Thursday 28 March 2013

अपने भाईयों के साथ भी किया करों



 अपने भाईयों के साथ भी किया करों

पटना। पवित्र वृहस्पतिवार को ईसा मसीह के अधूरे कार्य पूरा करने के सिलसिले में अंतिम ब्यालू में का रस्म अदायगी किया गया। राजधानी के विभिन्न गिरजाघरों में भारी संख्या में धर्मावलम्बियों ने हिस्सा लेकर प्रार्थना में शिरकत किये। गिरजाघर के पुरोहितों ने 12 शिष्यों के पैर धोएं, तौलिया से पोछे और चुम्मन लिये। आज से 2013 वर्ष पहले दस दिशाओं के राजाओं का राजा ईसा मसीह ने अपने शार्गिदों के पैर धोए थे। इसी तरह दूसरों को भी करने की सलाह दिये थे। उस जमाने में सिर्फ गुलाम ही किसी दूसरों के पैर धोने का कार्य किया करते थे। देर रात तक धार्मिक पवित्र परमप्रसाद का आराधना किया गया।

  इसी तरह से देर-सबेर दुनियाभर के गिरजाघरों में पवित्र वृहस्पतिवार का धार्मिक कार्यक्रम किया गया। गिरजाघर में रखे पवित्र परमप्रसाद का आराधना किये गये। पवित्र धर्मग्रंथ बाइबल में उल्लेख है कि ईसा मसीह ने अपने मरने के पहले अपने 12 अजीज शार्गिदों के साथ भोजन किया। धर्मग्रंथ ने इसे अंतिम ब्यालू के रूप में प्रस्तुत किया हैं। हां, उसी अंतिम ब्यालू को पवित्र परमप्रसाद के रूप में प्रस्तुत किया गया। उसी की याद में पुरोहित धार्मिक अनुष्ठान के बीच में श्रद्धालुओं को महाप्रसाद के रूप में जीर्वित ईसा मसीह को रोटी के रूप में ख्रीस्त का शरीर और रक्त कहकर देते हैं। याद रहे कि जो ईसाई धर्म कबूल किये हैं उनको ही परमप्रसाद लेने का अधिकार प्राप्त है। ईसाई धर्म कबूल करने के लिए सबसे पहले पुरोहित के द्वारा  विधिवत जल संस्कार, पापस्वीकार संस्कार और परमप्रसाद संस्कार ग्रहण करना अनिवार्य है। जो ऐसा कर चुके हैं वास्तव में बड़ी भक्ति भाव से पवित्र परमप्रसाद ग्रहण करना चाहिए।

खैर, इसके पहले ईसा मसीह ने प्रतिनिधि के रूप में पोप,कार्डिनल, आर्च बिषप, बिषप और फादरों के द्वारा पवित्र वृहस्पतिवार के दिन किसी पात्र में पानी लेकर शिष्यों के पैर धोएं गए और गमछा से पोछा गया। उन सभी 12 शिष्यों के पैर में चुम्मन किया गया। इस वक्त अतीत में ईसा मसीह ने अपने शिष्यों से कहा था किमैंने प्रभु और गुरू होकर भी, धोएं पैर तुम्हारे,तू ने भी है धोना सबके, जो है भाई तुम्हारे उसी रस्म के अनुसार प्रत्येक साल किया जाता है। जो आज के दिन दुनियाभर के पुरोहित के द्वारा किया जाता है।

  पवित्र वृहस्पतिवार के दिन सभी छोटे-बड़े गिरजाघरों में आयोजन किया गया।मैंने प्रभु और गुरू होकर भी, धोएं पैर तुम्हारे,तू ने भी है धोना सबके, जो है भाई तुम्हारे इस गान के बीच में गिरजाघर के पुरोहित बर्तन में पानी लेकर एक-एक शिष्य के पास पैर धोते चले गये और तोलियां से पोंछकर शिष्य के पैर चुम्मते चले गये। इसके बाद परमप्रसाद वितरण किया गया।

पटना में स्थित प्रेरितों की महारानी ईश मंदिर में फादर ग्रेगरी गोम्स ने 12 शिष्यों के पैर धोये। तेालिया से पोछा और चुम्मन लिये। शाम पांच बजे से परम प्रसाद की स्थापना की रस्म अदायगी की गयी। इस दौरान ईश मंदिर के प्रधान पुरोहित फादर ग्रेगरी गोम्स के द्वारा 12 शिष्यों का पैर धोया गया। हाबिल कुजूर, सुशील लोबो, बिपिन कुमार, थोमस केरकेट्टा, प्रबोध कुमार,रंजीत कुमार,ग्राब्रिएल जौन,सौरभ निकोलस,अमूल्या रिचर्ड,अरूण अन्तुनी, स्टैनी पायस और ऑसवाल्ड अन्तुनी। इन शिष्यों को फेयरफिल्ड में रहने वाले ईसाई दम्पति मोरिस पीटर और वायलेट मोरिस के द्वारा अंतिम ब्यालू का भोजन कराया गया।

  इसी तरह का आयोजन पाटलिपुत्र में स्थित सेक्रेट हार्ट चर्च में पांच बजे से, दीघा में स्थित एक्स.टी.टी.आई, .जी.कॉलोनी रोड में स्थित संत मेरी एकेडमी, आशियाना और शेखपुरा में स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में साढ़े पांच बजे से, पाटलिपुत्र कॉलोनी में स्थित नोट्रडम एकेडमी में छः बजे से और कुर्जी में स्थित कुर्जी होली फैमिली अस्पताल में साढ़े सात बजे से पुण्य वृहस्पतिवार के रस्म अदायगी की गयी।

  विभिन्न ईसाई मोहल्लों के लोगों के द्वारा 6 बजकर 45 मिनट से घंटाभर पवित्र साक्रामेंत का आराधना किया गया। फादर ग्रेगरी गोम्स ने पूर्ण सम्मान पेशकर परमप्रसाद को आराधना स्थल पर लाये। भक्तिभाव में सिर नमन किये। इसके बाद अन्य मोहल्ले के लोगों के द्वारा किया गया। यह सिलसिला 12 बजे मध्य रात्रि तक चलता रहा। इस बीच ईसा मसीह के दुःखभोग के ऊपर निर्मित गीत और भजन को पेश किया गया।

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