Saturday 12 March 2016

सीएम नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी को लेकर महादलितों के बीच में हड़कम्प

पिछड़ी जाति के लोगों द्वारा महुआ और मिठ्ठा बेचा जाता है।
उसने महादलित को बहाल कर रखा है।
जो घर-घर में जाकर सामग्री पहुंचा देता है। वह वंदा जाते हुए।



घर में ही गढ्डा खोंदा गया है।
बर्तन को गाढ़ दिया गया है।
महुआ और मिठ्ठा डाला जाएगा और
 उसमें पानी भी डाला जाएगा।
10 से 15 दिनों तक महुआ-मिठ्ठा को फूल़ने देते हैं।
पटना। सीएम नीतीश कुमार ने शराबबंदी का निश्चय कर लिया है। इस निश्चय से खाते-पीते महिलाओं में हर्ष व्याप्त है। वहीं जिन महिलाओं ने स्वयं को शराब चुलाने के धंधे से जोड़कर रख लिया है। अप्रैल फूल के दिन से उनका वर्तमान और भविष्य खराब होने वाला है। जैसे-जैसे 1 अप्रैल की तारीख निकट आ रही है वैसे-वैसे महुआ और मिठ्ठा से दारू बनाने वाले परेशान और हलकान होने लगे हैं।

प्रारंभ में गांवघर की महिलाएं खेत में काम करती थींः किसानों ने खेती योग्य जमीन बेच दी। वहां पर धीरे-धीरे आलिशान मकान बनने लगा।जिसके कारण महिलाएं बेरोजगार हो गयीं। बेरोजगारी की दंश झेलने वाली महिलाएं शहर में संचालित ईंट भट्टा में कार्य करने लगी। शहर में ईंट भट्टा बंद हो जाने से महिलाएं महुआ और मिठ्ठा से निर्मित दारू का धंधा करने लगी। कोई ऐसा मुसहरी नहीं है जहां पर दारू का धंधा नहीं होता हो। महादलित मुसहर के नाम पर अन्य लोग भी धंधे से जुट गये हैं। 

भले ही भोजन बनाने के लिए लकड़ी न हो। 
दारू चुलाने के लकड़ी खरीदकर लाते है। 
चूल्हा जलाने के बाद 10 से 15 दिनों तक 
महुआ.मिठ्ठा फूल़ा है। 
उसे ढेंकची में रखकर चूल्हा पर चढ़ा दिया जाता है। 
साइफन पद्धति से दारू बोतल में गिरने लगता है।
जिनके पास पैसा नहीं है वैसी महिलाएं कूड़ों के ढेर से रद्दी कागज आदि चुनने लगी। इन महिलाओं के साथ बच्चे भी कागज आदि चुनने में लग गये। अब यह हाल है कि रद्दी कागज चुनने वालों पर भी अत्याचार शुरू हो गया है। गरम पानी और भात का माड़ शरीर पर फेक देते हैं। बच्चों को साजिश की तरह झूठे मुकदमे में फंसा दिया जाता है। 

इस समय महुआ और मिठ्ठा से शराब बनाने का धंधा जोरशोर से जारी है। अब तो कुकुरमुत्ते की तरह प्रसार हो चला है। स्थानीय थाना और उत्पाद विभाग द्वारा हजारों बार छापामारी करने के बाद भी महुआ और मिठ्ठा दारू को बंद करवाने में नाकामयाब साबित हुए हैं। इनके सांठगांठ के बल पर धंधा फलफूल रहा है। 

एक अप्रैल से संभावित खतरे के आलोक में महिलाओं ने सीएम नीतीश कुमार से आग्रह किये हैं कि रोजगार की वैकल्पिक व्यवस्था करें। मजे की बात है कि सरकार द्वारा दारू पीने वालों का नाम लिखा जा रहा है। उनको शराब की लत से दूर भागने का परामर्श दिया जाएगा। शराब बनाने वालों को वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जा रही है। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
से मांग उठने लगी है वैकल्पिक व्यवस्था करने की


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