Friday 30 December 2016

नन्हा टी0बी0 ग्लैण्ड से पीड़ित

विरासत में धन नहीं, बीमारी मिलती 
पटना। दीघा ग्राम पंचायत में पड़ता था दीघा मुसहरी। अब पटना नगर निगम अन्तर्गत नूतन राजधानी अंचल के वार्ड नम्बर-1 में आ गया है। यहां के लोग झोपड़ी में रहते थे। उस समय दीघा ग्राम पंचायत के अंग थे। तब राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम के तहत खप्परेल सैकड़ों लोगों का मकान बना। अब नूतन राजधानी अंचल में जा जाने से राजीव गांधी आवास योजना से मकान बन रहा है। कई लोगों का मकान बनकर खड़ा है। इनको नियमित राशि मिलती गयी। कई लोगों का मकान अधूरा है। इनको अनियमित राशि मिल रही है। नोटबंदी के शिकार राजीव गांधी आवास योजना बन गयी। इसी बीच एकाउंटेंट आ गये हैं। अघतन जांच कर रहे हैं। इसके कारण राशि वितरण करने पर ग्रहण लग गया है। इसका खामियाजा महादलित भुगत रहे हैं। ठंड मौसम में ठिठुरकर सोने और रहने को मजबूर हैं। इसके पहले गर्मी और बरसात झेल चुके हैं।
विरासत में धन नहीं मिली और मिली टी0बी0बीमारी। अबतक दर्जनों मुसहर जानलेवा टी0बी0बीमारी से दम तोड़ दिये हैं। चमरू मांझी के समस्त परिवार टी0बी0के गाल में समा गये। नौजवान अर्जुन मांझी, गणेश मांझी आदि शिकार होकर चले गये। जानकार लोगों का कहना है कि आरंभ में मुसहरों को टी0बी0 ग्लैंड हुआ। इसके बाद चेस्ट टी0बी0 होने लगा। इसके आलोक में स्थानीय कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल के कार्यकर्ता सक्रिय हुए और दिन-रात एक करके दीघा मुसहरी से टी0बी0बीमारी को खदेड़ने का प्रयास करने लगे। स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम संचालित किये। टीकाकरण अभियान चलाये। बच्चों को टी0बी0रोग से बचाव करने वाले बी0सी0जी0का टीका में लगाये गये। हॉस्पीटल का मुसहरी से मोहभंग हो गया और कार्यकर्ता आवाजाही बंद कर दिये। इनके आने और चले जाने के बाद दीघा उप स्वास्थ्य केन्द्र के द्वारा टीकाकरण किया जाने लगा। इसका नतीजा है कि रोग पर काबू पाया जा सका।
इधर बीमारी सिर उठाने लगा है। यहां के लोग सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र में जाकर इलाज करवाने लगे। इसी तरह इस बच्चे के परिजन भी करने लगे। आप इससे बच्चे को देखे जो ग्लैंड टी0बी0से परेशान हैं। वार्ड नम्बर-1 में रहते हैं घन्नु मांझी। उसी का पुत्र है। इस समय कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल में इलाज करवा रहे हैं।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।


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