जा सकता है। सीएम को भी लिखा जा सकता है। अगर सारी जानकारी मिलते रहे तो समस्याओं को उठाया जा सकता है। अगर सुनवाई न हो तो गांधी,विनोबा,जेपी,राजगोपाल के बताये मार्ग पर अहिंसक आंदोलन किया जा सकता है। आवासीय भूमि, इंदिरा आवास योजना, राजीव गांधी आवास योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, कबीर अंत्येष्ठि योजना, मातृत्व लाभ योजना आदि। जन्म से लेकर योजनाएं हैं जो गरीबी के दलदल में पड़े लोगों को मिलता है।


आलोक कुमार

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