विरासत में धन नहीं, बीमारी मिलती
पटना। दीघा ग्राम पंचायत में पड़ता था दीघा मुसहरी। अब पटना नगर निगम अन्तर्गत नूतन राजधानी अंचल के वार्ड नम्बर-1 में आ गया है। यहां के लोग झोपड़ी में रहते थे। उस समय दीघा ग्राम पंचायत के अंग थे। तब राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम के तहत खप्परेल सैकड़ों लोगों का मकान बना। अब नूतन राजधानी अंचल में जा जाने से राजीव गांधी आवास योजना से मकान बन रहा है। कई लोगों का मकान बनकर खड़ा है। इनको नियमित राशि मिलती गयी। कई लोगों का मकान अधूरा है। इनको अनियमित राशि मिल रही है। नोटबंदी के शिकार राजीव गांधी आवास योजना बन गयी। इसी बीच एकाउंटेंट आ गये हैं। अघतन जांच कर रहे हैं। इसके कारण राशि वितरण करने पर ग्रहण लग गया है। इसका खामियाजा महादलित भुगत रहे हैं। ठंड मौसम में ठिठुरकर सोने और रहने को मजबूर हैं। इसके पहले गर्मी और बरसात झेल चुके हैं।
इधर बीमारी सिर उठाने लगा है। यहां के लोग सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र में जाकर इलाज करवाने लगे। इसी तरह इस बच्चे के परिजन भी करने लगे। आप इससे बच्चे को देखे जो ग्लैंड टी0बी0से परेशान हैं। वार्ड नम्बर-1 में रहते हैं घन्नु मांझी। उसी का पुत्र है। इस समय कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल में इलाज करवा रहे हैं।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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